देवघर की घटना के बाद चित्रकूट में बढ़ी रोप-वे की सतर्कता, केबिन में सेल्फी लेते वक्त उठने-बैठने की मनाही
चित्रकूट के हनुमान धारा पहाड़ और लक्ष्मण पहाड़ी में रोप-वे संचालित है। देवघर की घटना के बाद अब यहां पर सतर्कता बरती जा रही है। यात्रियों को जहां माइक से आगाह किया जा रहा है वहीं केबिन में उठने-बैठने पर भी मनाही की गई है।
By Abhishek VermaEdited By: Updated: Thu, 14 Apr 2022 11:15 AM (IST)
चित्रकूट, जागरण संवाददाता। झारखंड के देवघर में त्रिकूट पर्वत पर रोप-वे हादसे के बाद प्रभु श्रीराम की तपोभूमि चित्रकूट में संचालित हनुमानधारा और लक्ष्मण पहाड़ी रोप-वे परिचालन सतर्कता बढ़ा दी गई है। हालांकि अभी दोनों रोप-वे नए हैं लेकिन अब सुबह-शाम परीक्षण के बाद ही इन्हें चलाया जा रहा है। पर्यटन विभाग ने भी संचालक कंपनियों को बिना जांच रोप-वे पर ट्राली न चलाने को कहा है।
चित्रकूट रोप-वे के निदेशक कर्नल आलोक शर्मा ने बताया कि सुबह ट्राली चलाने से पहले उसके व्हील और तार चेक किए जाते हैं। ट्रालियों के दरवाजों का आटोमेटिक संचालन भी परखा जाता है। सभी कर्मचारियों को हिदायत है कि जांच के बाद ही संचालन शुरू कराएं। उन्होंने बताया कि रोप-वे का प्रतिदिन, साप्ताहिक और मासिक मेंटीनेंस तो होता है। खराब उपकरण बदलवाए जाते है। रोजाना सुबह कंपनी के इंजीनियर एक बार पूरे रोप-वे की मशीनों की चेकिंग के साथ आयलिंग-ग्रीसिंग करते हैं।
हनुमानधारा रोप-वे के मैनेजर कपिल धोनी ने बताया कि नवरात्र से पहले एक सप्ताह के लिए रोव-वे बंद कर इंजीनियरों ने मरम्मत की थी। देवघर की घटना के बाद रोजाना मरम्मत की जा रही है। लोअर स्टेशन पर यात्रियों को टिकट देने के बाद माइक से आगाह किया जा रहा है कि वह केबिन में सेल्फी के चक्कर में उठें-बैठें नहीं। ऐसा करने पर मध्य स्टेशन पर रोप-वे कर्मी को सूचना देकर यात्रियों को पुन: हिदायत दी जाती है। रोप-वे परिचालन में सभी प्रकार की सावधानियां बरती जा रही है एवं समय-समय पर मेंटीनेंस का कार्य की जाती है।
सौंदर्य को निहारने के लिए यात्री करते हैं सफरचित्रकूट में लगे रोप-वे के प्राकृतिक सौंदर्य को निहारने के लिए यात्री सफर करते हैं। हनुमान धारा रोप-वे से कामदगिरि के साथ मंदाकिनी का खुबसूरत नजारा नजर आता है वहीं लक्ष्मण पहाड़ी रोप-वे से कामदगिरि, परिक्रमा, रामसैय्या समेत अन्य स्थलों को निराहते हैं। सेल्फी भी लोग खींचते हैं।
बोले जिम्मेदार: रोप-वे संचालक कंपनी पहले ही सुरक्षा को लेकर पहले से सजग हैं। अब जिला प्रशासन की ओर से भी विशेष सतर्कता के निर्देश दिए गए हैं। उसकी टीम आपातकालीन निकासी के लिए प्रशिक्षित है। रोप-वे संचालन के लिए बिजली व 225 किलोवाट के जेनरेटर की व्यवस्था है। इसके अलावा स्टैंड बाई पर 63 किलोवाट का जेनरेटर है। प्रत्येक पिलर पर आपातकालीन निकासी के लिए सीढ़ी बनी है। - शक्ति सिंह, पर्यटन अधिकारी, चित्रकूट
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