Navratri 2024: अष्टमी-नवमी में है कन्फ्यूजन तो यहां मिलेगी पूरी जानकारी, जानिए सही तारीख और शुभ मुहूर्त
धार्मिक दृष्टि से आश्विन माह के शुक्ल पक्ष के दौरान मां दुर्गा के रूपों की पूजा-अर्चना करना शुभ माना जाता है। साथ ही व्रत भी किया जाता है। मान्यता है कि इससे जगत की देवी मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और साधक की सभी मनोकामना पूरी होती हैं। पंचांग के अनुसार शारदीय नवरात्र का शुभारंभ 03 अक्टूबर से हुआ है और इसका समापन 11 अक्टूबर को होगा।
संवाद सहयोगी, जागरण, मछलीशहर (जौनपुर)। ज्योतिष व तंत्र आचार्य डा. शैलेश मोदनवाल बताते है कि 11 अक्टूबर शुक्रवार को उदया तिथि में अष्टमी मिल रही है जो प्रातः 6.52 तक रहेगी तदुपरांत नवमी लग जाएगी नवमी भोर में 5:47 तक रहेगी। इस प्रकार उदया तिथि में 12 अक्टूबर को दशमी तिथि प्राप्त होगी।
अष्टमी और नवमी दोनों तिथियों का मान 11 अक्टूबर शुक्रवार को किया जाएगा। कर्मकांड के विद्वान पंडित मुरारी श्याम पांडेय व्यास जी का कहना है कि जो भक्त चढ़ती उतरती व्रत रहते हैं अर्थात प्रतिपदा और अष्टमी का व्रत करते हैं वे शुक्रवार को ही अष्टमी का व्रत रहेंगे।
नौ दिन व्रत रहने वाले भक्त व चढ़ती उतरती व्रत रहने वाले श्रद्धालु विजय दशमी के दिन 12 अक्टूबर को प्रातः व्रत का पारण करेंगे। अष्टमी तिथि व नवमी तिथि दोनों व्रतों का सुखद संयोग एक ही दिन 11 अक्टूबर शुक्रवार को प्राप्त होने से दोनों व्रत का महत्व बढ़ गया है।
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अष्टमी तिथि के देवता भगवान शिव हैं जबकि नवमी तिथि की अधिष्ठात्री देवी साक्षात मां दुर्गा है। दोनों तिथियों का मान एक ही दिन होने से शिव और शक्ति दोनों का आशीर्वाद एक साथ मिलेगा जो बहुत ही लाभदाई है। आज के दिन देवी मां को पूरी हलवा चढ़ाया जाता है।
हवन आदि का पुण्य कार्य भी आज ही के दिन संपन्न किया जाएगा। साथ ही नौ कन्याओं के चरण धोकर उनकी पूजा कर उनको मिष्ठान आदि खिलाई जाएगी। कन्या पूजन से देवी मां प्रसन्न होकर साधक के अभीष्ट की पूर्ति करती है।
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