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सिर्फ खुशबू के लिए ही नहीं, इसलिए भी खास है 'इत्र नगरी', बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए सजी थी पहली विधानसभा

Kannauj इत्र नगरी सिर्फ अपने खुशबू के लिए ही नहीं जानी जाती बल्कि अपनी धर्म और संस्कृति के लिए भी जानी जाती है। कन्नौज में बौद्ध धर्म भी खूब पल्लवित हुआ। धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए यहां 23 दिनों तक सभा हुई थी।

By Mohammad Aqib KhanEdited By: Mohammad Aqib KhanUpdated: Fri, 05 May 2023 05:26 PM (IST)
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Kannauj: 'इत्र नगरी' में सजी थी बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए सजी थी पहली विधानसभा : जागरण

कन्नौज, जागरण संवाददाता: इत्र नगरी सिर्फ अपने खुशबू के लिए ही नहीं जानी जाती, बल्कि अपनी धर्म और संस्कृति के लिए भी जानी जाती है। कन्नौज में बौद्ध धर्म भी खूब पल्लवित हुआ। धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए यहां 23 दिनों तक सभा हुई थी।

बौद्ध धर्म का इतिहास यूं तो ज्यादा पुराना नहीं है। भगवान बुद्ध इस धर्म के प्रमुख प्रर्वतक हुए हैं। 643 ईस्वी में कन्नौज के शासक राजा हर्षवर्धन ने अपनी राजधानी कन्नौज में एक भव्य सभा का आयोजन किया था। सभा का उद्देश्य चीनी यात्री ह्वेनत्सांग का सम्मान करना और महायान बौद्ध धर्म की शिक्षाओं का प्रचार करना था।

हर्ष ने स्वयं ह्वेनत्सांग को इसका प्रमुख बनाया था। सभा में चर्चा का विषय महायान बौद्ध धर्म से संबंधित था। यह सभा 23 दिनों तक चलती रही। चीनी यात्री ह्नेसांग ने अपने यात्रा वर्णन में कन्नौज के पश्चिमोत्तर में सम्राट अशोक द्वारा निर्मित स्तूप का उल्लेख किया है। ह्वेनत्सांग ने कन्नौज में इसकी अध्यक्षता की थी।

ह्वेनत्सांग ने अपनी यात्रा किया है वर्णन

पर्यटन अधिकारी चित्रगुप्त बताते हैं कि ह्वेनत्सांग ने अपनी यात्रा वर्णन में लिखा, सम्राट ने इस स्तूप को उस स्थान पर बनवाया था, जहां भगवान बुद्ध ने सात दिनों तक सद्धम्म पर व्याख्यान दिया था। वह लिखता है कि कन्नौज के दक्षिण-पूर्व में कुछ दूर गंगा के दक्षिणी तट पर सम्राट अशोक ने 200 फीट ऊंचा विशाल स्तूप बनाया है। यह वहां बनवाया गया है जिस स्थान पर भगवान गौतम बुद्ध ने छह महीने तक धर्म के उपदेश दिया था। कन्नौज में बुद्धवारी मोहल्ले के नाम के पीछे भी यही कहानी है। बताया जाता है कि यहां भगवान बुद्ध रुके थे और धर्म की शिक्षा दी थी।

पर्यटन अधिकारी डॉ. चित्रगुप्त का कहना है कि पंरपराओं को सहेजने के लिए बौद्ध संगीति का आयोजन किया जाता था। कन्नौज में भी इसका आयोजन होता था। उनके कन्नौज में आने के प्रमाण हैं। पहले फर्रुखाबाद भी कन्नौज राज्य का हिस्सा हुआ करता था। बुद्ध ने यहां गंगा किनारे सभा भी की। ऐसे गांवों को हम खोज रहे हैं। ताकि उनका धार्मिक रूप से विकास हो सके।

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