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'एनकाउंटर में मारे गए...' जब पुल‍िस के इस दावे के बाद ज‍िंदा लौट आए थे धनंजय स‍िंह; फि‍ल्‍मी है पूर्व सांसद की कहानी

धनंजय स‍िंह ने जौनपुर से छात्र राजनीति की शुरुआत की थी। इसके बाद लखनऊ विश्वविद्यालय में मंडल कमीशन का विरोध कर धनंजय ने अपनी छात्र राजनीति को धार दी। वहीं पर अभय सिंह के संपर्क में धनंजय आए और फिर हत्या आदि मुकदमों में नाम आने की वजह से सुर्खियों में रहा। एमपी-एमएलए कोर्ट में दोषी ठहराए जाने के बाद धनंजय सिंह एक बार चर्चा में आ गए हैं।

By Jagran News Edited By: Vinay Saxena Updated: Wed, 06 Mar 2024 09:16 AM (IST)
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पूर्व सांसद धनंजय स‍िंह को आज सुनाई जाएगी सजा।- फाइल फोटो
जागरण संवाददाता, जौनपुर। एमपी-एमएलए कोर्ट में पूर्व सांसद धनंजय सिंह व उनके सहयोगी संतोष विक्रम को दोषी ठहराए जाने के बाद धनंजय सिंह एक बार चर्चा में आ गए हैं। पूर्व सांसद धनंजय सिंह की कहानी बिल्कुल फिल्मी है। पुलिस ने एक बार धनंजय स‍िंह को एनकाउंटर में मारने का दावा किया था। बाद में धनंजय ने विधानसभा से लेकर संसद तक का सफर किया।

बनसफा में सामान्य परिवार में जन्मे धनंजय ने जौनपुर के टीडी कॉलेज से छात्र राजनीति की शुरुआत की। इसके बाद लखनऊ विश्वविद्यालय में मंडल कमीशन का विरोध कर धनंजय ने अपनी छात्र राजनीति को धार दी। वहीं पर अभय सिंह के संपर्क में धनंजय आए और फिर हत्या आदि मुकदमों में नाम आने की वजह से सुर्खियों में रहा।

पुल‍िस ने एनकाउंटर मार ग‍िराने का क‍िया दावा

अक्टूबर 1998 में पुलिस ने बताया कि 50 हजार के इनामी धनंजय सिंह तीन अन्य बदमाशों के साथ भदोही-मीरजापुर रोड स्थित एक पेट्रोल पंप पर डकैती डालने आए थे। दावा किया कि मुठभेड़ में धनंजय सहित चारों बदमाश मारे गए। हालांकि, धनंजय जिंदा थे और भूमिगत हो गए।

फरवरी 1999 में धनंजय पुलिस के सामने पेश हुए तो भदोही की फर्जी मुठभेड़ का राजफाश हुआ। धनंजय के जिंदा सामने आने पर मानवाधिकार आयोग ने जांच शुरू की और फर्जी मुठभेड़ में शामिल रहे 34 पुलिसकर्मियों पर मुकदमे दर्ज हुए।

2002 में धनंजय सिंह और अभय सिंह एक-दूसरे के खिलाफ हो गए। अक्टूबर 2002 में बनारस से जा रहे धनंजय के काफिले पर नदेसर में टकसाल टाकीज के सामने गोलीबारी हुई। नदेसर के लोगों ने देखा था कि दोनों तरफ से जमकर गोलियां चली थीं। इस गोलीबारी में धनंजय के गनर सहित चार लोग घायल हुए थे। प्रकरण को लेकर धनंजय ने कैंट थाने में अभय सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था।

धनंजय पहले बने थे निर्दलीय विधायक

  • धनंजय 2002 में रारी विधानसभा से निर्दल चुनाव जीतने के बाद विधायक बने।
  • 2007 में जनता दल यूनाइटेड के विधायक के तौर पर जीत दर्ज की।
  • 2008 में बहुजन समाज पार्टी में शामिल हुए और 2009 में बसपा के टिकट पर जौनपुर से सांसद चुने गए।
  • 2011 में बसपा सुप्रीमो मायावती ने उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों में संलिप्त होने के आरोप में बाहर का रास्ता दिखा दिया।
  • 2012 के विधानसभा चुनाव में धनंजय ने अपनी पूर्व पत्नी डॉ. जागृति को निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर मल्हनी से उतारा, लेकिन वह हार गईं।
  • 2014 में जौनपुर से लोकसभा और 2017 में मल्हनी सीट से निषाद पार्टी से विधानसभा चुनाव में धनंजय ने किस्मत आजमाई, लेकिन सफलता नहीं मिली।
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