प्राण प्रतिष्ठता के बाद कानपुर का यह बुजुर्ग बोला- कुछऊ कहौ..बहुत बड़ा काम हुइगवा- कहा; सड़कन पर सन्नाटा...
ई रिक्शा आटो और बसें सवारियों के इंतजार में खड़े नजर आए। उन्हें सवारियों के लिए काफी देर तक इंतजार करना पड़ा। बीच-बीच में शोभायात्रा और पदयात्रा जरूर नजर आ रही थीं। इनमें बच्चे राम सीता व हनुमान के स्वरूप में चल रहे थे। बुजुर्गों का कहना था कि आज से 35-36 साल पहले जब रामानंद सागर की रामायण का प्रसारण होता था तो सड़कों पर सन्नाटा छा जाता था।
जासं, कानपुर : सोमवार दोपहर 1.30 बजे चेतना चौराहे पर चाय की चुस्कियों के बीच अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा पर चर्चा हो रही थी। तभी एक बुजुर्ग बोले, कुछऊ कहौ..बहुत बड़ा काम हुइगवा। 11 बजे कचहरी आने के लिए पी रोड में आटो में बैठिन तो इंतजार करै पड़िगा। छह सवारियन के लिए आटो 10 मिनट खड़ा रहिस। सड़कन पर सन्नाटा राहै। सबहे टीवी देखत राहएं। अइस तो 1987-88 में रामानंद सागर की रामायण देखन के लिए होत राहै। आजहू वइसै लग रहा। पास में खड़े दूसरे लोग भी उनकी बात का समर्थन करते दिखे। यादें ताजा होने लगीं।
प्राण-प्रतिष्ठा के कारण सुबह 11.30 से 12.30 बजे तक सड़कों पर हर दिन की अपेक्षा काफी कम वाहन नजर आए। लोग घरों, नुक्कड़ों, चौराहों जहां भी सुविधा मिली वहीं प्राण प्रतिष्ठा का सजीव प्रसारण देखने के लिए रुक गए। इस दौरान अति व्यस्त चौराहों पर भी आसानी से वाहन निकलते रहे।बड़ा चौराहा, परेड, टाटमिल, गोविंद नगर, लालबंगला, गुरुदेव, फजलगंज चौराहा, एलएलआर अस्पताल के सामने, विजय नगर चौराहा, टाटमिल चौराहा, कल्याणपुर क्रासिंग के सामने ज्यादातर जाम की समस्या झेलने वाले स्थानों पर आराम से वाहन चलते नजर आए।
ई रिक्शा, आटो और बसें सवारियों के इंतजार में खड़े नजर आए। उन्हें सवारियों के लिए काफी देर तक इंतजार करना पड़ा। बीच-बीच में शोभायात्रा और पदयात्रा जरूर नजर आ रही थीं। इनमें बच्चे राम, सीता व हनुमान के स्वरूप में चल रहे थे। बुजुर्गों का कहना था कि आज से 35-36 साल पहले जब रामानंद सागर की रामायण का प्रसारण होता था तो सड़कों पर सन्नाटा छा जाता था, आज उतना सन्नाटा तो नहीं रहा लेकिन उस समय की याद दिला गया।
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