मांगने पर नहीं मिली छुट्टी… पत्नी-बच्चे ने छोड़ी दुनिया तो सिपाही को मिला 30 दिन का अवकाश, यूपी पुलिस विभाग का वाकया
रामपुरा थाने में तैनात सिपाही विकास निर्मल को मांगने पर भी अवकाश नहीं मिला और प्रसव के बाद सही इलाज न मिलने से मैनपुरी में उसकी पत्नी और नवजात बच्ची की मौत हो गई। इसके बाद अब सिपाही को 30 दिन का अवकाश दिया गया है। परिजनों ने मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश पुलिस व एसपी जालौन के पोर्टल पर शिकायत की है।
जागरण संवाददाता, जालौन। रामपुरा थाने में तैनात सिपाही विकास निर्मल को मांगने पर भी अवकाश नहीं मिला और प्रसव के बाद सही इलाज न मिलने से मैनपुरी में उसकी पत्नी और नवजात बच्ची की मौत हो गई। इसके बाद अब सिपाही को 30 दिन का अवकाश दिया गया है।
परिजनों ने मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश पुलिस व एसपी जालौन के पोर्टल पर शिकायत की है। एसपी डा. ईरज राजा की जांच में थाना प्रभारी अर्जुन सिंह दोषी पाए गए हैं। एसपी ने कहा कि विभागीय कार्रवाई की जाएगी।
यह है पूरा मामला
सिपाही विकास निर्मल मैनपुरी के थाना कुरावली के बेलाहार के निवासी हैं। उन्होंने बताया कि पत्नी ज्योति का प्रसव होना था। वह कई दिन से थाना प्रभारी अर्जुन सिंह से इसके लिए छुट्टी मांग रहे थे, लेकिन उन्होंने चुनाव का हवाला देते हुए अवकाश स्वीकृत नहीं किया।शुक्रवार को पत्नी को प्रसव पीड़ा होने पर परिजनों ने मैनपुरी के कुरावली प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया। शनिवार को उन्होंने बच्ची को जन्म दिया। प्रसव के बाद हालत बिगड़ने पर उन्हें जिला अस्पताल और वहां से आगरा रेफर कर दिया गया। आगरा ले जाते समय रास्ते में जच्चा-बच्चा ने दम तोड़ दिया। रविवार को दोनों का अंतिम संस्कार किया गया।
अच्छे अस्पताल में नहीं दिखा पाया
सिपाही का आरोप है कि समय रहते पत्नी को अच्छे अस्पताल नहीं ले जाया जा सका, इसलिए दोनों की मौत हुई है। एएसपी असीम चौधरी ने बताया कि सिपाही ने थाना प्रभारी से अवकाश मांगा था। सिपाही को इससे पहले 25 अवकाश दिए जा चुके थे। फिर भी अगर जरूरत थी, तो उन्हें अवकाश दिया जाना चाहिए था।माधौगढ़ सीओ शैलेंद्र वाजपेयी की प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि थाना प्रभारी ने अवकाश देने में लापरवाही की है। सिपाही ने 30 दिन का ईएल (उपार्जित अवकाश) दिए जाने का पत्र दिया था, थानाध्यक्ष ने उसे अस्वीकृत कर दिया। सिपाही 15 दिन का अर्जित अवकाश (ईएल) ले चुके थे, 15 ईएल शेष थी।
थाना प्रभारी की ओर से यह गलती की गई कि उनके पत्र को उच्चाधिकारियों के संज्ञान में नहीं लाया गया। घटना के संबंध में थाना प्रभारी से बात करने का प्रयास किया गया, लेकिन उनका फोन स्विच ऑफ बताता रहा।
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