Independence Day 2023 जालौन जिले के हरचंदपुर में 25 सितंबर 1947 को तिरंगे के अपमान में सड़कों पर उतरे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों पर बावनी स्टेट की निजाम ने गोलियां बरसा दी थीं। खून की नदियां की बह रही थीं। तिरंगा फहराने को लेकर पाबंदी ने जिले में एक और जलियावाला बाग की कहानी दोहरा दी थी। दरअसल उन दिनों जिले की बावनी स्टेट हैदराबाद के निजामों के हाथों थी।
By mahesh prajapatiEdited By: Nitesh SrivastavaUpdated: Mon, 14 Aug 2023 05:30 PM (IST)
विमल पांडेय , जालौन : बुंदेलखंड के अंर्तमन में जंग-ए-आजादी की अनेक गाथाएं हैं। आजादी की लड़ाई लड़ने को यूं तो जज्बा उन दिनों हर भारतीय में रहा है। लेकिन जुल्मों सितम की पीर तब और भयावह हो रही थी जब देश में तिरंगे का अपमान होने लगा था।
जालौन जिले के हरचंदपुर में 25 सितंबर 1947 को तिरंगे के अपमान में सड़कों पर उतरे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों पर बावनी स्टेट की निजाम ने गोलियां बरसा दी थीं। खून की नदियां की बह रही थीं। तिरंगा फहराने को लेकर पाबंदी ने जिले में एक और जलियावाला बाग की कहानी दोहरा दी थी।
दरअसल उन दिनों जिले की बावनी स्टेट हैदराबाद के निजामों के हाथों थी। उन्हीं की सल्तनत और उन्हीं का कानून। आजादी का जश्न मना रहे कुछ क्रांतिवीरों ने जब तिरंगा यात्रा निकालने की कोशिश की तो सल्तनत के तत्कालीन कोतवाल अहमद हुसैन ने उन क्रांतिकारियों पर बर्बरता पूर्वक गोली चलवा दी थी।
इस गोलीकांड में 11 स्वतंत्रता संग्राम सेनानी शहीद हो गए थे जब कि 26 लोग घायल हो गए थे। यह घटना थी 25 सितंबर 1947 की। बावनी स्टेट को गुलाम भारत के दौरान अंग्रेजों ने राज्यसत्ता की मान्यता दे दी थी।
इस घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया था।
गांधी महाविद्यालय के प्रवक्ता कुमारेंद्र सिंह कहते हैं कि उन दिनों बावनी स्टेट में तिरंगा फहराने, भाषण देने, नारे लगाने तथा जुलूस निकालने में रोेक लगी थी। ऐसे में क्रांतिकारी पं. विश्वनाथ व्यास के नेतृत्व में निजाम की सल्तनत और कानूनों के विरुद्ध आवाज उठाई गई थी।
इस घटना में लल्लू सिंह बागी, कालिया पाल सिजहरा, जगन्नाथ यादव उदनापुर, मुन्ना भुर्जी उदनापुर, ठकुरी सिंह हरचंदपुर, दीनदयाल पाल सिजहरा, बलवान सिंह हरचंदपुर, बाबूराम शिवहरे जखेला, बाबूराम हरचंदपुर व बिंदा जखेला सहित 11 लोग बलिदान हो गये थे।
इस घटना के बाद 25 जनवरी 1950 को बावनी स्टेट का विलय भारत संघ में हुआ था। हरचंदपुर गांव में शहीदों की याद में एक स्मारक बनवाया गया था। यह स्मारक स्थल आज भी देश के दूसरे जलियां वाले बाग की घटना की याद दिलाता है।
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