UP Lok Sabha 2024 Result: इंडी गठबंधन को मिला मुस्लिमों का साथ, इन क्षेत्रों में रही बढ़त; हिंदु मतों में भी बटवारा
लोकसभा चुनाव की घोषणा के साथ ही सभी दलों का सबसे पहला रुख यही था कि वह किस प्रत्याशी को मैदान में उतारें। इसको लेकर सपा व बसपा ने काफी मंथन किया था लेकिन भाजपा ने अपने सीटिंग सांसद भानु प्रताप पर भरोसा जताते हुए पहली ही लिस्ट में उनका नाम फाइनल कर दिया था। इसके बाद मुस्लिम बस्तियों में लोग अपने-अपने वोट को लेकर चर्चाएं करने लगे थे।
जागरण संवाददाता, उरई। इस बार प्रारंभ से ही सपा-कांग्रेस गठबंधन भाजपा सरकार के खिलाफ मुस्लिमों को रिझाने में जुटी थी। वहीं तमाम केंद्रीय योजनाओं का बिना भेदभाव लाभ मिलने की बात कहकर भाजपा ने मुस्लिम मतदाताओं को बताने और अपने पक्ष में मोड़ने का भरपूर प्रयास किया लेकिन इसमें सफलता नहीं मिली। संसदीय क्षेत्र के मुस्लिम इलाकों में मतों की गिनती के दौरान यह साफ दिखा कि यह मत गठबंधन प्रत्याशी के पक्ष में एकजुट होकर गए।
लोकसभा चुनाव की घोषणा के साथ ही सभी दलों का सबसे पहला रुख यही था कि वह किस प्रत्याशी को मैदान में उतारें। इसको लेकर सपा व बसपा ने काफी मंथन किया था लेकिन भाजपा ने अपने सीटिंग सांसद भानु प्रताप पर भरोसा जताते हुए पहली ही लिस्ट में उनका नाम फाइनल कर दिया था। इसके बाद से चुनावी माहौल शुरू हुआ था। सबसे अधिक मुस्लिम बस्तियों में लोग अपने-अपने वोट को लेकर चर्चाएं करने लगे थे।
संसदीय सीट में नौ प्रतिशत मुस्लिम समाज का वोट
दबी जुबान से वह सिर्फ यही कह रहे थे कि जो भी भाजपा प्रत्याशी को चुनाव में हराएगा वह उसी प्रत्याशी को वोट देंगे। संसदीय सीट में नौ प्रतिशत मुस्लिम समाज का वोट है। जिसमें शहर के बजरिया के अलावा कालपी, कदौरा, कोंच व कोटरा में सबसे अधिक मतदाता इस समाज के थे। जिन्होंने एकजुट होकर अपना वोट गठबंधन से सपा प्रत्याशी नारायण दास अहिरवार के पक्ष में किया।नतीजा यह रहा कि उनका वोट भले ही नौ प्रतिशत रहा हो लेकिन एकजुटता से एक ही प्रत्याशी को वोट दिया। जबकि प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभा के दौरान मुस्लिम समाज पर कटाक्ष किया था और राम मंदिर, हिंदूवाद, के साथ ही यूसीसी पर खुलकर बयान दिया था। इसके बाद से मुस्लिम समाज का वोटर और मजबूती के साथ सपा के खेमे में खड़ा हो गया।370 के साथ ही तीन तलाक का मुद्दा विधानसभा चुनाव में छाया हुआ था लेकिन इस लोकसभा चुनाव में इन दोनों मुद्दों पर प्रदेश व केंंद्र सरकार ने बात नहीं की। हिंदू-मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में भी जो भी मुस्लिम समाज का वोटर घर से निकला तो सिर्फ वह सपा को वोट करने के लिए जबकि हिंदुओं का वोट भी भाजपा को उतनी ज्यादा तादाद में नहीं मिला। दूसरी ओर बसपा की ओर से भी मुस्लिम मतों को रिझाने के लिए प्रयास किए गए लेकिन उन्हें इसका फायदा नहीं मिल सका।
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