Kannauj Seat: बसपा ने सपा को दिया झटका, इस मुस्लिम प्रत्याशी से अखिलेश की पार्टी का बिगड़ सकता है सियासी खेल
Lok Sabha Election News बसपा ने लोकसभा क्षेत्र में जातीय समीकरण को देखते हुए मुस्लिम मतदाता पर दांव लगाया है। इससे अब सपा का सियासी खेल बिगड़ सकता है। वहीं दलित वोट के बिखराव से भाजपा की भी मुश्किलें बढ़ सकती है। लोकसभा सीट से भाजपा ने मौजूदा सांसद सुब्रत पाठक को एक बार फिर मैदान में उतारा है।
जागरण संवाददाता, कन्नौज। बसपा ने लोकसभा क्षेत्र में जातीय समीकरण को देखते हुए मुस्लिम मतदाता पर दांव लगाया है। इससे अब सपा का सियासी खेल बिगड़ सकता है। वहीं दलित वोट के बिखराव से भाजपा की भी मुश्किलें बढ़ सकती है।
लोकसभा सीट से भाजपा ने मौजूदा सांसद सुब्रत पाठक को एक बार फिर मैदान में उतारा है। सोमवार को बसपा ने रसूलाबाद निवासी अल्पसंख्यक प्रत्याशी अकील अहमद को मैदान में उतारा है। संसदीय क्षेत्र में 18 फीसद मुस्लिम मतदाताओं की भागीदारी है।
शहर में बसपा के कैडर नेता नौशाद अली और नगर पालिका के पूर्व चेयरमैन हाजी रईस अहमद की अल्पसंख्यक नेताओं में अच्छी पकड़ है। ऐसे में अब माना जा रहा है कि दोनों दिग्गज नेताओं के बल पर मुस्लिम मतदाता बसपा उम्मीदवार के पक्ष में मतदान कर सकते हैं।
अगर ऐसा होता है, तो सपा के सामने चुनौती होगी। वहीं संसदीय क्षेत्र में करीब 31 फीसद दलित मतदाता हैं। वर्ष 2019 में सपा-बसपा का गठबंधन होने के बाद भी दलित मतदाताओं ने भाजपा प्रत्याशी सुब्रत पाठक के पक्ष में वोट किया था। इससे वह चुनाव जीते थे। इस बार अगर दलित मतदाता बसपा प्रत्याशी के पक्ष में दिखता है, तो भाजपा के सामने भी मुश्किल होगी।
वर्ष 2000 में मुस्लिम प्रत्याशी ने दिखाई थी ताकत
लोकसभा चुनाव 2019 में मुलायम सिंह यादव कन्नौज और संभल से सांसद चुने गए थे। यहां से इस्तीफा देकर उन्होंने 2000 में बेटे अखिलेश यादव को उपचुनाव में उतारा था। बसपा सुप्रीमो मायावती ने अखिलेश के सामने अकबर अहमद डंपी को उतारा था।
दोनों के बीच कांटे की टक्कर हुई। अखिलेश ने भरथना क्षेत्र में मिले मतों की दम पर चुनाव में जीत दर्ज की थी। इस चुनाव में अखिलेश यादव को 366054 मत मिले थे, जबकि अकबर अहमद डंपी को 247329 वोट मिले थे।