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Jhansi Schools: स्कूलों में बच्चों के अटेंडेंस को लेकर शासन गंभीर, उपस्थिति बढ़ाने के लिए अब घर-घर जाएंगे शिक्षक

झांसी जिले के परिषदीय विद्यालयों में छात्र-छात्राओं की उपस्थिति बढ़ाने के लिए एक नई मुहिम शुरू की जा रही है। शिक्षक अब बच्चों के घर जाकर अभिभावकों को अपने बच्चों को नियमित रूप से स्कूल भेजने के लिए प्रेरित करेंगे। इस पहल का उद्देश्य नामांकित छात्रों की उपस्थिति में सुधार करना और उन्हें बेहतर शिक्षा के अवसर प्रदान करना है।

By Ashok Goswami Edited By: Riya Pandey Updated: Sun, 13 Oct 2024 02:27 PM (IST)
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छात्र उपस्थिति बढ़ाने के लिए शिक्षकों का डोर-टू-डोर अभियान (प्रतीकात्मक फोटो)
ललितपुर ब्यूरो। बेसिक शिक्षा परिषद के अधीन संचालित परिषदीय विद्यालयों में छात्र-छात्राओं की उपस्थिति बढ़ाने के लिये अब शिक्षक-शिक्षिकायें बच्चों के घर जायेंगे। इतना ही नहीं अभिभावकों को अपने बच्चों को नियमित रूप से स्कूल भेजने के लिये प्रेरित भी करेंगे।

इस बाबत शासन के निर्देश पर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने भी खण्ड शिक्षा अधिकारियों को पत्र जारी कर आवश्यक दिशा-निर्देश दिये हैं। जनपद में बेसिक शिक्षा परिषद के अधीन 1354 विद्यालयों का संचालन किया जा रहा है। इनमें प्राथमिक विद्यालयों की संख्या 862 है तो वहीं उच्च प्राथमिक विद्यालय 320 और कम्पोजिट विद्यालयों की संख्या 172 है।

योजनाओं के जरिए खर्च होते हैं करोड़ों

इन विद्यालयों में पंजीकृत छात्र-छात्राओं के लिये समग्र शिक्षा अभियान के तहत तमाम योजनाओं के माध्यम से करोड़ों रुपया खर्च किया जाता है। एक ओर जहां मध्याह्न भोजन के तहत बच्चों को भोजन खिलाया जा रहा है तो वहीं यूनिफार्म, बैग, जूता-मौजा, स्टेशनरी खरीदने के लिये 1200 रुपये दिये जा रहे हैं। बावजूद इसके विद्यालयों में छात्राकंन के सापेक्ष अपेक्षानुरूप बच्चों की उपस्थिति नजर नहीं आ रही है।

विद्यालय में शत-प्रतिशत उपस्थिति के लिये प्रयास किये जा रहे हैं। विद्यालय के निरीक्षण के दौरान शिक्षा विभाग के अधिकारियों को विद्यालय में नामांकन के सापेक्ष छात्रों को उपस्थिति बढ़ाने के निर्देश दिये हैं। इसके बाद भी कई ऐसे स्कूल हैं, जहां 70 प्रतिशत से भी कम बच्चे उपस्थित हो रहे हैं।

अभियान के जरिए विद्यार्थियों की उपस्थिति बढ़ाने के निर्देश

कई स्कूलों में मात्र 40 से 50 प्रतिशत बच्चे ही स्कूल पहुंच रहे हैं। शासन ने इसका संज्ञान लिया है। शिक्षकों को डोर-टू-डोर अभियान चलाकर विद्यालयों में छात्र-छात्राओं की उपस्थिति बढ़ाने के निर्देश दिये गये हैं।

इस बारे में विभागीय अधिकारियों का कहना है कि खण्ड शिक्षा अधिकारियों समेत प्रधानाध्यापक, प्रभारी प्रधानाध्यापक, शिक्षकों को विद्यार्थियों की उपस्थिति बढ़ाने के निर्देश दिये गये हैं।

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बालिकाओं ने खेला नारे-सुआटा टोड़ी

वहीं बीते दिन विजयदशमी के अवसर पर बुन्देलखंड में प्रचलित लोककला व संस्कृति से जुड़ा क्रीड़ा पर्व (खेल) 'नारे सुआटा' शारदीय नवरात्र में किशोरियां खेलती हैं। ग्राम दुगारा में किशोरियों ने नारे-सुआटा का खेल परम्परागत तरीके से खेला।

किशोरियों ने बताया कि यह खेल नवदुर्गा के साथ ही पूरे नौ दिन खेलते हैं। नवमी को सुआटा की तेरहवीं करके इस खेल का समापन कर देते हैं। इसकी तैयारियां ग्रामीण क्षेत्रों में लड़कियां पहले से शुरू कर देती हैं। लड़कियों ने रंगोली तैयार कर सुबह-शाम पूजा-अर्चना कर गीत गाये जाते हैं। 

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