कन्नौज का रोचक रण तय करेगा सपा प्रमुख की भविष्य की रणनीति, 2027 का संदेश भी; भाजपा प्रत्याशी सुब्रत के लिए भी बड़ी चुनौती
कन्नौज संसदीय सीट डा. राम मनोहर लोहिया के साथ समाजवाद के नारे संग आगे बढ़े मुलायम सिंह यादव की कर्मभूमि रही। वर्ष 2000 में मुलायम ने बेटे अखिलेश को यहीं से राजनीति में उतारा। वो 2012 तक सांसद रहे। उनके मुख्यमंत्री बनने पर फिर उनकी पत्नी डिंपल यादव जीतीं। 2019 में भाजपा के सुब्रत पाठक सपा से ये सीट छीनकर राजनीतिक क्षितिज में चमके। सभी विधानसभा क्षेत्रों में भी भगवा...
शिवा अवस्थी, कानपुर। Kannauj Lok Sabha Seat: जिस इत्र नगरी से 21 साल पहले सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने राजनीति का ककहरा सीखकर नित नए प्रतिमान गढ़े, अब वहीं के सियासी ‘भंवर’ में हैं। लोकसभा चुनाव के चौथे चरण में मतदान के बाद रोचक रण उनकी भविष्य की राजनीति तय करने की दिशा में बढ़ चुका है।
भले अभी तीन साल का समय है, पर चार जून को आने वाला परिणाम 2027 के विधानसभा चुनाव का संदेश भी साफ करेगा। राजनीति सिखाने वाली धरती सपा प्रमुख के लिए अगला कदम सुनिश्चित करेगी। वहीं, भाजपा सांसद और प्रत्याशी सुब्रत पाठक के लिए राजनीतिक गलियारों में मुकाम पाने में यह रण बड़ी चुनौती होगा।
मुलायम सिंह की कर्मभूमि रही कन्नौज सीट
कन्नौज संसदीय सीट डा. राम मनोहर लोहिया के साथ समाजवाद के नारे संग आगे बढ़े मुलायम सिंह यादव की कर्मभूमि रही। वर्ष 2000 में मुलायम ने बेटे अखिलेश को यहीं से राजनीति में उतारा। वो 2012 तक सांसद रहे। उनके मुख्यमंत्री बनने पर फिर उनकी पत्नी डिंपल यादव जीतीं।2019 में भाजपा के सुब्रत पाठक सपा से ये सीट छीनकर राजनीतिक क्षितिज में चमके। कन्नौज में सभी विधानसभा क्षेत्रों में भी भगवा परचम लहराया। उसी इत्र नगरी की सियासत लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद नया करवट लेगी।
सपा का वनवास खत्म होगा या और बढ़ेगी चुनौती
सपा का वनवास खत्म होगा या चुनौती और बढ़ेगी। यह बात हर नुक्कड़, चौराहा व घर तक है। भतीजे तेज प्रताप यादव का टिकट काट सपा प्रमुख के स्वयं मैदान में उतरने से रोचक हुए सियासी रण की पृष्ठभूमि ने धड़कनें तेज कर दी हैं।भाजपा प्रत्याशी सुब्रत पाठक की प्रतिष्ठा भी दांव पर
सपा प्रमुख के विरुद्ध बयानों से सुर्खियां बटोरने वाले भाजपा सांसद व प्रत्याशी सुब्रत पाठक की प्रतिष्ठा भी दांव पर है। चुनाव में संवाद, संबंध और विकास के हथियार चले। जातिगत भावनाएं हावी रहीं। शहर से लेकर गांवों तक राष्ट्र, सुरक्षा, कानून-व्यवस्था और केंद्रीय योजनाओं से मिले लाभ के मुद्दों ने खूब जोर मारा।
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