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UPSC Success Story: सफलता में लगा समय, लेकिन हार नहीं मानी बुंदेलखंड की रूपाली; घर पर ही तैयारी कर हासिल किया मुकाम

एक समय था जब बुन्देलखण्ड की पहचान रूढ़िवादी परम्परा में जकड़े क्षेत्र के रूप में बन गयी थी लेकिन झांसी की छात्रा रूपाली दीक्षित ने घर पर ही रहकर सिविल सेवा में सफलता पाकर इस क्षेत्र की लड़कियों को बड़ा सपना देखने का मौका दिया है। जय अकेडमी से इण्टर करने के बाद रूपाली ने गाजियाबाद से इलेक्ट्रॉनिक ऐण्ड कम्युनिकेशन से बीटेक किया। वर्ष 2019 में दिल्ली गयी लेकिन...

By Jagran News Edited By: Riya Pandey Updated: Tue, 16 Apr 2024 09:19 PM (IST)
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घर पर ही तैयारी कर पांचवी बार में सफलता पाई बुंदेलखंड की रूपाली
जागरण संवाददाता, झांसी। एक समय था जब बुन्देलखण्ड की पहचान रूढ़िवादी परम्परा में जकड़े क्षेत्र के रूप में बन गयी थी, लेकिन झांसी की छात्रा रूपाली दीक्षित ने घर पर ही रहकर सिविल सेवा में सफलता पाकर इस क्षेत्र की लड़कियों को बड़ा सपना देखने का मौका दिया है।

जय अकेडमी से इण्टर करने के बाद रूपाली ने गाजियाबाद से इलेक्ट्रॉनिक ऐण्ड कम्युनिकेशन से बीटेक किया। वह सिविल सेवा की परीक्षा के लिए वर्ष 2019 में दिल्ली गयी, लेकिन एक साल बाद वापस घर लौट आयी। उसने घर पर ही रहकर तैयारी करने का निर्णय लिया। यहां पूरे परिवार ने उसका सहयोग किया। पिता राजेश दीक्षित ठेकेदारी करते हैं, तो मां रेखा दीक्षित गृहणी हैं। उसका छोटा भाई राजदीप बीटेक कर रहा है। पांचवें प्रयास में उसे 446वीं रैंक मिली।

दैनिक जागरण समेत अन्य समाचार-पत्रों से बनाती है रोज नोट

रूपाली ने बीटेक करने के बाद कुछ महीने प्राइवेट जॉब किया, तब उसे लगा कि सिविल सेवा में जाना है। इसके बाद वह फिर तैयारी में जुट गयी। रूपाली बताती है कि उसने विस्तार से पढ़ने की अपेक्षा अपने हिसाब से नोट्स तैयार किए और उन पर फोकस किया। वह बार-बार अपने बनाए स्कोर को पाने के लिए जुटी रही।

वह कहती है कि रोज का लक्ष्य तय करो और उसे उसी दिन पूरा करो। उसने विभिन्न विषयों की बेसिक पुस्तकों का अध्ययन किया। समाजशास्त्र से यूपीएससी की तैयारी की। उसे पता था कि उसे टाइम लगेगा, तो वह लक्ष्य पाने के लिए जुटी रही। उसका कहना है कि ग्रासरुट स्तर पर समाज सेवा के लिए सिविल सेवा ही सबसे अच्छा माध्यम है।

यूपीएससी छोटे शहरों के बच्चों को लक्ष्य बनाकर पूछ रहा है सवाल 

रूपाली दीक्षित का कहना है कि संघ लोक सेवा आयोग ने भी अपने परीक्षा पद्धति में बदलाव किया है। अब छोटे शहरों और घर पर रहकर तैयारी कर रहे बच्चों को लक्षित कर सवाल पूछे जा रहे हैं। यही कारण है कि सफलता में अब छोटे शहरों का प्रतिशत बढ़ रहा है। साक्षात्कार में इस बार उत्तर प्रदेश को लेकर कई सवाल पूछे गए।

विशेषज्ञ चाहते थे कि उत्तर प्रदेश पूरे देश में चर्चा में क्यों है, तो निवेश उत्तर प्रदेश में इस तेजी से कैसे बढ़ रहा है। जब साक्षात्कार में पूछा कि उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा विकास किस क्षेत्र में होना चाहिए, तो उसने कहा कि बुन्देलखण्ड को विकास की अधिक जरूरत है। वह शिक्षा, स्वास्थ्य व शोध के क्षेत्र में कार्य करना चाहती है।

उसका कहना है कि बुन्देलखण्ड में पलायन रुकना चाहिए और रोजगार के अवसर घर पर ही मिलना चाहिए। बीडा से सफलता मिली है और अभी कुछ होना बाकी है।   

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मन भटकता तो मम्मी से करती थी बात

रूपाली घर पर ही रहकर पढ़ाई करती थी और जब उसका पढ़ते-पढ़ते मन भटकता था, तो वह मम्मी से बात करने लगती थी। उसने बताया कि मम्मी ही उसकी बड़ी ताकत है। जब वह दिल्ली से एक साल तैयारी करने के बाद घर वापस आयी, तो परिवार ने उसे पूरा सपोर्ट किया। वह घर पर ही रहकर तैयारी करने लगी।

उसका कहना है कि लड़कियां घर पर रहकर भी तैयारी कर सफलता पा सकती है। उसे सफलता मिली है, लेकिन वह इसमें और सुधार चाहती है। इसीलिए एक और प्रयास करेगी। लड़कियों को कभी रूढ़ियों में नहीं बंधना है, वह तैयारी करें और अपने क्षेत्र व परिवार का नाम रोशन करने में आगे आएं।

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