थानाध्यक्ष की अकड़ ने उजाड़ दी सिपाही की दुनिया, तबीयत अधिक बिगड़ने पर ज्योति अपने पति सिपाही विकास को ही पुकारती रही
थाना रामपुरा में तैनात सिपाही विकास निर्मल दिवाकर को अपनी पत्नी ज्योति की बड़े अस्पताल में प्रसव के लिए भर्ती कराना चाहता था। छुट्टी के लिए सिपाही थानाध्यक्ष अर्जुन सिंह को कई बार आवेदन दे चुका था। इसके बाद भी उसे छुट्टी नहीं दी। परिणाम स्वरूप सिपाही विकास की पत्नी ज्योति की उचित उपचार न मिलने के कारण नवजात बेटी के साथ मौत हो गई थी।
जागरण संवाददाता, उरई। घर में किलकारी गूंजेंगी, पत्नी को बच्चे के जन्म पर कई तोहफे भी देने हैं, कुछ ऐसे ही सपने संजोते हुए रामपुरा थाने में तैनात सिपाही विकास ने अपनी पत्नी ज्योति के लिए पूरी तैयारी की थी। पत्नी के प्रसव का समय नजदीक आया तो उसने थानाध्यक्ष से अवकाश के लिए पत्र दिया। इस पर थानाध्यक्ष ने अकड़ दिखाते हुए सिरे से उसे खारिज कर दिया था।
थानाध्यक्ष की इस क्षणिक अकड़ के आगे सिपाही घर जाने जाने को लेकर छटपटाता रह गया। आखिर दूसरे दिन सूचना मिली कि उसकी पत्नी व नवजात बच्ची की प्रसव के कुछ देर बाद ही मौत हो चुकी है। यह सूचना जब थानाध्यक्ष को चली तो वह स्वयं सिपाही को साथ लेकर ग्राम बेलाहार पहुंचे, यदि सिपाही को लेकर एक दिन पहले ही थानाध्यक्ष चले जाते या अवकाश दे देते तो उसका परिवार यूं न उजड़ता। इस मामले में एसपी ने थानाध्यक्ष के खिलाफ कार्रवाई के लिए चुनाव आयोग को पत्र लिखा है।
क्या है पूरा मामला?
थाना रामपुरा में तैनात सिपाही विकास निर्मल दिवाकर को अपनी पत्नी ज्योति की बड़े अस्पताल में प्रसव के लिए भर्ती कराना चाहता था। छुट्टी के लिए सिपाही थानाध्यक्ष अर्जुन सिंह को कई बार आवेदन दे चुका था। इसके बाद भी उसे छुट्टी नहीं दी। परिणाम स्वरूप सिपाही विकास की पत्नी ज्योति की उचित उपचार न मिलने के कारण नवजात बेटी के साथ मौत हो गई थी।इस सूचना के बाद सिपाही को लेकर थानाध्यक्ष उसके गृह जनपद गए और कुछ समय वहां रुककर वापस थाने लौट आए। ग्राम बेलाहार थाना कुरावली जिला मैनपुरी के रहने वाले सिपाही विकास निर्मल की शादी झांसी के पास ललितपुर में रहने वाली ज्योति से हुई थी।विकास के घर में सिर्फ उसकी मां ही अकेली रहती थी। शादी के पहले ही ज्योति की महाराष्ट्र पुलिस में आरपीएफ में महिला सिपाही के पद पर नौकरी लग गई थी। वर्तमान में वह गर्भवती होने के चलते मेडिकल छुट्टी पर थी। सिपाही विकास के गांव में मां व पत्नी ही घर पर अकेली थी।
आखिरी समय विकास को पुकारती रही ज्योति
सिपाही की मां बृजरानी देवी ने बातचीत में बताया बहू ज्योति और बेटे विकास ने मिलकर एक खुशहाल परिवार की कल्पना की थी। ड्यूटी पर तैनात विकास से पत्नी हमेशा अपने सुख दुख की बातें साझा करती थी। दोनों का सपना था कि एक पुत्री व एक पुत्र हो। ज्योति की तबीयत जब ज्यादा बिगड़ने लगी थी तो वह सिर्फ अपने पति विकास को ही पुकारे जा रही थी।
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