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पांच नदियों का शहर, झेल रहा सूखे का कहर

नदियों ने छोड़ा जौनपुर जिले का साथ, गर्मियों में सूखती और बरसात में बरपाती हैं कहर

By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Tue, 24 Apr 2018 10:40 AM (IST)
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पांच नदियों का शहर, झेल रहा सूखे का कहर

जौनपुर [सतीश सिंह]। सदानीरा नदियों के मामले में उत्तर प्रदेश का जौनपुर जनपद कभी अपने भाग्य पर इठलाया करता था। जिले की जीवनधारा को कलकल करती पांच जीवनदायनी नदियों ने सहेजे रखा था। इस क्षेत्र की अनमोल धरोहर कही जाने वाली गोमती, सई, बसुही, वरुणा और पीली नदियां अब कहने को शेष हैं। किसी में रेत के टीले नजर आते हैं, तो किसी में कीचड़ और गाद।

अभी गर्मी आई ही है और जिला सूखे की गहरी जद में है। पिछले कुछ वर्षों से हालात ये हैं कि खेती और गर्मियों के दिनों में जब पानी की एक-एक बूंद को इंसान तरस उठता है, ये पांचों नदियां सूख जाती हैं। वहीं बारिश के दिनों में इनमें भयंकर उफान आता है, जो खेतों की मिट्टी को बहा ले जाता है। यह महज बानगी है, जो भीषण पर्यावरणीय चुनौती को व्यक्त कर रही है।

दिन ब दिन बढ़ते प्रदूषण, घटती हरियाली, नीति-नियंताओं की अदूरदर्शी नीति व लगातार उपेक्षा के चलते जीवनदायिनी यह नदियां अब किसानों के लिए अभिशप्त साबित होने लगी हैं। इन नदियों की खोदाई न होने से एकत्र होने वाली ‘गाद’ ने न केवल इनका स्वरूप ही बिगाड़ दिया है बल्कि जगह-जगह उभरे रेत के टीले नदियों के अस्तित्व पर संकट बने नजर आते हैं। कभी इन पांच नदियों के अविरल प्रवाह के चलते भूगर्भ जल की दृष्टि से समृद्ध रहे इस जिले के कई क्षेत्रों में भूजल स्तर गर्त में जा समाया है। भूभाग अब डार्क जोन के रूप में चिन्हित हो रहे हैं।

नदियों की जलधारण क्षमता काफी कम हो गई है। इनके प्राकृतिक सोते समाप्त हो चुके हैं। अब वर्षा काल में ये नदियां कृषि योग्य भूमि के तेजी से क्षरण का कारण बनकर किसानों को दोहरी मार पहुंचाती हैं। भूमि के क्षरण के कारण कृषियोग्य भूमि की उर्वरा शक्ति तो घट ही रही है इसके बंजर होने का खतरा भी मंडराने लगा है। भूमि संरक्षण विभाग के सर्वे के मुताबिक जनपद में तीन लाख हेक्टेयर भूमि ऐसी चिन्हित की गई है जिसका उत्पादन काफी घट गया है। समय रहते नदियों के गाद की सफाई न हुई, भूमि का कटान न रोका गया तो स्थिति भयावह होने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता।

जिला भूमि संरक्षण अधिकारी डॉ. ओमकार सिंह ने बताया कि नदी व नाला के किनारों की जमीनों का क्षरण रोककर भूमि की उत्पादन क्षमता में वृद्धि की जा सकती है। मास्टर प्लान बनाकर मेड़बंदी, समतलीकरण और सिंचाई की पर्याप्त व्यवस्था करना आवश्यक है। ऐसे क्षेत्रों में दलहन, तिलहन व सब्जी का अच्छा उत्पादन होगा। जिलाधिकारी अरविंद मलप्पा बंगारी का कहना है कि नदियों में जल का स्तर बढ़ाने का काम बड़ी योजना बनाकर ही संभव है। हालांकि अपने स्तर पर प्रयास किया जा रहा है कि पर्याप्त मात्रा में नदियों में चेकडैम बनवाया जाए। इसके लिए बोरियों में गिट़टी भरकर इस काम को बड़े पैमाने पर किया जाएगा। इसकी कार्ययोजना तैयार की जा रही है।  

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