इजरायल में युद्ध बढ़ने के साथ ही भारतीय श्रमिकों की बढ़ी धड़कनें, कमरों में छिपकर रहने को मजबूर
इजरायल में युद्ध की स्थिति के कारण वहां गए भारतीय श्रमिकों की चिंता बढ़ गई हैं। मिसाइल हमलों के बीच वे कमरों में बंद हैं और सायरन बजते ही बंकरों में शरण ले रहे हैं। भारतीय दूतावास श्रमिकों के संपर्क में है और उनकी सुरक्षा का ध्यान रखा जा रहा है। हालांकि खतरा बढ़ने पर उन्हें वापस बुलाया जा सकता है।
जागरण संवाददाता, जौनपुर। इजरायल में लगातार गिर रहे मिसाइलों के बीच बेहतर कल का सपना लिए गए श्रमिकों की धड़कनें बढ़ गई हैं। दहशत के बीच वह कमरों से नहीं निकल रहे हैं, हालांकि भारतीय दूतावास श्रमिकों के संपर्क में है व सभी की जानकारी अधिकारियों के पास उपलब्ध है।
सभी के मोबाइल फोन पर संदेश भेजकर सतर्क रहने की बात कही जा रही है। इसके साथ ही जरूरत के समय मदद दिए जाने का भी भरोसा दिया जा रहा है। जिले के विभिन्न क्षेत्रों से तकरीबन 25 श्रमिक भारत-इजरायल समझौते के बीच वहां नौकरी करने गए हैं।
हमले के बाद इजरायल की चिंताजनक हालात
इजरायल पर ईरान की ओर से भी हमले के बाद वहां हालत चिंताजनक है। ईरान की ओर से एक बार फिर इजरायल पर हमले के एलान के बाद वहां गए भारतीयों के लिए खतरा बढ़ गया है। बढ़े हमलों के बीच श्रमिक अपने कमरों से बाहर नहीं निकल रहे हैं। इसके साथ ही सायरन की आवाज सुनते ही सभी कार्य क्षेत्र के आस-पास बने बंकरों में पहुंचकर खुद को सुरक्षित करते हैं।जिले के श्रमिकों के साथ अभी तक तक तो किसी अनहोनी की सूचना नहीं है, लेकिन सभी के अंदर एक डर समाया हुआ है। मछलीशहर ब्लाक के मधईपुर निवासी भीम कुमार बिंद इजरायल के तेल अवीव में वेल्डिंग के कार्य में लगे हैं।
रह-रहकर गिर रही मिसाइलें
भीम ने कहा कि रह-रहकर आस-पास लगातार बमबारी के साथ ही मिसाइलें गिर रही हैं। उन्होंने बताया कि भारतीय दूतावास के अधिकारी श्रमिकों के संपर्क में हैं। इसके साथ ही स्थानीय प्रशासन की ओर से भी सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा जा रहा है।शाहगंज के बड़ागांव निवासी अनिल गुप्त अपने बूढ़े-मां-बाप को पक्का घर देने के संकल्प के साथ निकले हैं। अनिल इजरायल के ही साउथ नेतन्या में एक कांच का दरवाजा बनाने की फैक्ट्री में कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि फिलहाल सभी पूर्ण रूप से सुरक्षित हैं व लौटने का कोई इरादा नहीं है।
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