Bundelkhand Expressway: बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे निर्माण के लिए हुए मिट्टी खनन की जांच के NGT ने दिये निर्देश
Bundelkhand Expresswayबुंदेलखंड एक्सप्रेसवे निर्माण के लिए हुए मिट्टी खनन के लिए एनजीटी ने तीन सदस्यीय टीम गठित कर जांच करने के आदेश दिए हैं। बता दें कि नरछा के अरुण तिवारी ने बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे निर्माण के लिए कार्यदायी संस्था पर गंभीर आरोप लगाए थे। बता दें कि फरवरी 2020 में इसका निर्माण शुरू हुआ था और जुलाई 2022 में इसे जनता के लिए लोकार्पित किया गया था।
जागरण संवाददाता, उरई (जालौन)। बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के निर्माण के लिए मिट्टी खनन का मामला फिर सुर्खियों में है। किसानों की बिना अनुमति एवं मानकों की धज्जियां उड़ा खेतों से मिट्टी खनन करने की शिकायत राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) में की गई है। इस पर एनजीटी ने जालौन के डीएम से तीन सदस्यीय टीम गठित कर पूरे मामले की जांच कर आख्या प्रस्तुत करने का आदेश दिया है।
चार लेन का यह एक्सप्रेसवे चित्रकूट से इटावा तक बना गया है और इसकी लंबाई 296 किमी है। फरवरी 2020 में इसका निर्माण शुरू हुआ था और जुलाई 2022 में इसे जनता के लिए लोकार्पित किया गया था। सदर तहसील के ग्राम नरछा निवासी अरुण तिवारी ने एक्सप्रेसवे निर्माण के लिए खेतों से मानक से अधिक मिट्टी निकालने को लेकर एनजीटी में याचिका दाखिल की थी।
उनका आरोप था कि एक्सप्रेसवे के निर्माण में जितनी भी मिट्टी का भराव हुआ है, उसकी खोदाई एक्सप्रेसवे सीमा से सटे खेतों से की गई थी। जिन खेतों से मिट्टी उठाई गई है, उनके मालिक किसानों से अनुमति नहीं ली गई। खेत से मिट्टी मानक के अनुरूप दो मीटर खोदाई कर उठाने का नियम है, लेकिन मेसर्स गावर कंस्ट्रक्शन लिमिटेड ने 10 से 15 मीटर गहराई तक खोदाई कर डाली।
उनका आरोप है कि खेतों में गहरे मिट्टी खनन के कारण पानी भर गया और इसमें डूबकर सैकड़ों मवेशी जान गंवा चुके हैं। खनन अवैध तरीके से किया गया जिससे पर्यावरण को भी काफी नुकसान हुआ है। इस पर एनजीटी ने संयुक्त समिति का गठन करने के लिए कहा है। इस समिति में उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) के अधिकारी, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय व लोक निर्माण विभाग के प्रतिनिधि रहेंगे, जबकि डीएम समन्वयक का कार्य करेंगे।
संयुक्त समिति मौके पर पता लगाएगी कि कितना अवैध खनन किया गया है। इसके अलावा उससे होने वाले पर्यावरण को नुकसान के साथ प्रक्रिया, निवारक और उपचारात्मक उपाय भी सुझाएगी। संयुक्त समिति को यह रिपोर्ट 15 दिसंबर तक प्रस्तुत करनी होगी।
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