मीर मोहम्मद ने गरीबों को दी इस्लाम की शिक्षा
कालपी, अंप्र. : खानकाह शरीफ में मीर मोहम्मद तिरमिजी की मजार है, जिनकी याद में 5 जुलाई से तीन दिवसीय उर्स का आयोजन होगा। जिसमें देश भर से अकीदतमंद आएंगे। मीर मुहम्मद नगर में अपने उस्ताद के आदेश पर आए थे और मदरसा खोलकर गरीबों को इस्लाम की शिक्षा दी थी।
मीर मुहम्मद के पिता अबू सईद दानिशमंद बादशाह शाहजहां के काल में जालघर पंजाब के कलेक्टर थे। उसी समय हमले में अबू सईद साहब शहीद हो गए। इसके बाद मीर मोहम्मद की मां ने उन्हें पढ़ने के लिए जहानाबाद दारुल यूनिवर्सिटी भेज दिया, जहां उन्होंने अपने उस्ताद शाह जमामुल से उच्च शिक्षा पाई और शिक्षा पाने के बाद उनको दस्तार बंधी की उपाधि से नवाजा गया। अपने उस्ताद के आदेश पर वह कालपी आए और यहां उस्ताद की शैली को अपनाते हुए मदरसा खोलकर गरीब बच्चों को इस्लामी शिक्षा देनी शुरू की। इसकी वजह से वह पूरे उत्तर भारत में विख्यात हो गए। इनके देहावसान के बाद इनके शिष्य दारम शाह अझमल इलाहाबादी ने इनके शिक्षा मिशन को आगे बढ़ाया। मीर मोहम्मद साहब का मुख्य उद्देश्य इस्लामी लोगों को शिक्षा देना था। मीर साहब के साथ ही उनके बेटे तथा पोतों की मजारें यहां खानकाह शरीफ में स्थित हैं। आज भी यहां मदरसा चलता है। उनकी यौमे बफात के मौके पर खानकाह उर्स का आयोजन होता है। इस बार 369 वां उर्स-ए-आलिया मुहम्मदिया खानकाह शरीफ में 5 से 7 जुलाई तक होगा।
देशभर से आएंगे अकीदतमंद
उर्स में 5 जुलाई को आल इंडिया नातिया मुशायरे का आयोजन होगा, जिसमें मशहूर शायर दिलकश रांची, जमजम फतेहपुर, सादाब पैकर कलकत्ता, हुनर प्लांबी झारखंड से आएंगे। 6 को जुलूस-ए-मुहम्मदी रावगंज स्थित मखदूम साहब की दरगाह से उठेगा तथा खानकाह शरीफ में समाप्त होगा। जुलूस का नेतृत्व खानकाह शरीफ के सज्जादा नशीन सैय्यद ग्यासुद्दीन मियां व मुफ्ती अशफाक करेंगे तथा रात में तकरीर का होगी। 7 जुलाई को अमन चैन व सौहार्द की दुआ मांगने के बाद उर्स का समापन होगा। कमेटी के चीफ कंट्रोलर शान मोहम्मद ने बताया कि उर्स की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं।
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