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Dhananjay Singh: 10 साल या उम्रकैद? पूर्व सांसद धनंजय सिंह को आज सुनाई जाएगी सजा

Dhananjay Singh News अपहरण व रंगदारी मांगने के मामले में दोषी करार द‍िए गए जौनपुर के पूर्व सांसद धनंजय सिंह की सजा के प्रश्न पर आज सुनवाई होगी। कोर्ट ने पूर्व सांसद धनंजय स‍िंह को न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया है। बता दें क‍ि कोर्ट ने अन्य साक्ष्यों के अलावा 15 परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर ही सजा सुनाया है।

By Anand Swaroop Chaturvedi Edited By: Vinay Saxena Updated: Wed, 06 Mar 2024 08:17 AM (IST)
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दीवानी न्यायालय से जिला कारागार को ले जाए जाते पूर्व सांसद धनंजय सिंह (बीच में)। फोटो- अजीत बादल चक्रवर्ती
जागरण संवाददाता, जौनपुर। अपर सत्र न्यायाधीश एमपी-एमएलए कोर्ट शरद त्रिपाठी ने नमामि गंगे परियोजना के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंघल के अपहरण व रंगदारी मांगने के मामले में आरोपी जौनपुर के पूर्व सांसद धनंजय सिंह व संतोष विक्रम को मंगलवार को दोषी करार दिया। सजा के प्रश्न पर आज (बुधवार) को सुनवाई होगी। कोर्ट ने दोनों को न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया है। कोर्ट ने अन्य साक्ष्यों के अलावा 15 परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर ही सजा सुनाया है।

15 परिस्थितिजन्य साक्ष्यों में घटना की सूचना त्वरित रूप से घटना के दिन ही अभियुक्तगण को नामजद करते हुए लिखाया जाना, प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज होने के तुरंत बाद वादी मुकदमा द्वारा विवेचना के दौरान दिए गए बयाने में एक से अधिक बार घटना का समर्थन करना, घटना की सूचना अखबार में प्रकाशित होने पर थानाध्यक्ष से ही सुरक्षा की मांग करना, थानाध्यक्ष द्वारा प्रथम सूचना रिपोर्ट के तुरंत बाद वादी को सुरक्षा देना तथा उसके कई दिनों के बाद वादी को सुरक्षा व्यवस्था के तहत उसके घर पर पहुंचाना।

मामले में वादी, अभियुक्तगण व साक्षीगण के मोबाइल की सीडीआर से मौके के समय घटना स्थल पर उपस्थित होना व आपस में बातचीत करना साबित है। इसके बाद घटना के समय अभियुक्तगण की घटनास्थल पर उपस्थिति भी साबित है। घटना के समय सीसीटीवी फुटेज व वादी व अभियुक्तगण की काल डिटेल व वाट्सएप मैसेज भी घटना को घटित होना साबित करते हैं। घटना के तुरंत बाद वादी द्वारा हरेन्द्र पाल को किए गए मैसेज भी घटना को आपराधिक होना साबित करता है। घटना में प्रयुक्त गाड़ी का घटनास्थल से बरामद होना भी घटना होने में एक कड़ी का काम करता है।

घटना के तुरंत बाद वादी द्वारा तथा एसपी जौनपुर से मुलाकात करना तथा उसके बाद थाने जाकर लिखित रूप से सूचना देना, घटना का होना साबित करते हैं। घटना के समय नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत कार्य होना साबित है। यह भी साबित है कि वादी मुकदमा नमामि गंगे में कार्य करने वाली कंपनी में प्रोजेक्ट मैनेजर के तौर पर था तथा इस दौरान कार्य के लिए मेटेरियल की आवश्यकता थी जिसकी पूर्ति के लिए आरोपित आकांक्षी थे।

इस मामले में अभियोजन द्वारा घटना को कारित करने का आरोपितों का उद्देश्य साबित किया गया है। घटनास्थल पर घटना के समय अभियुक्तगण द्वारा फोन करके जेई को बुलवाया जाना तथा उससे पूछताछ किया जाना घटना का होना साबित करता है। विवचेना के शुरुआती दौर में सभी साक्षियों द्वारा घटना का हूबहू समर्थन करना घटना को साबित करता है। अभियुक्तगण द्वारा किसी तरह का स्पष्ट बचाव न लेना भी उनके विरुद्ध अपराध को साबित करता है। अभियुक्त द्वारा बयान मुल्जिम में भी स्पष्ट रूप से कोई बचाव नहीं लिया जाना है।

धनंजय पर 38 आपराधिक मुकदमों का निर्णय में है उल्लेख

जौनपुर: कोर्ट द्वारा सुनाए गए दोष सिद्धि के निर्णय में विवेचना के दौरान विवेचक की ओर से अभियुक्त धनंजय सिंह के आपराधिक इतिहास का वर्णन किया गया है। कहा है कि इनके ऊपर 38 आपराधिक मुकदमे लखनऊ, जौनपुर व नई दिल्ली में दर्ज हैं।

वादी का तीसरे गवाह को किया गया व्‍हॉट्सएप मैसेज बना अहम

जौनपुर: मामले के तीसरे गवाह हरेंद्र पाल ने कोर्ट में बयान दिया कि 10 मई 2020 को शाम 5.43 बजे अभिनव सिंघल ने अपने मोबाइल से उसके मोबाइल पर व्‍हॉट्सएप मैसेज किया कि धनंजय सिंह के आदमी मुझे उनके घर पर लेकर आए हैं। परियोजना के पुलकित सर को तत्काल सूचित करें। इस मैसेज का स्क्रीनशाट साक्ष्य में पेश किया गया। इसके अलावा काल डिटेल की भी दोषसिद्धि में अहम भूमिका रही है।

पूर्व सांसद व सहयोगी को दस वर्ष या आजीवन कारावास तक की हो सकती है सजा

जौनपुर: कोर्ट ने धनंजय सिंह व संतोष विक्रम को धारा 364, 386, 504 506, 120 बी आइपीसी के तहत दंडित किया है। कोर्ट ने अपने फैसले में जिक्र किया है कि धारा 364 के अनुसार जब कोई व्यक्ति हत्या के आशय से किसी का अपहरण करता है तो दोषी को आजीवन कारावास या दस वर्ष कठोर वर्ष कारावास की सजा का प्रविधान है। धारा 386 आइपीसी के अनुसार मृत्यु या गंभीर चोट के भय में डालकर एक्सटार्शन करने पर 10 वर्ष तक की सजा का प्रविधान है।

इसी प्रकार धारा 504 में लोक शांति भंग करने के अपराध में 2 वर्ष एवं धारा 506 आइपीसी में आपराधिक धमकी पर दो वर्ष कारावास का जिक्र किया गया है। धारा 120 बी षड्यंत्र से संबंधित है। दोषी को इस प्रकार दंडित किया जाएगा मानो उसने ऐसे अपराध का दुष्प्रेरण किया था। स्पष्ट है कि जिन धाराओं में दोषसिद्धि की गई है। उनमें से धारा 364 आइपीसी में सर्वाधिक दंड का प्रविधान है जिसमें दोषियों को 10 वर्ष कठोर कारावास या आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है।

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