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UP Politics: ...तो इसलिए BJP को कई सीटों पर मिली शिकस्त? हाथी की चाल ने इस तरह बिगाड़े दूसरों के समीकरण

उत्तर प्रदेश की सियासत में कभी मजबूत पकड़ रखने वाली बसपा वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में अपने दम पर चुनाव लड़कर कोई करिश्मा तो नहीं कर सकी। हाथी की मदमस्त चाल ने बुंदेलखंड कानपुर लखनऊ मंडल की उन्नाव और प्रयागराज मंडल की फतेहपुर सीट का समीकरण जरूर बिगाड़ दिया। इस वजह से अलग-अलग सीटों पर भाजपा और इंडी गठबंधन को नुकसान उठाना पड़ गया।

By rishi dixit Edited By: Aysha Sheikh Updated: Wed, 05 Jun 2024 04:25 PM (IST)
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...तो इसलिए BJP को इन सीटों पर मिली शिकस्त? हाथी की चाल ने बिगाड़े दूसरों के समीकरण
जागरण संवाददाता, कन्नौज। वर्ष 2019 में सपा का बसपा से गठबंधन था और कांग्रेस ने प्रत्याशी नहीं उतारा था। तब सपा को हार और भाजपा को जीत हासिल हुई थी। इस बार बसपा ने अपना प्रत्याशी उतारा और 81,471 मत मिले। इससे भाजपा का समीकरण बिगड़ गया और भाजपा को हार का मुंह देखना पड़ा। वोट प्रतिशत बढ़ने से साइकिल की रफ्तार बढ़ गई और जीत कर परचम लहरा दिया।

लोकसभा चुनाव चौथे चरण में हुआ था। इसमें सपा से अखिलेश यादव, भाजपा से सुब्रत पाठक और बसपा से इमरान बिन जफर चुनाव मैदान में रहे। लोकसभा क्षेत्र में बसपा का एक लाख, 25 हजार मत मिलने का आंकलन किया जा रहा था, लेकिन प्रत्याशी को सिर्फ 81,471 मत ही मिले। भाजपा को 4,70,131 वोट मिल सके। सपा को 6,40,207 वोट मिले और सपा ने अपनी जीत हासिल कर ली।

लोगों का मानना है कि 2019 में गठबंधन होने के बावजूद सपा को बसपा का वोट 30 प्रतिशत ही मिल सका था और 70 प्रतिशत वोट भाजपा के खाते में चला गया था। इससे भाजपा को जीत और सपा को हार मिली थी। इस बार बसपा ने अपना चुनाव में अपना प्रत्याशी उतारा तो भाजपा को बसपा का वोट नहीं मिल सका। कई बूथ ऐसे भी हैं, जहां पर बसपा का वोट सपा के खाते में भी गया है। वहां पर विकास के साथ संविधान व आरक्षण बचाने के मुद्दे पर बसपा का वोट सपा को मिला है।

सपा ने बिगाड़ दिए भाजपा के समीकरण

उत्तर प्रदेश की सियासत में कभी मजबूत पकड़ रखने वाली बसपा वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में अपने दम पर चुनाव लड़कर कोई करिश्मा तो नहीं कर सकी। हाथी की मदमस्त चाल ने बुंदेलखंड, कानपुर, लखनऊ मंडल की उन्नाव और प्रयागराज मंडल की फतेहपुर सीट का समीकरण जरूर बिगाड़ दिया। इस वजह से अलग-अलग सीटों पर भाजपा और इंडी गठबंधन को नुकसान उठाना पड़ गया।

वर्ष 2019 में बसपा ने सपा से गठबंधन करके चुनाव लड़ा और 10 सीटें जीती थीं। लोकसभा चुनाव के कुछ दिनों बाद ही गठबंधन से अलग हो गई। बसपा सुप्रीमो मायावती ने वर्ष 2024 में गठबंधन से अलग चुनाव लड़ने का फैसला लिया। उन्होंने कानपुर-बुंदेलखंड की 10 सीटों समेत प्रदेश की सभी 80 सीटों पर प्रत्याशी उतारे। इसके बावजूद बसपा एक अदद जीत के लिए तरस गई।

हालांकि, भाजपा और इंडी गठबंधन का चुनावी गणित बिगाड़ दिया। इसका सबसे ज्यादा असर बांदा-चित्रकूट सीट पर नजर आया। ब्राह्मण समाज की नाराजगी को भुनाने के लिए बसपा ने मयंक द्विवेदी पर दांव लगाया। वह दमदारी से चुनाव लड़े और करीब ढाई लाख वोट बटोरने में कामयाब रहे। ब्राह्मण वोट बसपा के खाते में जाने से भाजपा का गणित बिगड़ गया और दो बार से सांसद आरके पटेल इस बार चुनाव हार गए।

इसी तरह जालौन में भी बसपा ने एक लाख से ज्यादा वोट हासिल किए। अकबरपुर और उन्नाव में भी बसपा को 72 हजार से ज्यादा वोट मिले। इसका फायदा भाजपा को हुआ। बसपा का कोर वोटर अगर सपा के साथ जाता तो यहां तस्वीर बदल सकती थी। इस तरह, बसपा ने भाजपा और इंडी गठबंधन दोनों को चोट पहुंचाया

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