Road safety in Jaunpur : चार लेन बने राजमार्ग फिर भी रांग साइड ड्राइविंग रोकने का नहीं हो सका इंतजाम
राजमार्गों पर रांग साइड वाहनों के प्रवेश करने से रोकने की किसी प्रकार की व्यवस्था नहीं है। बीच-बीच में डिवाइडर बनाए जरूर गए हैं लेकिन प्रमुख कट पर किसी की तैनाती व संकेतक न होने की वजह से वाहन चालक जल्दबाजी के चक्कर में ट्रैक बदल देते हैं।
By Amardeep SrivastavaEdited By: Saurabh ChakravartyUpdated: Thu, 17 Nov 2022 11:13 PM (IST)
जागरण संवाददाता, जौनपुर: वाराणसी-लखनऊ राजमार्ग से आते-जाते 12 जुलाई 2021 की घटना की याद उस समय ताजा हो जाती है जब कोई वाहन रांग साइड से गुजरते हुए सामने आ जाता है। ऐसे ही रांग साइड डाइविंग के चलते सिकरारा क्षेत्र के बाकी गांव के एक परिवार के पांच लोगों की राजमार्ग के त्रिलोचन बाजार के असबरनपुर के पास मौत हो गई थी।
ब्रेजा कार से चंदौली से खुशी पूर्वक दुल्हन की विदाई कराकर लौट रहे परिवार के लोगों की कार ट्रक से ऐसी टकराई कि मौके पर ही दूल्हे के चाचा समेत सभी पांचों ने दम तोड़ दिया। घर सूचना पहुंचते ही हंसी-खुशी का माहौल गम में बदल गया। यह घटना लोगों को आज भी सालती है। इसी तरह आठ फरवरी 2022 को जलालपुर के ही लहंगपुर में रांग साइड डाइविंग के चलते ट्रक की टक्कर से पिकअप सवार सात लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी।
यह सभी सरायख्वाजा क्षेत्र के जलालपुर निवासी वृद्ध महिला के निधन के बाद शव का अंतिम संस्कार कर वाराणसी से लौट रहे थे। पिकअप में 17 लोग सवार थे। यह हादसे आज भी पीड़ित परिवारों को दर्द दे रही हैं। यह घटनाएं तो महज बानगी हैं। रांग साइड से आने-जाने की वजह से दुर्घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। बावजूद इसके इसके रोकथाम को राजमार्ग पर किसी प्रकार की व्यवस्था नहीं हो सकी है। इसी तरह रेस्ट एरिया व डायवर्जन का भी पूरी तरह अभाव है। जो हादसों को बढ़ावा दे रहा है।
स्टाफ की कमी, बड़ी चुनौती
राजमार्गों पर रांग साइड वाहनों के प्रवेश करने से रोकने की किसी प्रकार की व्यवस्था नहीं है। बीच-बीच में डिवाइडर बनाए जरूर गए हैं, लेकिन प्रमुख कट पर किसी की तैनाती व संकेतक न होने की वजह से वाहन चालक अधिक दूर से घूमने व जल्दबाजी के चक्कर में ट्रैक बदल देते हैं।ऐसे में विपरीत दिशा से आने वाले वाहनों की आमने-सामने टक्कर हो जाती है। ऐसी लापरवाही ट्रक, ट्रैक्टर व अन्य भारी वाहन ही नहीं करते, बल्कि कार व दोपहिया वाहन चालकों में भी यह प्रवृत्ति आम है।
एंट्री व एग्जिट प्वाइंट से नदारद हैं साइनेज
राजमार्गों पर एंट्री व एग्जिट प्वाइंट से साइनेज भी नदारद हैं। लखनऊ-वाराणसी राजमार्ग के कलीचाबाद के कुल्हनामऊ के समीप रूट डायवर्जन कर शहर में प्रवेश के लिए इंट्री प्वाइंट बनाया तो गया है, लेकिन यहां किसी प्रकार के संकेतक की व्यवस्था नहीं है।इसी राजमार्ग के नौपेड़वा का मई मोड़ संपर्क मार्ग बदलापुर व शाहगंज को जोड़ता है। यहां अधिक भीड़ भी रहती है, लेकिन कोई संकेतक नहीं है। इस मार्ग पर कई विद्यालय भी हैं, लेकिन संकेतक की बेहतर व्यवस्था न होने की वजह से यह स्थान एक्सिडेंट प्वाइंट में तब्दील हो गया है।
न तो पेट्रोलिंग और न ही पेयजल की व्यवस्थावाराणसी-लखनऊ राजमार्ग प्रमुख राजमार्गों में एक है। क्षेत्र में पड़ने वाले 85 किमी इस राजमार्ग पर दूर-दूर तक न तो कहीं पेयजल की व्यवस्था है और न ही पेट्रोलिंग होती है। मार्ग पर पुलिस व ट्रैफिक जवानों की मौजूदगी न होने की वजह से किसी भी विपरीत परिस्थिति में वाहन चालकों को किसी प्रकार की मदद नहीं मिल पाती।रेस्ट एरिया के बारे में नहीं है कोई जानकारीवाराणसी-लखनऊ राजमार्ग पर वाहनों के रेस्ट एरिया का अभाव है। जलालपुर के पास रेहटी में राजमार्ग एक स्थान पर रेस्ट एरिया के लिए जगह बना है, लेकिन वहां न तो कोई संकेतक है न बोर्ड। ऐसे में मुसाफिरों को इसकी जानकारी नहीं हो पाती है।
राजमार्ग पर जगह-जगह ट्रकों का ठहराव पूर्ण रूप से प्रतिबंधित है। पेट्रोल पंपों पर भी ग्राहकों को मुफ्त हवा देने की व्यवस्था है। यदि ऐसा नहीं हो रहा है तो जांच कर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। दुर्घटनाओं को रोकने के लिए संकेतक लगवाने को भी संबंधित एजेंसियों को निर्देश दिया जाएगा।-जीडी शुक्ला, टीएसआइ।
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