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नए कलेवर संग मजबूती के साथ खड़ा है दैनिक जागरण

मैं वर्तमान और भविष्य के दैनिक जागरण के बारे में बात कर रहा हूं, जो कि मेरे यथार्थ में

By JagranEdited By: Updated: Mon, 11 Dec 2017 06:55 PM (IST)
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नए कलेवर संग मजबूती के साथ खड़ा है दैनिक जागरण

मैं वर्तमान और भविष्य के दैनिक जागरण के बारे में बात कर रहा हूं, जो कि मेरे यथार्थ में है। एक ऐसा अ़खबार जो कि भारत वंशियों में पूरी दुनिया में आदरणीय है। आज पूरी दुनिया जहां बदलाव के दौर से गुजर रही है, वहीं जागरण भी इससे अछूता नहीं है। वह भी नए कलेवर के साथ अपने पाठकों के साथ मजबूती से खड़ा है। आज सामाजिक मान्यताएं बदल रही हैं-रिश्ते नातों की नई परिभाषाएं बन रही हैं, सामाजिक सरोकार कमरों तक सिमट गए हैं, सब कुछ अर्थ मय हो चला है लेकिन समय की डगर पर दैनिक जागरण आज भी जीवंत है और सामाजिक सरोकार के साथ सक्रिय भी।

तीन दशकों से मेरा नाता दैनिक जागरण के साथ बना है। दैनिक जागरण देखे बगैर हर सुबह अधूरी सी लगती है। इन तीन दशकों में देश बदला-दुनिया बदली हमारे समाज ने कई बदलावों को आत्मसात किया, मैंने लोगों के उद्देश्य और आदर्श बदलते देखे लेकिन दैनिक जागरण हर बदलाव को अपने में समाहित करता हुआ जन-जन की आवाज बना रहा। हमें इस बात पर भी गर्व है कि अपना जागरण जन-समूह के मुक्त स्वर को प्रति¨बबित करता हुआ आज दिल्ली, उत्तरप्रदेश, मध्य प्रदेश,हरियाणा, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, पंजाब, जम्मू-कश्मीर, हिमांचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल के साथ दुनिया का सबसे अधिक पढ़ा जाने वाला अ़खबार बन गया है। इस समाचार पत्र में राष्ट्रीय समाचार, राजनीति, खेल, मनोरंजन, प्रौद्योगिकी, राज्य समाचार, व्यापार, स्वास्थ, पोषण, आहार व राज्य की सभी महत्वपूर्ण खबरों के साथ-साथ हम अपने शहर और गांव गिरांव की स्थानीय खबरें भी समाहित पाते हैं। समय-समय पर इस पत्र ने जनसरोकार के मुद्दों पर भी अपनी लेखनी चलाते हुए समाज को जागरूक बनाने का काम किया। रोटी, कपड़ा, मकान, पेयजल, जल संचयन, कृषि विविधीकरण, खेती किसानी, जैविक खेती एवं मृदा परीक्षण जैसे सामयिक मुद्दों पर जागरण ने न केवल पहल की अपितु इसे समय-समय पर जनांदोलन का रूप दिया।

दैनिक जागरण को 1942 में स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी ऋषितुल्य श्री पूर्णचंद गुप्ता जी ने शुरू किया था। यह वह दौर था जब भारत में अंग्रे•ाों की दासता से मुक्त होने के लिए संघर्ष अपने चरम पर था। भारत छोड़ो आंदोलन का संघर्ष अपने उफान पर था। दैनिक जागरण ने अपने दृढ़ इच्छाशक्ति के चलते सच को उजागर कर समाज और देश को एक नई दिशा और ऊर्जा दी। मैं तो दैनिक जागरण का पिछले 30 वर्षों से ही पाठक हूं परंतु दैनिक जागरण ने अपने 75 वर्ष के अतीत में बहुत कुछ देखा है। स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर आपात काल और फिर न्यू मीडिया के अभ्युदय तक का सक्रिय साक्षी रहा है। हम सभी की अनंत शुभकामनाएं सदा दैनिक जागरण के साथ है। इसी तरह अपनी शतकीय पारी को शानदार तरीके से पूरी करें। बकौल एक उर्दू शायर, यही आशा और विश्वास है कि-

दिल वो है कि फरियाद से लबरेज है हर वक्त, हम वो हैं कि मुंह से कुछ निकलने नहीं देते।।

डा.मनोज मिश्र-असिस्टेंट प्रो़फेसर-जनसंचार एवं पत्रकारिता विभाग, वीर बहादुर ¨सह पूर्वांचल विश्वविद्यालय, जौनपुर (उ0प्र0)