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Road Safety in Jaunpur : फिटनेस जांच की नहीं उचित व्यवस्था, ‘बूढ़े’ वाहन भी दौड़ रहे सड़कों पर

Road Safety in Jaunpur वाहन और वाहनों में सुरक्षा उपकरणों की अनदेखी। मोटर व्हीकल एक्ट में वाहनों की फिटनेस जांच को लेकर कड़े नियम हैं। ज्यादतार वाहन चालक सुरक्षा प्रणाली से अनभिज्ञ हैं। सड़क पर होने वाले अधिकांश दुर्घटनाओं की वजह बनते हैं।

By Anand Swaroop ChaturvediEdited By: Saurabh ChakravartyUpdated: Tue, 15 Nov 2022 10:32 PM (IST)
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सिकरारा में जौनपुर - मछलीशहर मार्ग पर खटारा बस पर लटक कर जाते यात्री ।
जागरण संवाददाता, जौनपुर: बढ़ रही सड़क दुर्घटनाओं की बड़ी वजह हर स्तर पर सुरक्षा मानकों की अनदेखी है। चाहे फिटनेस का मामला हो या वाहनों में सुरक्षा उपकरणों का। जिले में डेढ़ हजार से अधिक बसें सवारियां ढो रही हैं, लेकिन एआरटीओ की नजर में मात्र 312 ही फिट हैं। फिटनेस जांच में फेल हो चुकी 145 बसें भी सड़कों पर फर्राटा भर रही हैं, लेकिन किसी का ध्यान नहीं है। यही हाल स्कूली बसों का भी है। लगभग ढाई हजार से अधिक बसें बच्चों स्कूल लाने ले जाने में लगी हैं, जिसमें महज 415 बसें ही मानकों की कसौटी पर खरी हैं। 253 बसों को एआरटीओ की ओर से कंडम घोषित करने के बाद भी इनका उपयोग किया जा रहा है। नियमों को रौंदकर यह वाहन सड़कों पर दुर्घटना व मौत की वजह बन रहे हैं।

आंखों से ही परखी जाती है वाहनों की फिटनेस

सरकार की ओर से पीपीपी माडल पर स्वचालित परीक्षण स्टेशन बनाने का निर्देश तो जारी किया गया है, लेकिन इस पर कार्य अभी प्रारंभिक चरण में है। यही वजह है कि वाहनों के फिटनेस की जांच में प्रदूषण व आवाज की जांच तो आटोमेटिक मशीन से की जाती है, लेकिन बाकी जांच अधिकारी ढोक-बजाकर व आंखों से देखकर ही कर देते हैं। कई बार मैनुअल वाहनों की फिटनेस जांच में बरती जाने वाली लापरवाही आगे चलकर दुर्घटना की वजह बन जाती है।

एक अधिकारी के जिम्मे जांच का जिम्मा

स्टाफ की कमी की वजह से अनफिट वाहनों पर कार्रवाई नहीं हो पा रही है। पहले एआरटीओ प्रवर्तन व पैसेंजर टैक्स अधिकारी (एफटीओ) को सड़कों पर बिना परमिट अथवा नियमों की अनदेखी कर चल रहे वाहनों पर कार्रवाई की जिम्मेदारी थी, लेकिन दो माह से एफटीओ को ही दोनों जिम्मेदारी सौंप दी गई है। ऐसे में दस प्रमुख मार्गों पर दौड़ने वाले वालों की जांच कैसे हो सकती है, यह स्वत: ही समझा जा सकता है। शासन-प्रशासन के आदेश पर चलने वाला जांच अभियान भी कागजों तक ही सिमटकर रह जाता है।

आधे घंटे में गुजरे 93 वाहनों में तीन में ही दिखी फाग लाइट

ठंड शुरू हो गई है। कोहरे की शुरुआत भी कुछ ही दिनों में हो जाएगी, लेकिन ज्यादातर वाहनों में फाग लाइट अभी नहीं लग सकी है। जागरण प्रतिनिधि के नगर के जेसीज चौराहे पर आधे घंटे खड़े होकर की गई पड़ताल में आजमगढ़ व गाजीपुर की ओर से आने व जाने वाले 93 बड़े वाहनों बस, ट्रक आदि में सिर्फ तीन में ही फाग लाइट दिखी। यही नहीं अधिकांश ट्रक व ट्रैक्टर समेत अन्य कामर्शियल वाहनों में रिफ्लेक्टर तक नहीं दिखा। कुछ में चालक तो सीट बेल्ट लगाए दिखे, लेकिन आगे बैठा व्यक्ति बगैर सीट बेल्ट के ही रहा। वहीं अधिकांश वाहन चालक बगैर सीट बेल्ट के ही फर्राटा भरते दिखे।

कम ही लोगों को है क्रैश टेस्ट रेटिंग की जानकारी

क्रैश टेस्ट रेटिंग वाहनों की मजबूती को दर्शाता है। इसकी एक से पांच तक रेटिंग होती है। हालांकि अधिकतर लोग इससे अनजान हैं। वाहन लेने आने वाले कुछ लोग इसके बारे में पूछते हैं, जबकि दुर्घटना के दौरान यह सुरक्षा कवच के रूप में कार्य करता है। ऐसे में जरूरी है वाहनों की खरीदारी करते वक्त अन्य फीचर्स के अलावा क्रैश टेस्ट रेटिंग की भी जानकारी अवश्य ली जाए।

-मनोज गुप्ता, अधिष्ठाता, वेंकटेश हुंडई।

अब तक की गई कार्रवाई

सीट बेल्ट में चालान-- 2900

हादसों में एयरबैग न खुलने के मामले-- कोई नहीं।

खराब टायर को लेकर वाहनों का चालान-- कोई नहीं

एंटीफाग लाइट को लेकर चालान-- अभी कोई नहीं।

क्रैश टेस्ट रेटिंग के बारे में पता नहीं

मैंने अभी हाल ही में एक कार ली है, लेकिन क्रैश टेस्ट रेटिंग के बारे में पता न होने की वजह से मैंने किसी प्रकार की जानकारी नहीं ली। यदि यह सुरक्षा के पैमाने को बताता है तो भविष्य में अपने जानने वालों को कोई वाहन खरीदने के दौरान इसके बारे में जरूर बताऊंगा।

-कमलेश पांडेय, ग्राहक।

कार्यालय में आने वाले वाहनों की फिटनेस की जांच कुछ मशीन के अलावा मैनुअल आधार पर होती है। पूरी व्यवस्था आनलाइन होने की वजह से पारदर्शिता पहले की अपेक्षा काफी बढ़ी है। पीपीपी माडल पर स्वचालित परीक्षण स्टेशन बनाने की योजना अभी आरंभिक चरण में है।

नागरिकों को भी चाहिए कि वह जिस वाहन से अपने बच्चों को स्कूल भेज रहे हैं या सफर कर रहे हैं उसके फिटनेस के बारे में जानकारी अवश्य लें, खास तौर से स्कूली वाहनों के बारे में प्रबंधन से। कहीं भी गड़बड़ी मिलने पर वह इसकी शिकायत गोपनीय तरीके से कर सकते हैं।

- अशोक श्रीवास्तव, आरआइ।

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