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Road Safety in Jaunpur : ब्लैक स्पाट घोषित फिर भी सतर्कता और बचाव के उपाय नहीं, सौ स्थानों पर अवैध कट

सड़क हादसों को रोकने के लिए महकमा महज ब्लैक स्पाट घोषित करने तक ही सीमित है। लगातार बढ़ रही दुर्घटनाओं को कम करने के लिए दस प्रमुख स्थानों को ब्लैक स्पाट के रूप में चिन्हित कर दिया गया लेकिन हादसों को रोकने को प्रभावी नीति पर कार्य नहीं हो सका।

By Amardeep SrivastavaEdited By: Saurabh ChakravartyUpdated: Wed, 16 Nov 2022 08:24 PM (IST)
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रामघाट के समीप जौनपुर-आजमगढ़ राजमार्ग की चौड़ीकरण निर्माण न होने से बाटल नेक में तब्‍दील सड़क पर खुला नाला ।
जागरण संवाददाता, जौनपुर: 22 जुलाई वर्ष 2018। स्थान: लखनऊ-वाराणसी फोरलेन स्थित जलालपुर चौराहा। जौनपुर की ओर से वाराणसी की ओर जा रहे खाली ट्रेलर ने चौराहे पर खड़े आठ लोगों को रौंद दिया, जिसमें छह की मौके पर ही मौत हो गई।

तकरीबन चार वर्ष पूर्व हुए इस हादसे को याद करते आज भी लोगों के रोंगटे खड़े हा जाते हैं। इस दुर्घटना से कई परिवारों का सहारा छिन गया। भीषण हादसे के बाद व्यवस्था को बदलने के दावे हुए योजना भी बनी, लेकिन हालात आज भी पहले जैसे ही हैं। यही वजह है कि ब्लैक स्पाटों पर हादसे न सिर्फ पहले की तरह हो रहे हैं, बल्कि सतर्कता व बचाव के उपाय भी नाकाफी साबित हो रहे हैं।

दस ब्लैक स्पाट चिन्हित करने तक सीमित रह गया महकमा

सड़क हादसों को रोकने के लिए महकमा महज ब्लैक स्पाट घोषित करने तक ही सीमित है। लगातार बढ़ रही दुर्घटनाओं को कम करने के लिए दस प्रमुख स्थानों को ब्लैक स्पाट के रूप में चिन्हित कर दिया गया, लेकिन हादसों को रोकने को प्रभावी नीति पर कार्य नहीं हो सका। वाराणसी-लखनऊ राजमार्ग के असबरनपुर-जलालपुर को ब्लैक स्पाट घोषित किया गया है।

इसी मार्ग पर इजरी, बीभनमऊ, रेहटी व लहंगपुर भी है। तेज स्पीड व कई मोड़ की वजह से वाहन चालक यहां आएदिन दुर्घटना के शिकार होते हैं। बावजूद इसके यहां संकेतक अथवा बेहतर ट्रैफिक व्यवस्था नहीं की जा सकी है। इसी मार्ग के नौपेड़वा-बक्शा में भी दुर्घटनाओं में कमी नहीं आ सकी है। आस-पास कहीं भी दुर्घटना बाहुल्य क्षेत्र का संकेतक नहीं लगा होना

यह बताता है कि संबंधित महकमा दुर्घटनाओं को नियंत्रित करने में किस तरह भूमिका निभा रही हैं। पकड़ी चौराहा, बक्शा-एनएच-231, बरगूदरपुल सिकरारा-एनएच-4, श्रीनेतगंज, मछलीशहर- एनएच-4, कस्बा गौरा से चोरसंड, गौराबादशाहपुर-एसएस-66 ए, धर्मापुर से गजना, गौराबादशाहपुर-एसएच-36, मनेछा से सरायख्वाजा, एसएच-34, पचहटिया से रामघाट मोड़, लाइनबाजार-एसएच-66 ए व जेसीज चौराहा-लाइन बाजार-एसएच-66 ए तक पर हादसों पर लगाम लगाने के लिए प्रभावी इंतजाम नदारद हैं।

बाटलनेक सड़क पर खुला है मेनहोलआजमगढ़-जौनपुर मार्ग के पचहटिया तिराहे से पीएम हाऊस तक चार सौ मीटर लंबी सड़क का चौड़ीकरण न होने की वजह से सड़क बाटलनेक बन गई है। इससे मार्ग पर आने-जाने वाले आएदिन दुर्घटनाओं के शिकार हो रहे हैं।

पंचहटिया में नाले का सीमेंटेड ढक्कन सड़क पर पड़े होने से दुर्घटनाएं बढ़ गई हैं। प्रसाद इंस्टीट्यूट तिराहे पर आजमगढ़ व गाजीपुर को जाने वाले सड़क पर न कही ब्रेकर है न डिवाइडर है। ऐसे में कोहरे के दौरान अक्सर वाहन चकराते रहते हैं।

बगैर डिजाइन व संरचना के सड़क बनी जानलेवा

आजमगढ़-जौनपुर राजमार्ग पर कबीरुद्दीन गांव से लेकर गौरबादशाहपुर तक सड़क चौड़ीकरण के बाद भी कई स्थानों से न तो विद्युत पोल हटाए गए न ही पेड़। बीच-बीच में कहीं ऊंची तो कहीं नीची सड़क तेज रफ्तार वाहनों के उझल जाने से हादसे की सबब बन गई है।

सड़क की डिजाइन में ही खोट

वराणसी-लखनऊ राजमार्ग के कुल्हनामऊ गांव के पास कट मार्ग पर सड़क की डिजाइन में ही खोट है। मोड़ व हाइवे से गांव की ओर जाने वाली सड़क तकरीबन एक फीट ऊंची-नीची होने वाहन अनियंत्रित होकर पलट जाते हैं। मोड़ पर खतरनाक कट होने की वजह से यहां आए दिन हादसे हो रहे हैं। यही स्थिति आजमगढ़-जौनपुर मार्ग की है। बीच सड़क पर बने डिवाइडर से लेकर 50-50 मीटर पर अवैध कट बनाए गए हैं। यहां न तो किसी प्रकार रोशन की व्यवस्था है न ही कोई संकेतक।

प्रकाश की व्यवस्था भी नाकाफी

जागरण टीम की तीन सौ किलोमीटर सड़क की पड़ताल में मात्र 50 किमी में ही प्रकाश की व्यवस्था दिखी। ढ़ाई सौ किमी में कुछ स्थानों पर पोल तो लगा दिए गए हैं, जबकि कनेक्शन नहीं हो सका है। आजमगढ़-जौनपुर मार्ग की स्थिति बेहद खराब है।

यहां घुमावदार सड़क, तमाम अवैध कट होने के बाद भी लगभग आठ किमी में प्रकाश की व्यवस्था बिल्कुल नहीं है। यही स्थिति त्रिलोचन से जलालपुर, हौज से कुल्हनामऊ तक। इसके साथ ही नौपेड़वा से जनपद सीमा सिंगरामऊ तक कहीं भी प्रकाश की व्यवस्था नहीं है।

सौ से अधिक स्थानों पर कटतीन सौ किमी की पड़ताल में पाया गया कि ग्रामीण मार्ग को छोड़ प्रमुख मार्गों पर सौ से अधिक स्थानों पर अवैध कट है। आजमगढ़-जौनपुर राजमार्ग पर ही 50 से अधिक अवैध कट हैं, जहां पर कोई संकेतक आदि भी नहीं है। हालांकि वाराणसी-लखनऊ राजमार्ग पर इसके सापेक्ष अवैध कट की संख्या कम है।

एजेसियों को गंभीरता से कार्य करना होगा

रोड सेफ्टी पर संबंधित एजेसियों को गंभीरता से कार्य करना होगा। सबसे पहले ब्लैक स्पाट के सौ मीटर पहले रंबल स्ट्रिप के साथ ही सड़क पर सफेद पट्टी बने।

अवैध कट को बंद किया जाय व जहां भी वैध कट हैं वहां संकेतक बने। डिवाइडर पर अनिवार्य रूप से रिफ्लेक्टर लगाया जाय व बाटलनेक को प्राथमिकता से चौड़ा किया जाय। राजमार्गों पर जहां भी पोल लग चुके हैं वहां कनेक्शन देकर प्रकाश की व्यवस्था की जाय। इस तरह के प्रयास से कई जिंदगी को बचाया जा सकता है।

-बेचन मिश्र, सेवानिवृत्त सहायक अभियंता, पीडब्ल्यूडी।

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