वंचित समाज के संत साकार विश्व हरि को नहीं देते मान्यता, बोले- धर्म की आड़ में लोगों की भावनाओं से खेला
सनातन परंपरा से महामंडलेश्वर व अन्य पदों पर प्रतिष्ठित वंचित समाज के संत साकार विश्व हरि को मान्यता नहीं देते। उनका कहना है कि भोले बाबा जैसे ही लोग वंचितों की भावनाओं से खेलते हैं। भोले बाबा ने स्वयं को चमत्कारी व्यक्ति के रूप में प्रदर्शित किया। धर्म की आड़ में वंचितों के बीच पाखंड का मायाजाल बुनकर उनकी भावनाओं से खेला जो अनुचित है।
जागरण संवाददाता, प्रयागराज। हाथरस में भगदड़ के बाद चर्चा में आए सूरजपाल उर्फ नारायण साकार विश्व हरि (भोले बाबा) ने वंचितों में अपना प्रभाव जरूर बनाया है, लेकिन सनातन परंपरा से महामंडलेश्वर व अन्य पदों पर प्रतिष्ठित वंचित समाज के संत उन्हें मान्यता नहीं देते।
उनका कहना है कि 'भोले बाबा' जैसे ही लोग वंचितों की भावनाओं से खेलते हैं। भोले बाबा ने स्वयं को चमत्कारी व्यक्ति के रूप में प्रदर्शित किया। धर्म की आड़ में वंचितों के बीच पाखंड का मायाजाल बुनकर उनकी भावनाओं से खेला, जो अनुचित है। कोई भी ईश्वर के समक्ष नहीं खड़ा हो सकता। चमत्कार व पाखंड का सनातन धर्म में स्थान नहीं।
महेंद्रानंद गिरि वंचित समाज के प्रथम जगदगुरु
वंचित समाज के महेंद्रानंद गिरि को जूना अखाड़ा ने प्रथम जगदगुरु की उपाधि प्रदान की है। महेंद्रानंद कहते हैं कि संन्यास त्याग व समर्पण का प्रतीक है, जो गुरु-शिष्य परंपरा से चलता है। संन्यासी तपस्वी होता है। वह स्वयं को ईश्वर के समकक्ष नहीं खड़ा करता। ऐसा करने वाले सनातन धर्म के विरोधी हैं।जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर कन्हैया प्रभुनंद गिरि भी वंचित समाज से आते हैं। वह कहते हैं कि कथावाचक व चमत्कार दिखाने वाले सनातन धर्म के सबसे बड़े विरोधी हैं। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद को ऐसे पाखंडी लोगों के खिलाफ अभियान चलाना चाहिए। ऐसा न किया गया तो सनातन धर्मावलंबियों की आस्था डिगने लगेगी।
जूना अखाड़ा ने कही ये बात
अखिल भारतीय दंडी संन्यासी परिषद के अध्यक्ष स्वामी ब्रह्माश्रम कहते हैं कि अखाड़े वंचित समाज को सनातन धर्म से जोड़ने के लिए वर्षों से प्रयासरत हैं। जूना अखाड़ा ने 10 वर्षों में 5,150 से अधिक वंचित समाज के लोगों को संन्यासी बनाया है। इनके अलावा निर्मोही अनी अखाड़ा सहित कई अखाड़ों में 50 से अधिक संन्यासी वंचित समाज के हैं, जो अलग-अलग क्षेत्रों में भजन-पूजन में लीन हैं। ये परमात्मा की स्तुति में लीन हैं। जो स्वयं को चमत्कारी बता रहे हैं वो पाखंडी हैं। इनका सनातन धर्म से कोई संबंध नहीं है।खुद को भगवान बताता था बाबा
सूरजपाल सिंह से नारायण साकार विश्व हरि बना बाबा सत्संग में प्रवचन के दौरान खुद को भगवान कहता था। किसी भी संकट के समाधान के लिए खुद के चरणों की रज माथे पर लगाने के लिए कहता था। बाबा के प्रवचन के तमाम वीडियो इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित हुए हैं। तिहरी सुरक्षा में रहता कोट-पैंट और टाई के साथ रंगीन चश्मा पहने मंच पर दिखाई देने वाले वाबा की त्रिस्तरीय सुरक्षा रहती है।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।