Jhansi News राजकीय पक्षी सारस के संरक्षण को लेकर वन विभाग गंभीर हो गया है। इसी क्रम में कल 20 और 21 जून को ग्रीष्म कालीन सारस गणना करायी जायेगी। गणना के लिये प्रत्येक प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी अपने-अपने क्षेत्र के को-ऑर्डिनेटर होंगे। गणना के लिये जनपद के प्रकृति व वन्य जीव प्रेमियों स्वयं सेवी संगठनों का सहयोग भी लिया जाये।
ललितपुर ब्यूरो। विलुप्त होते जा रहे राजकीय पक्षी सारस के संरक्षण को लेकर वन विभाग गंभीर हो गया है। इसी क्रम में 20 और 21 जून को ग्रीष्म कालीन सारस गणना करायी जायेगी। प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य जीव लखनऊ के आदेश पर सभी रेंजों में सारस गणना की जायेगी।
डीएफओ गौतम सिंह ने सभी रेंज अफसरों को पत्र भेजकर सारस की गणना के सम्बन्ध में आवश्यक दिशा-निर्देश दिये है।
प्रधान मुख्य वन संरक्षक लखनऊ ने डीएफओ को भेजे पत्र में कहा कि कल 20 और 21 जून को होने वाली ग्रीष्म कालीन सारस गणना में वन कर्मी अपने-अपने क्षेत्र में पायी जाने वाली सारस की गिनती करेंगे। गणना के लिये प्रत्येक प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी अपने-अपने क्षेत्र के को-ऑर्डिनेटर होंगे।
प्रकृति व वन्य जीव प्रेमियों का भी लिया जाएगा सहयोग
गणना के लिये जनपद के प्रकृति व वन्य जीव प्रेमियों, स्वयं सेवी संगठनों का सहयोग भी लिया जाये। अपने क्षेत्र के लिये वन रक्षक गणना टीम का लीडर होगा। वन रक्षक के कार्य क्षेत्र में कई नम भूमि के क्षेत्र (वेटलैण्ड) होने पर एक से अधिक टीम का आवश्यकता के अनुसार गठन किया जायेगा।
ऐसे वन प्रभाग जहां जून-2021, दिसम्बर-2021 व जून-2022 में भी सारस की संख्या शून्य दर्शायी गयी थी, वहां विभागीय स्टाफ के माध्यम से जनपद के सभी वेटलैण्ड क्षेत्रों की गणना कर रिपोर्ट दी जायेगी।
अधिकतम संख्या ही होगी वास्तविक संख्या
आदेश में कहा गया है कि प्रत्येक गणना स्थल पर प्रात: 6 बजे से 8 बजे व शाम 4 बजे से 6 बजे के बीच की जायेगी। दोनों समय में से अधिकतम संख्या को वास्तविक संख्या माना जायेगा। गणना स्थल स्थान पर होना चाहिये जहां से अधिक से अधिक संख्या में सारस देखे जा सकें। प्रत्येक गणना स्थल पर टीम द्वारा सारस का एक-एक डिजिटल फोटो भी लिया जायेगा।
प्रत्येक गणना स्थल का जीपीएस रीडिंग अर्थात अक्षांश और देशान्तर अंकित किया जायेगा।
टीम द्वारा भरे गये गणना प्रपत्र एवं फोटो सम्बन्धित प्रभागीय वनाधिकारी को प्रस्तुत किये जायेंगे। सारस की संख्या फोटो समेत 30 जून तक मुख्य वन रक्षक बुन्देलखण्ड जोन झांसी व वन संरक्षक झांसी के माध्यम से मुख्य वन संरक्षक इको विकास लखनऊ उपलब्ध करायी जायेगी।
इस पर डीएफओ ने सभी क्षेत्रीय वनाधिकारियों ललितपुर, तालबेहट, माताटीला, जखौरा, महरौनी, बार, गौना और मड़ावरा को पत्र भेजकर आवश्यक दिशा-निर्देश दिये है।
उप प्रभागीय वनाधिकारी ललितपुर व महरौनी अपने क्षेत्र में सारस गणना करायेंगे।
ललितपुर डीएफओ गौतम सिंह के अनुसार, इनका कहना है
कल 20 और 21 जून को ग्रीष्म कालीन सारस गणना करायी जायेगी। यह गणना प्रात: 6 से 8 और शाम 4 से 6 बजे तक करायी जायेगी। गणना स्थल की फोटो और जीपीएस रीडिंग भी मांगी गयी है।
इस सम्बन्ध में रेंज अफसरों को पत्र भेजकर आवश्यक दिशा-निर्देश दिये गये है।
यदि ग्रामीणों को कही भी सारस नजर आयें, तो इसकी सूचना वन कर्मियों को दें। यदि उनकी फोटो खीची हो, तो उसे वन विभाग के साथ साझा करें। अच्छा सहयोग करने वाले लोगों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया जायेगा।
जलाशयों के भराव क्षेत्र में मिलते सारस
जनपद में राजकीय पक्षी सारस बाँध, तालाब और नदियों के भराव क्षेत्र में पाये जाते है। खासतौर पर नम भूमि (वेटलैण्ड) क्षेत्रों में ये खूब मिलते है। तालबेहट स्थित मानसरोवर झील, रजवारा का तालाब, गोविन्द सागर बाँध, पटौराकलां का तालाब, आलापुर का तालाब आदि जलाशयों में सारस पाये जाते है। जलाशयों के किनारे की नम भूमि पर इन्हें भोजन मिलता है। इस भूमि की सुरक्षा और संरक्षण की आवश्यकता है।
तेजी से घट रहे राजकीय पक्षी सारस
पर्यावरण और जल प्रदूषण के कारण जनपद में तेजी से सारस की संख्या घट रही है। यह पक्षी अपनी आकर्षक बनावट के लिये जाना जाता है। घटती संख्या के पीछे एक कारण शिकार भी है। जलाशयों पर शिकारी जहरीले दाने बिखेर कर और जाल से सारस का शिकार करते हैं।
वर्ष में 2 बार होती गणना
प्रधान मुख्य वन संरक्षक लखनऊ के आदेश पर राजकीय पक्षी की गणना साल में दो बार होती है। ग्रीष्म कालीन सारस गणना जून में और शीत कालीन दिसम्बर में होती है। इसकी रिपोर्ट प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य जीव लखनऊ को भेजी जाती है।
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