घूस में हिस्सा बढ़ाने को नायब तहसीलदार के कर्मी ने डीएम को लिखा लेटर, हकीकत सामने आते ही मच गई खलबली
यूपी के जौनपुर में एक लेटर से प्रशासन में हड़कंप मच गया। नायब तहसीलदार के एक निजी कर्मचारी के नाम से इंटरनेट मीडिया में प्रसारित एक पत्र में घूस के पैसे में उचित हिस्सेदारी की मांग की गई है। जिलाधिकारी ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं। जांच में पाया गया कि तहसील में कोई भी कर्मचारी बाहरी नहीं है और पत्र भी फर्जी है।
जागरण संवाददाता, जौनपुर। शाहगंज तहसील के नायब तहसीलदार के एक प्राइवेट कर्मचारी के नाम इंटरनेट मीडिया में प्रसारित एक पत्र ने पूरे तहसील की हकीकत को सामने ला दी। नायब तहसीलदार ही नहीं तहसीलदार व एसडीएम तक में खलबली मच गई। झटपट मामले की जांच शुरू होने के साथ ही रिपोर्ट तक आ गई और जांच भी पूरी हो गई।
स्पष्ट कर दिया गया कि तहसील में कोई भी कर्मचारी बाहरी नहीं है और पत्र भी फर्जी ही है। वहीं, दूसरे दिन जिलाधिकारी के निर्देश पर अपर जिलाधिकारी भी जांच के लिए तहसील पहुंच गए और उन्होंने भी स्पष्ट कर दिया कि कोई बाहरी कर्मचारी तहसील में नहीं मिला।
प्रसारित पत्र भी किसी शरारती तत्व की करतूत है, फिर जांच की जा रही है। सवाल यह है कि पत्र एक अधिकारी के कर्मचारी के नाम से प्रसारित हुआ तो सरगर्मी गई वहीं आमजन ऐसे मामलों को लेकर दर-दर भटकता रहता है, लेकिन ऊपर से लेकर नीचे तक न तो उनकी कहीं सुनवाई होती है और न ही इतनी तत्परता से जांच ही होती है।
यह है पूरा मामला
शुक्रवार की शाम नायब तहसीलदार लपरी शैलेंद्र कुमार सरोज के प्राइवेट चपरासी राजाराम यादव के नाम का एक पत्र इंटरनेट मीडिया में प्रसारित हुआ। पत्र तीन सितंबर को जिलाधिकारी को रजिस्टर्ड डाक से भेजा गया है।
इसमें जिलाधिकारी से शिकायत करते हुए खुद को प्राइवेट चपरासी बताने वाले व्यक्ति ने कहा है कि नायब तहसीलदार के कार्यालय में मैं प्राइवेट कर्मचारी के रूप में काम करता हूं। सारा घूस का पैसा मेरे द्वारा ही वसूला जाता है। मेरे साथ दो और प्राइवेट कर्मचारी भी काम करते हैं, लेकिन हम लोगों को एक हजार रुपये के बजाय पांच सौ दिया जाता है, जो गलत है।
पत्र में जिलाधिकारी से अनुरोध किया गया है कि उसे एक हजार रुपये प्रतिदिन दिलवाया जाए। पत्र पर जिलाधिकारी कार्यालय की ओर से उसी दिन उपजिलाधिकारी को जांच का आदेश दिया गया है। उपजिलाधिकारी शाहगंज राजेश कुमार ने नायब तहसीलदार लपरी से पांच सितंबर को रिपोर्ट मांगी और 12 घंटे के अंदर उपजिलाधिकारी ने जिलाधिकारी को रिपोर्ट भेज दिया कि तहसील में कोई कर्मचारी बाहरी नहीं है।
राजाराम नाम का भी कोई व्यक्ति नहीं है। इसकी जांच तहसीलदार से भी कराई गई है। शिकायतकर्ता का मोबाइल नंबर, पिता का नाम व पता भी नहीं है। ऐसे में शिकायत फर्जी है।
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