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घूस में हिस्सा बढ़ाने को नायब तहसीलदार के कर्मी ने डीएम को लिखा लेटर, हकीकत सामने आते ही मच गई खलबली

यूपी के जौनपुर में एक लेटर से प्रशासन में हड़कंप मच गया। नायब तहसीलदार के एक निजी कर्मचारी के नाम से इंटरनेट मीडिया में प्रसारित एक पत्र में घूस के पैसे में उचित हिस्सेदारी की मांग की गई है। जिलाधिकारी ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं। जांच में पाया गया कि तहसील में कोई भी कर्मचारी बाहरी नहीं है और पत्र भी फर्जी है।

By Anand Swaroop Chaturvedi Edited By: Abhishek Pandey Updated: Sat, 07 Sep 2024 04:21 PM (IST)
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जौनपुर : शाहगंज तहसील स्थित ग्राम न्यायालय के कार्यालय में कार्य करता प्राइवेट कर्मचारी । जागरण

जागरण संवाददाता, जौनपुर। शाहगंज तहसील के नायब तहसीलदार के एक प्राइवेट कर्मचारी के नाम इंटरनेट मीडिया में प्रसारित एक पत्र ने पूरे तहसील की हकीकत को सामने ला दी। नायब तहसीलदार ही नहीं तहसीलदार व एसडीएम तक में खलबली मच गई। झटपट मामले की जांच शुरू होने के साथ ही रिपोर्ट तक आ गई और जांच भी पूरी हो गई।

स्पष्ट कर दिया गया कि तहसील में कोई भी कर्मचारी बाहरी नहीं है और पत्र भी फर्जी ही है। वहीं, दूसरे दिन जिलाधिकारी के निर्देश पर अपर जिलाधिकारी भी जांच के लिए तहसील पहुंच गए और उन्होंने भी स्पष्ट कर दिया कि कोई बाहरी कर्मचारी तहसील में नहीं मिला।

प्रसारित पत्र भी किसी शरारती तत्व की करतूत है, फिर जांच की जा रही है। सवाल यह है कि पत्र एक अधिकारी के कर्मचारी के नाम से प्रसारित हुआ तो सरगर्मी गई वहीं आमजन ऐसे मामलों को लेकर दर-दर भटकता रहता है, लेकिन ऊपर से लेकर नीचे तक न तो उनकी कहीं सुनवाई होती है और न ही इतनी तत्परता से जांच ही होती है।

यह है पूरा मामला

शुक्रवार की शाम नायब तहसीलदार लपरी शैलेंद्र कुमार सरोज के प्राइवेट चपरासी राजाराम यादव के नाम का एक पत्र इंटरनेट मीडिया में प्रसारित हुआ। पत्र तीन सितंबर को जिलाधिकारी को रजिस्टर्ड डाक से भेजा गया है।

इसमें जिलाधिकारी से शिकायत करते हुए खुद को प्राइवेट चपरासी बताने वाले व्यक्ति ने कहा है कि नायब तहसीलदार के कार्यालय में मैं प्राइवेट कर्मचारी के रूप में काम करता हूं। सारा घूस का पैसा मेरे द्वारा ही वसूला जाता है। मेरे साथ दो और प्राइवेट कर्मचारी भी काम करते हैं, लेकिन हम लोगों को एक हजार रुपये के बजाय पांच सौ दिया जाता है, जो गलत है।

पत्र में जिलाधिकारी से अनुरोध किया गया है कि उसे एक हजार रुपये प्रतिदिन दिलवाया जाए। पत्र पर जिलाधिकारी कार्यालय की ओर से उसी दिन उपजिलाधिकारी को जांच का आदेश दिया गया है। उपजिलाधिकारी शाहगंज राजेश कुमार ने नायब तहसीलदार लपरी से पांच सितंबर को रिपोर्ट मांगी और 12 घंटे के अंदर उपजिलाधिकारी ने जिलाधिकारी को रिपोर्ट भेज दिया कि तहसील में कोई कर्मचारी बाहरी नहीं है।

राजाराम नाम का भी कोई व्यक्ति नहीं है। इसकी जांच तहसीलदार से भी कराई गई है। शिकायतकर्ता का मोबाइल नंबर, पिता का नाम व पता भी नहीं है। ऐसे में शिकायत फर्जी है।

एडीएम ने बताया अराजकतत्व की करतूत

घूस के पैसे में उचित हिस्सेदारी की मांग को लेकर शिकायती पत्र को जिलाधिकारी रविंद्र कुमार मादंड़ ने गंभीरता से लेते हुए अपर जिलाधिकारी राम अक्षयवर को जांच का आदेश दिया। शुक्रवार को अपर जिलाधिकारी ने तहसील पहुंचकर विभिन्न कार्यालयों की जांच की। उन्हें कोई प्राइवेट कर्मचारी काम करता नहीं मिला।

उन्होंने तहसील के अधिकारियों व कर्मचारियों से मामले की जानकारी ली। बताया कि प्रथमदृष्टया यह मामला किसी अराजक तत्व का करतूत लग रहा है, फिर भी जांच की जा रही है।

तहसील के अधिवक्ताओं ने कहा, शिकायत सही

तहसील के अधिवक्ता अनुराग सिंह राणा ने कहा कि राजाराम नाम का व्यक्ति नायब तहसीलदार लपरी के यहां है। यही नहीं अन्य पटलों पर भी निजी कर्मचारी काम करते हैं। यही अधिकारियों से सेटिंग-गेटिंग करते हैं, लेकिन इनको कुछ नहीं मिलता। आज जब कोई आवाज उठाया तो खलबली मच गई। इसी तरह वरिष्ठ अधिवक्ता नवल किशोर ने कहा कि सिर्फ राजाराम ही नहीं और भी कई प्राइवेट कर्मचारी विभिन्न कार्यालयों में काम करते हैं। अब मामला उजागर होने के बाद तहसील प्रशासन भले ही इन्कार करे।

अधिवक्ता अजय कुमार सिंह कहते हैं कि हर पटल पर प्राइवेट कर्मचारी कार्यरत हैं। तहसील में पूरी तरह लूट-खसोट, घूस आदि कार्य इन्हीं के द्वारा कराया जाता है। वरिष्ठ अधिवक्ता लालजी यादव इन सबसे अलग बात करते हुए कहते हैं कि बिना प्राइवेट कर्मचारियों के काम ही नहीं चलने वाला है। इस बात को स्वयं अधिकारी भी जानते हैं।

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