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इस बार नहीं होगा बाबा साहब का उर्स

फोटो 30 एसएचवाई 4 ::: - हर वर्ष 31 मई को होता है उर्स झाँसी : कौमी एकता के प्रतीक माने जाने वा

By JagranEdited By: Updated: Sun, 31 May 2020 06:04 AM (IST)
इस बार नहीं होगा बाबा साहब का उर्स

फोटो 30 एसएचवाई 4

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- हर वर्ष 31 मई को होता है उर्स

झाँसी : कौमी एकता के प्रतीक माने जाने वाले स्टेशन वाले बाबा साहब की म़जार पर प्रत्येक वर्ष 31 मई को उनकी पुण्यतिथि पर होने वाला सालाना उर्स इस बार नहीं होगा। इस वर्ष बाबा साहब की 41वीं पुण्यतिथि है, लेकिन कोरोना वायरस महामारी के चलते रविवार (31 मई) को 'बाबाधाम' पर होने वाले सालाना उर्स को रद्द कर दिया गया है। बाबा की सेवा में जुटे सेवादारों ने आस्ताना से जुड़े श्रद्धालुओं से अपील की है कि वह बाबा की शान में घर में इबादत करें, और हो सके तो आज के दिन ़गरीब परिवारों में भोजन बाँटें।

बाबाधाम के मुख्य सेवादार रामसिंह यादव बताते हैं कि बुन्देलखण्ड की वीर भूमि पीर-फकीरों, सूफी सन्तों की भूमि रही है। यहाँ ऐसे ऐसे सूफी सन्त पीर व वली अवतरित हुए हैं, जिनका हमेशा से इस वीर भूमि पर करम रहा है। स्वतन्त्रता की प्रथम दीपशिखा प्रज्ज्वलित करने वालीं महारानी लक्ष्मीबाई की नगरी झाँसी में जहाँ गुलाम गौस खाँ, नत्थे खाँ, मोतीबाई आदि ने वतन पर प्राण न्यौछावर कर झाँसी की धरती पवित्र की, उसी भूमि पर 'स्टेशन वाले बाबा' के नाम से मशहूर ह़जरत कुतबुल आफताब सैयद एवज अली शाह रहमत उल्ला अलैह के आस्ताना (यह फारसी शब्द है, जिसका अर्थ किसी ऋषि का आश्रम या वली की ख़्ाऩकाह) पर मत्था टेकने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ पूरे वर्ष भर उमड़ती है। लॉकडाउन के चलते 2 माह से बाबाधाम के कपाट श्रद्धालुओं के लिए पूरी तरह से बन्द हैं, लेकिन बाबा की सेवा में जुटे सेवादार प्रतिदिन सेवा कर मलिन बस्तियों में जाकर गरीब परिवारों के बीच भोजन, राशन आदि का वितरण कर रहे हैं। ऐसा इसलिए, ताकि कोई भूखा न सोये।

सभी धर्म की आस्था का स्थल है बाबा का आस्ताना

मुख्य सेवादार बताते हैं कि इस आस्ताना की खासियत है कि यहाँ एक ओर ह़जरत सैयद बाबा का मकबरा बना है, तो दूसरी ओर भगवान शिव का मन्दिर। स्टेशन वाले बाबा ने 31 मई 1979 बबीना रेलवे स्टेशन पर शाम लगभग 4 बजे नीम के पेड़ के नीचे पर्दा (देहावसान) किया था। बाबा साहब के पर्दा करने के बाद उनकी याद में पहला उर्स वर्ष 1980 में हाट के मैदान, बबीना में कराया गया। इसमें कमरऩजा मुम्बई और भोपाल की मशहूर ़कव्वाला मुमताज बानो ने शिरकत की थी। इसके बाद बबीना में उर्स न हो पाने के कारण झाँसी में बाबा के दूसरे उर्स का आयोजन किया गया। इसमें ़कव्वाला अ़जीज ऩजा ने आकर बाबा की शान में बेहतरीन ऩजराने प्रस्तुत किए थे। वर्ष 1980 से शुरू हुआ उर्स का सिलसिला अनवरत जारी रहा, जिसमें देश के तमाम नामचीन कलाकारों ने आकर बाबा के दरबार में हा़िजरी लगाई।

वर्ष 1994 से अनवरत चल रहा है लंगर

बाबा साहब के आस्ताना पर गरीबों की सहायतार्थ 31 मार्च 1994 से लंगर की सेवा प्रारम्भ की गई। शुरूआत में यह लंगर प्रतिदिन चलता था, लेकिन बाद में इसे सप्ताह में एक बार (गुरुवार) को बाँटने का निर्णय प्रबन्धन समिति ने लिया। यह व्यवस्था कुछ दिन ही रही और फिर से बाबा का लंगर प्रतिदिन ़गरीबों को खिलाया जाने लगा।

खजाने से हर साल की जाती है ़गरीबों की मदद

स्टेशन वाले बाबा के खजाने से प्रत्येक वर्ष बाबा की पुण्यतिथि पर निर्धन असहाय लोगों की मदद की जाती है। बाबा साहब की 34वीं बरसी पर दोनों पैर से लाचार 7 माता-बहनों को ऐक्टिवा स्कूटर भेंट की गई तो 35वीं बरसी पर 101 विकलांगों को ट्राईसिकिल वितरित की गई। 36वीं बरसी पर विधवा माता-बहनों को 6 लाख रुपए की सिलाई मशीन व दान राशि भेंट की गई।

आज ़गरीबों को लंगर वितरित किया जाएगा

सेवादार आरएस यादव ने बताया कि 31 मई को बाबा के आस्ताना पर किसी भी प्रकार का धार्मिक आयोजन नहीं किया जाएगा। शाम को चित्रा चौराहा पर ़गरीबों में लंगर वितरित किया जाएगा। इस दौरान शारीरिक दूरी का विशेष ख़्याल रखा जाए, ऐसी व्यवस्था सुनिश्चित की गई है।

नरेन्द्र सिंह

समय 7.20

30 मई 2020

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