बेमौसम बरसात ने प्याज उत्पादक की बढ़ा दी मुसीबतें, अच्छे मुनाफे की उम्मीद में कर डाली खेती; भाव गिरने से निकल रहे आंसू
बारिश व प्राकृतिक आपदा के चलते कई जगह प्याज गीले हो गए। जिन्हें सूखाने के लिए प्याज के ढेर को उलट पलट करना पड़ रहा है। बारिश के विपरीत प्रभाव व काली मस्सी रोग प्रकोप से मुनाफा कमाने से पहले ही बेवजह मशक्कत करनी पड़ी है। बुआई के समय प्याज के बीज महंगे दामों में खरीद कर बेहतर कमाई की उम्मीद इस बार किसानों की पूरी नहीं हुई।
जागरण संवाददाता, शिवपुरी। क्षेत्र के कई गांवों के किसानों ने अच्छे मुनाफे की उम्मीद से प्याज की खेती की। सर्दी के दिनों में बुआई वाली प्याज फसल को इन दिनों जमीन से निकालने का कार्य चल रहा था, लेकिन अप्रैल के अंत से हाल ही दिनों में जिले के कई इलाकों मे हुई बेमौसम बरसात ने प्याज उत्पादक किसानों की मुसीबतें बढ़ा दी है। वहीं बरसात की संभावना किसानों को परेशान कर रही है।
बारिश व प्राकृतिक आपदा के चलते कई जगह प्याज गीले हो गए। जिन्हें सूखाने के लिए प्याज के ढेर को उलट पलट करना पड़ रहा है। बारिश के विपरीत प्रभाव व काली मस्सी रोग प्रकोप से मुनाफा कमाने से पहले ही बेवजह मशक्कत करनी पड़ी है। बुआई के समय प्याज के बीज महंगे दामों में खरीद कर बेहतर कमाई की उम्मीद इस बार किसानों की पूरी नहीं हुई।
दगा दे रहे भाव
क्षेत्र के किसानों ने प्याज की बुआई कर भाग्य आजमाया था। बारिश से उत्पादन पर विपरीत प्रभाव पड़ जाने के अलावा प्याज की डिमांड भी नहीं निकल रही है। किसान अच्छे भावों का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन भाव दगा दे जाने से नाउम्मीदी हुए है। भाव गिरने से बुआई बीज व दवाइयों का खर्चा निकालना भी मुश्किल हो गया है। कई किसान की खेती करने लगे हैं, लेकिन प्याज में इस वर्ष निराशा हाथ लगी।
किसानों का यह है कहना
किसान दुर्गाशंकर सुमन, धर्मराज सुमन, रघुवीर व राजेन्द्र आदि ने बताया कि प्याज की फसल हर साल पैदा करते हैं। महंगा बीज खरीद कर चौपाई की। इस बार फसलों में बीमारी लगने से पैदावार कम हुई। मनमाफिक भाव भी नहीं मिलने से नुकसान पहुंचा।
किसान लटूरलाल गुर्जर ने कहा कि 3 बीघा जमीन में प्याज की बुआई की गई थी। उत्पादन पर विपरीत प्रभाव व बेमौसम बरसात से प्याज गीले होने से लागत खर्च भी नहीं निकलने से परेशान हैं। सरकार को प्याज का समर्थन मूल्य घोषित कर बाजार हस्तक्षेप योजना में खरीदी करनी चाहिए।
करें तो भी क्या करें
प्याज की फसल खेतों से निकालने व कटाई के बाद बेचने के लिए तैयार है, लेकिन कम भावों में बेचने से मुनाफा कमाने के बजाय उल्टा घाटा दिख रहा है। अधिकांश किसानों के घरों में भण्डारण के लिए पर्याप्त जगह भी नहीं है। फसल नाजुक होने से जल्दी खराब हो जाती है। बार बार हो रही बारिश के मौसम में रखरखाव के प्रबंध करना भी मुश्किल है। ऐसी परिस्थिति में किसान अपने भाग्य को कोसकर बोल रहे हैं कि आखिर करें तो क्या करें।