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एसएचजी की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की तैयारी, लखपति दीदी के लिए जाएगा तराशा; इतनी संख्या के साथ होगी ट्रेनिंग की शुरुआत

लखपति दीदी के तहत समूह में शामिल महिलाओं को इस कदर बनाया जाना है कि वह महीने में दस से 12 हजार आय अर्जित कर सकें। गांवों में समूहों को मजबूत कर महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाए जाने के कई प्रोजेक्ट पर कार्य किया जा रहा है। इसे लेकर सबसे अधिक जोर ब्लाकों में समूह गठन को दिया जा रहा है।

By Anand Swaroop Chaturvedi Edited By: Riya Pandey Updated: Sat, 23 Mar 2024 01:56 PM (IST)
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स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) की महिलाओं लखपति दीदी बनाने की तैयारी
जागरण संवाददाता, जौनपुर। स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए तैयारी की जा रही है। सिलाई-कढ़ाई में दक्ष समूह की महिलाएं मास्टर ट्रेनर बनकर ग्रामीण क्षेत्र की अन्य महिलाओं को हुनरमंद करेंगी। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) की ओर से इसकी विस्तृत रूपरेखा बनाई गई है।

समूह की 78 हजार, 844 महिलाओं को लखपति दीदी बनने के लिए तराशा जाएगा। पहले चरण में 270 महिलाओं को ट्रेनिंग देकर शुरुआत की गई है। इसे चरणबद्ध तरीके से बढ़ाया जाएगा। इसके लिए कुल 29 बैच बनाए गए हैं। प्रत्येक में 30 महिलाएं होंगी। इस पहल से गांव की महिलाएं आर्थिक रूप से समृद्ध तो बनेंगी ही उनमें आत्मविश्वास भी जागेगा।

एनआरएलएम की ओर से 861 महिलाओं को प्रशिक्षित किया जाएगा, जिसकी शुरुआत 270 महिलाओं से होनी है। प्रशिक्षण के बाद यह महिलाएं मास्टर ट्रेनर बनकर समूह की अन्य महिलाओं को हुनरमंद बनाएंगी। उन्हें यह बताया जाएगा कि किस तरह के कार्य कर वह अपनी आय बढ़ा सकती हैं।

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गांवों में समूहों को मजबूत कर महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाए जाने के कई प्रोजेक्ट पर कार्य किया जा रहा है। इसे लेकर सबसे अधिक जोर ब्लाकों में समूह गठन को दिया जा रहा है। मौजूदा समय में जिले में स्वयं सहायता समूहों की संख्या 15 हजार से अधिक है।

एनआरएलएम उपायुक्त ओपी यादव के अनुसार, लखपति दीदी के तहत समूह में शामिल महिलाओं को इस कदर बनाया जाना है कि वह महीने में दस से 12 हजार आय अर्जित कर सकें। इसे लेकर जरूरी औपचारिकताओं को पूरा कर लिया गया है। चुनाव संपन्न होने के बाद चरणबद्ध तरीके से इस पर कार्य किया जाएगा।

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