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झांसी NICU अग्निकांड में बड़ा खुलासा, प्रतिबंधित एल्युमिनियम तारों से की गई थी मेडिकल कॉलेज में वायरिंग

झांसी के एनआईसीयू अग्निकांड में बड़ा खुलासा हुआ है। जांच में सामने आया है कि मेडिकल कॉलेज में प्रतिबंधित एल्युमिनियम तारों से वायरिंग की गई थी। विद्युत सुरक्षा निदेशालय और अग्निशमन विभाग ने जून में ही मेडिकल कॉलेज का सर्वे किया था और वायरिंग फिटिंग और इंस्टालेशन मानकों के विपरीत होने की रिपोर्ट दी थी। जांच टीम गठित कर मेडिकल कॉलेज प्रशासन से चार वर्ष की ऑडिट रिपोर्ट मांगी है।

By Jagran News Edited By: Abhishek Pandey Updated: Wed, 20 Nov 2024 07:34 AM (IST)
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झांसी NICU अग्निकांड में बड़ा खुलासा, प्रतिबंधित एल्युमिनियम तारों से की गई थी मेडिकल कॉलेज में वायरिंग
जागरण संवादददाता, झांसी। 12 नवजात बच्चों की जान लेने वाले अग्निकांड में अब मेडिकल कालेज प्रशासन की बड़ी चूक सामने आई है। जून माह में विद्युत सुरक्षा निदेशालय और अग्निशमन विभाग की संयुक्त टीम ने मेडिकल कालेज का सर्वे किया था, जिसमें वायरिंग, फिटिंग व इंस्टालेशन मानकों के विपरीत होने की रिपोर्ट दी गई थी।

जांच में सामने आया था कि मेडिकल कालेज में प्रतिबंधित एल्युमिनियम के तारों का इस्तेमाल किया गया है। शासन से आई जांच टीम ने विद्युत सुरक्षा विभाग से चार वर्ष की ऑडिट व सुधार कार्यों की रिपोर्ट तलब की है। साथ ही विद्युत उपकरणों की कंपनी व खरीद संबंधी दस्तावेज भी तलब किए गए हैं।

12 नवजातों की हुई थी मौत

मेडिकल कॉलेज के एनआइसीसीयू वार्ड (बच्चा वार्ड) में 15-16 नवंबर की मध्यरात्रि आग लग गई थी जिसमें अब तक 12 नवजात की मौत हो चुकी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसे गंभीरता से लेते हुए तत्काल जांच के निर्देश दिए थे।

मंडलायुक्त बिमल कुमार दुबे व डीआइजी कलानिधि नैथानी ने शुरुआती जांच में शार्ट सर्किट को घटना की वजह बताया गया। इसके बाद शासन ने महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण किंजल सिंह की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय टीम को झांसी भेजा। पिछले दो दिन से मेडिकल कालेज में घटना की वजह और साक्ष्य खंगाल रही इस टीम ने भी शुरुआती जांच में शार्ट सर्किट को ही घटना की वजह बताया।

इस पूरे मामले का दोषी जांच पूरी होने के बाद तय हो जाएगा, लेकिन इस घटनाक्रम में मेडिकल कालेज प्रशासन से भी बड़ी चूक हुई है। दरअसल, शासन के निर्देश पर जिलाधिकारी ने जून माह में मेडिकल कालेज का सर्वे कराया था।

एल्युमिनियम तार से की गई थी वायरिंग

सर्वे में विद्युत सुरक्षा निदेशालय ने वायरिंग फिटिंग व विद्युत उपकरणों के इंस्टालेशन में मानकों की कमी पाई थी। इस दौरान यह भी सामने आया था कि मेडिकल कॉलेज में की गई वायरिंग में एल्युमिनियम के तार का भी इस्तेमाल किया गया है तो उपकरणों को लेकर भी सवाल उठाए गए थे।

विद्युत सुरक्षा निदेशालय झांसी के सहायक निदेशक सीबी चौबे ने बताया कि जिलाधिकारी के आदेश पर जून 2024 में मेडिकल कालेज का विद्युत सुरक्षा विभाग व अग्निशमन विभाग ने संयुक्त सर्वे किया था। इस दौरान एनआइसीसीयू वार्ड का भी निरीक्षण किया गया था।

मानकों के विपरीत थी वायरिंग

जांच रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया था कि यहां वायरिंग, फिटिंग व इंस्टालेशन के काम मानकों के विपरीत हुए हैं। जांच रिपोर्ट में सुधार के दिशा-निर्देश भी दिए गए थे। मेडिकल कालेज प्रशासन ने सुधार कराने संबंधी कोई रिपोर्ट विभाग को नहीं दी है। यह जांच रिपोर्ट निदेशालय भी भेजी गई थी।

शासन स्तर से की जा रही जांच टीम के साथ आईं महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण किंजल सिंह के अनुसार मेडिकल कालेज हादसे की वजह शार्ट सर्किट ही है, लेकिन विस्तार से छानबीन करने पर सामने आया है कि विद्युत सुरक्षा विभाग ने विद्युत संबंधी कार्यों पर आपत्ति की थी। विभाग से चार वर्ष की ऑडिट रिपोर्ट ली गई है तो मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने सुधार के क्या काम कराए, इसकी रिपोर्ट भी मांगी गई है।

मेडिकल कालेज के प्रधानाचार्य डा एनएस सेंगर ने बताया कि जून माह में विद्युत सुरक्षा विभाग द्वारा विद्युत कार्य में मानकों की कमी बताई गई थी। इस रिपोर्ट के बाद शासन को 12 करोड़ रुपये का प्रस्ताव भेजा गया था, जिसमें से चार करोड़ रुपये उपलब्ध कराए गए। पीडब्लूडी द्वारा काम कराया जा रहा है।

दो वर्ष पहले भी विद्युत सुरक्षा विभाग ने लगाई थी आपत्ति

मेडिकल कालेज प्रशासन ने सिर्फ जून माह में कराए गए सर्वे की रिपोर्ट को ही अनदेखा नहीं किया, बल्कि दो वर्ष पहले की रिपोर्ट पर भी अमल नहीं किया। बताया गया है कि विद्युत सुरक्षा विभाग ने वर्ष 2022 में भी मेडिकल कालेज प्रशासन को मानकों के विपरीत विद्युत कार्य होने की रिपोर्ट दी थी।

निदेशालय ने तलब की मेडिकल कालेज की जांच संबंधी फाइल

विद्युत सुरक्षा विभाग द्वारा दो बार मेडिकल कालेज की जांच की और दोनों बार विद्युत उपकरणों की फिटिंग व वायरिंग में मानकों की अनदेखी की रिपोर्ट दी, लेकिन इस पर कोई कार्यवाही नहीं की गई। अब हादसे की वजह शार्ट सर्किट बताए जाने के बाद विभाग ने अपने बचाव में साक्ष्य एकत्र करना शुरू कर दिया है। हादसे के बाद निदेशालय ने मेडिकल कालेज की जांच संबंधी फाइलें तलब कर ली हैं।

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