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Hathras Stampede Case: भीड़ नियंत्रण पर सामने आया नया अपडेट, डेढ़ लाख अनुयायियों के लिए सिर्फ ये थी व्यवस्था

Hathras Stampede Case Update News हाथरस सत्संग में एसआईटी ने रिपोर्ट सौंप दी है। जिसमें शामिल है कि भीड़ को काबू करने के लिए व्यवस्था इंतजाम पूरे नहीं थे। रस्सी के सहारे बैरिकेडिंग की गई थी। सत्संग में सूरजपाल के जाने के दौरान यदि पुलिस और प्रशासन की अच्छी व्यवस्था होती तो हादसा नहीं होता। आयोजक भी हादसे के बाद फरार हो गए थे।

By Jagran News Edited By: Abhishek Saxena Updated: Wed, 10 Jul 2024 09:46 AM (IST)
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Hathras Case: सत्संग में मची भगदड़ के बाद कुछ इस तरह का हाल दिखा था। फाइल फोटो।

संतोष शर्मा l जागरण अलीगढ़: विशेष जांच दल (एसआईटी) ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सत्संगकर्ता और भीड़ को बिना सुरक्षा प्रबंध के आपस में मिलने की छूट दी गई। भारी भीड़ के दृष्टिगत यहां किसी प्रकार की बैरिकेडिंग की व्यवस्था नहीं की गई। यही नहीं हादसा होने के बाद आयोजक मंडल के सदस्य घटनास्थल से भाग गए।

दैनिक जागरण ने छह जुलाई के अंक में इस बिंदु को प्रमुखता से उठाया था। कार्यक्रम स्थल पर भीड़ को नियंत्रित करने के लिए बैरिकेडिंग की कोई विशेष व्यवस्था नहीं की थी। हाईवे किनारे मुख्य गेट के पास तो रस्सी बांधकर बैरिकेडिंग की गई थी। भीड़ का सबसे अधिक दबाव भी यहीं था।

सत्संग समापन के बाद साकार विश्व हरि का काफिला यहीं से निकला गया। उन्हें नजदीक से देखने के चलते भीड़ बेकाबू हो गई। अगर बैरिकेडिंग की मजबूत व्यवस्था होती तो भीड़ को नियंत्रित किया जा सकता था।

हाथरस हादसे के लिए जांच में पुलिस-प्रशासन को ही लापरवाह माना गया है। कार्यक्रम स्थल पर आपात स्थिति से निपटने के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई। नियमानुसार इतने बड़े आयोजन में भीड़ को एक गेट के भरोसे नहीं छोड़ सकते। हाथरस में ऐसा ही किया गया। यहां लोगों के प्रवेश और निकास के लिए एक ही गेट था। सत्संग स्थल पर महिला और पुरुषों को अलग-अलग बैठने की तो व्यवस्था की गई, लेकिन भगदड़ मचने जैसी स्थिति में वो कहां से निकलेंगे इसके लिए कुछ नहीं किया गया।

पुलिस कर्मी भी वो साकार विश्व हरि के सत्संग में खुद ही लीन हो गए।

डेढ़ लाख से अधिक भीड़ उमड़ी

सत्संग में डेढ़ लाख से अधिक भीड़ उमड़ी। इतनी भीड़ को नियंत्रित करने के लिए 400 से अधिक पुलिस कर्मी तैनात होने चाहिए थे, लेकिन एक चौथाई भी नहीं थे। जो थे भी वो साकार विश्व हरि के सत्संग में खुद ही लीन हो गए। साकार विश्व हरि के मंच तक जाने और निकलने लिए अलग रास्ता बनाया था, लेकिन हाईवे पर काफिले को भीड़ के बीच से ही निकाला गया। यहां भीड़ आपा खो सकती है इस ओर किसी ने ध्यान नहीं दिया।

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पीठ दिखाने वाली पिंक आर्मी बन गई थी सर्वेसर्वा

साकार विश्व हरि की सुरक्षा में वरुण सेना, नारायणी सेना और हरिवाहक सेना तैनात होती है। इसका भीड़ नियंत्रण से कोई मतलब नहीं होता। कार्यक्रम स्थल के बाहर लाठी वाले सेवादारों को पिंक आर्मी कहते हैं। इनका काम यातायात नियंत्रण से लेकर अन्य बाहरी व्यवस्थाओं की होती है। हाथरस हादसे के बाद पिंक आर्मी ही सर्वेसर्वा (प्रमुख) बन गई।

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प्रत्यक्षदर्शियों ने घटना वाले दिन बताया था कि पिंक आर्मी वाले तो हादसे के प्रति गंभीर थे ही नहीं। हालात जब बेकाबू हो गए तो पिंक आर्मी वालों ने सबसे पहले अपनी वर्दी उतारकर थैला में रखी। सादा कपड़े पहनकर भाग गए। एसआईटी की जांच में भी यह बिंदु आया है कि आयोजक मंडल के सदस्य घटनास्थल से भाग गए थे।

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साकार हरि को एटा जाना था, तो विपरीत दिशा में क्यों जाने दिया

साकार विश्व हरि को निकालने के लिए की गई व्यवस्था को ही हादसे का बड़ा कारण माना जा रहा है। सत्संग स्थल से साकार हरि को निकालने के लिए दायीं ओर रास्ता बनाया गया था। घटना वाले दिन साकार हरि का काफिला सत्संग स्थल से पहले हाईवे पर आया। यहां से हाईवे पर बायीं दिशा में करीब पचास मीटर भीड़ की ओर गया। यहां एक कट से एटा की ओर मुड़ने के दौरान ही भीड़ अनियंत्रित हो गई।

सभी को साकार हरि को नजदीक से देखने की व्याकुलता थी। काफिला निकलने के बाद तो हजारों की भीड़ अनियंत्रित हो गई। भीड़ के दबाव में वे लोग आए जो हाईवे किनारे खड़े हुए थे। धक्का लगने से पास के नाले में गिरते चले गए और भीड़ उन्हें रौंदती रही।

सवाल ये भी उठ रहा है कि काफिला भीड़ के अंदर से क्यों निकाला? काफिले को अगर हाईवे पर अलीगढ़ की दिशा में लाकर किसी कट से भी एटा की ओर मोड़ा जा सकता था।