Jhansi News: 40 साल पहले के काम का ठेकेदार को भुगतान नहीं, अब सिंचाई विभाग का बैंक खाता सील, जाने पूरा मामला
झांसी में 40 साल पहले पहाड़ी बांध में मिट्टी का काम करने वाले ठेकेदार का भुगतान नहीं करने के मामले में कमर्शियल कोर्ट ने सिंचाई विभाग के सपरार प्रखण्ड का बैंक खाता सील कर दिया है। विभाग को अब 44 लाख रुपए का भुगतान करना है।
By Jagran NewsEdited By: Nirmal PareekUpdated: Fri, 06 Jan 2023 11:00 PM (IST)
जागरण संवाददाता, झांसी: 40 साल पहले पहाड़ी बांध में मिट्टी का काम करने वाले ठेकेदार का भुगतान नहीं करने के मामले में कमर्शियल कोर्ट ने सिंचाई विभाग के सपरार प्रखण्ड का बैंक खाता सील कर दिया है। विभाग को अब 44 लाख रुपए का भुगतान करना है। विभाग ने शासन को अवगत करा दिया है। खाता सील होने से विभागीय कार्य पूरी तरह से लटक गए हैं तो कर्मचारियों का वेतन भी फँस गया है।
यह है पूरा मामला
सिंचाई विभाग द्वारा वर्ष 1980 में पहाड़ी बाँध पर काम कराया था। इस समय राठ के ठेकेदार राम सनेही राजपूत ने मिट्टी के काम का ठेका लिया था। काम पूरा करने के बाद ठेकेदार ने बिल समिट किया, लेकिन सपरार प्रखण्ड ने पूरा भुगतान नहीं किया। इस पर ठेकेदार ने न्यायालय की शरण ली। लम्बी कानूनी लड़ाई के बाद न्यायालय ने विभाग के तत्कालीन अधीक्षण अभियन्ता को आर्बिट्रेटर (मध्यस्थ) नियुक्त कर दिया। बताया गया कि वर्ष 2016 में अधीक्षण अभियन्ता ने विभाग के खिलाफ फैसला दे दिया, जिसके बाद सपरार प्रखण्ड ने कमर्शियल कोर्ट में अपील की, लेकिन यहाँ भी राहत नहीं मिली। पिछले दिनों कमर्शियल कोर्ट ने ठेकेदार को 44 लाख रुपए का भुगतान करने के आदेश दिए। यह भुगतान नहीं किया, जिसके बाद कोर्ट के आदेश पर सपरार प्रखण्ड का बैंक खाता सील कर दिया गया। इससे विभाग के सभी महत्वपूर्ण कार्य व लेन-देन पूरी तरह से ठप हो गया है।
400 कर्मचारियों का लटक गया वेतन
सपरार प्रखण्ड के बैंक खाते से विभाग के अलावा आइसीडी-2, आइसीडी मऊरानीपुर, बेतवा प्रखण्ड समेत कई और विभागों के कर्मचारियों का वेतन निर्गत किया जाता है। बैंक खाता सील होने के कारण सिंचाई विभाग के इन खण्डों में काम करने वाले लगभग 400 कर्मचारियों का वेतन लटक गया है।6 लाख का नहीं किया था भुगतान अब 44 लाख देना होगा
पहाड़ी डैम में मिट्टी का काम करने वाले ठेकेदार को उस समय विभाग ने कुछ भुगतान किया था, लेकिन 5-6 लाख रुपए का भुगतान रोक लिया गया था। पर, ठेकेदार इसकी माँग करता रहा। इसे लेकर ठेकेदार कोर्ट पहुँचा था। अब यह भुगतान बढ़कर 44 लाख रुपए पर पहुँच गया है।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।