बुंदेलखंड के किसान अब मोटे अनाज उगाकर प्रोसेसिंग के जरिए तैयार करेंगे नान खटाई, चिप्स, रोटी और नूडल्स
अतर्रा के प्रगतिशील किसान विज्ञान शुक्ला ने बताया कि इस वर्ष 22 बीघे में कठिया गेहूं की फसल की बोआई करा रहे हैं। खरीफ सीजन में ज्वार और सावा छह बीघे में किया था। अच्छी उपज हुई। मोटे अनाजों की बिक्री में कोई दिक्कत नहीं उठानी पड़ी।
By Jagran NewsEdited By: Sanjay PokhriyalUpdated: Sat, 12 Nov 2022 04:06 PM (IST)
बुंदेलखंड, जागरण संवाददाता। बुंदेलखंड के किसान अब मोटे अनाज उगाकर प्रोसेसिंग के जरिए नान खटाई, चिप्स, रोटी व नूडल्स तैयार करेंगे। कृषि विश्वविद्यालय इसकी ब्रांडिंग कराएगा और देश भर में इन पौष्टिक चीजों की बिक्री होगी। इससे बुंदेली किसान मालामाल होंगे और उनकी सेहत भी सुधरेगी। विश्वविद्यालय में अभी उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद की ओर से मिले मड़ुवा मिलेट पर प्रोजेक्ट को लेकर अभी शोध चल रहा है।
मुनाफे के कारण रह गए पीछे
चार दशक पहले तक मोटे अनाजों की प्रमुखता से खेती होती रही है, लेकिन हरित क्रांति व ज्यादा मुनाफा के चक्कर में मोटे अनाज पीछे छूट गए। बेसहारा पशु भी इन फसलों को काफी नुकसान पहुंचाते हैं। इससे ज्यादातर किसान धान, गेहूं, चना, मसूर, मटर आदि की ही फसलें करते हैं। कोरोना जैसी महामारी से लड़ने के लिए अब पौष्टिक अनाजों की मांग बाजार में बढ़ी है और कीमत भी अच्छी मिल रही है। ऐसे में शासन का भी मोटे अनाजों पर जोर है। बुंदेली किसान भी अब मोटे अनाजों के उत्पादन की ओर रुख कर रहे हैं। कई प्रगतिशील किसान ज्वार-बाजरा, सावा, कोदो आदि की खेती कर प्रेरणास्रोत बन रहे हैं।
सीआरआइ से मिला प्रोजेक्ट
कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय में आनुवांशिकी एवं पादप प्रजनन विभाग के प्राध्यापक डा.कमालुद्दीन बताते हैं कि बुंदेलखंड में अब मोटे अनाज किसानों की आय और सेहत सुधारने का जरिए बनेंगे। ज्वार, बाजरा का इस वर्ष प्रदर्शन किया गया है। कोदो, काकुन, सावा, मड़ुवा (रागी) भी लगाया था। इनका प्रदर्शन बेहतर रहा और यह यहां जलवायु के हिसाब से बेहतर हैं। उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद से मोटे अनाज खासकर मडुवा पर प्रोजेक्ट मिला है। बताया कि मोटे अनाजों से किसानों की अच्छी आय बढ़ सकती है। इसमें पोषक तत्व की मात्रा ज्यादा होती है। अब इसकी मांग बढ़ रही है। बाजार भाव भी अन्य अनाज की अपेक्षा अधिक है।
मोटे अनाज से मूल्य वर्धित उत्पाद नान खटाई, चिप्स, रोटी, नूडल्स, सेवईं आदि बनती हैं। अब कंपनी व स्टार्टअप भी किसानों से यह उत्पाद खरीद रहे हैं। विश्वविद्यालय प्रोसेसिंग यूनिट लगवाकर किसानों के उत्पाद की ब्रांडिंग कराएगा और इसकी बिक्री बांदा से लेकर दिल्ली व मुंबई तक होगी। किसानों की आय बढ़ेगी और सेहत भी सुधरेगी। डा.कमालुद्दीन कहते हैं कि किसान यदि मोटे अनाजों का बीज चाहते हैं तो डिमांड मिलने पर हैदराबाद में इंडियन इंस्टीट्यूट आफ मिलेट संस्थान से बीज व्यवस्था कराएंगे।
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