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Kannauj: साहब! मैं मरा नहीं अभी जिंदा हूं', खुद की जमीन के लिए सिस्टम से लड़ रहे रामसेवक

Kannauj उत्तर प्रदेश के कन्नौज से सिस्टम की लापरवाही को उजागर करने वाला मामला सामने आया है। यहां 60 वर्ष का एक बुजुर्ग अपनी जमीन के लिए लगातार लड़ाई लड़ रहा है। दरअसल रामसेवक ने बताया कि गड़बड़ सिस्टम ने मुझे स्वर्गवासी बना दिया और मेरी जमीन को पड़ोसी गांव के रहने वाले लोगों के नाम वरासत भी कर दी।

By amit kuswaha Edited By: Swati Singh Updated: Tue, 30 Jan 2024 01:24 PM (IST)
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खुद की जमीन के लिए सिस्टम से लड़ रहे रामसेवक
संवाद सूत्र, इंदरगढ़। साहब! अभी मैं उम्रदराज हुआ हूं, लेकिन मरा नहीं हूं। जीवित हूं और सुरक्षित हूं। आपके गड़बड़ सिस्टम ने मुझे स्वर्गवासी बना दिया और मेरी जमीन को पड़ोसी गांव के रहने वाले लोगों के नाम वरासत भी कर दी। मेरी मौत की जानकारी मुझे तब हुई जब तहसील में खतौनी लेने आए थे। तब से खुद को जिंदा साबित करने को भटक रहा हूं। यह दर्द नई बस्ती के रहने वाले बुजुर्ग का है।

तहसील क्षेत्र के इंदरगढ़ थाना के कलसान ग्राम पंचायत के नई बस्ती के रहने वाले रामसेवक की उम्र करीब 60 वर्ष की है। इनके परिवार में पत्नी नीलेश हैं और एक बेटी रुबी थी, जिसकी शादी गुरसहायगंज में हुई है। अब रामसेवक पत्नी के साथ रहते हैं। इनकी करीब साढ़े तीन बीघा जमीन है और खेत नई बस्ती गांव में ही हैं।

क्या है मामला

वर्ष 2023 में पड़ोसी गांव विसेनेपुर्वा के रहने वाले रामसेवक की मृत्यु हुई थी। इससे उनकी जमीन की वरासत होनी थी। लेखपाल ने नई बस्ती के रहने वाले रामसेवक को मृत दर्शाया और विसेनेपुर्वा गांव के स्व. रामसेवक के पुत्रों के नाम वरासत कर दी है।

जमीन की वरासत की मिली जानकारी

पीड़ित ने बताया कि 19 जनवरी 2024 को तहसील में खतौनी लेने गए थे। वहां पर खतौनी निकलवाई तो जमीन की वरासत होने की जानकारी हो सकी। इसकी तुरंत शिकायत ज्वाइंट मजिस्ट्रेट से दर्ज कराई थी।

समस्या के समाधान का दिया था भरोसा

ज्वाइंट मजिस्ट्रेट ने राजस्व टीम से जांच रिपोर्ट तलब कर समस्या का समाधान करने का भरोसा दिया था। इसके बाद लगातार अफसरों के चक्कर काट रहे, लेकिन अभी तक वरासत आदेश निरस्त नहीं हुआ।

एसडीएम ने कही ये बात

मामला संज्ञान में नहीं है। शिकायत मिलने पर जांच कराई जाएगी और साक्ष्यों के आधार पर रामसेवक की जमीन वापस कराई जाएगी। अशोक कुमार, एसडीएम

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