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Kanpur Air Quality Update: श्वास रोगियों के साथ आम आदमी के लिए भी घातक हो सकती है शहर की जहरीली हवा, जानिए विशेषज्ञों की राय

Kanpur Air Quality Update पीएम-2.5 का स्तर खतरे को पार करके 403 माइक्रोग्राम प्रतिमीटर क्यूब पर पहुंचा। प्रदूषण की बढ़ी मात्रा आम आदमी को बना सकती है फेफड़ों के संक्रमण का रोगी। सामान्य से 353 माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूब अधिक हो गए हवा में प्रदूषण के कण।

By ShaswatgEdited By: Updated: Fri, 06 Nov 2020 01:22 PM (IST)
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प्रदूषण बढने से पौधों को भोजन बनाने में सबसे ज्यादा परेशानी होती है।
कानपुर, जागरण स्पेशल।  वाहनों के धुएं से दूषित हो रही शहर की आबोहवा में बुधवार को करवाचैथ पर जगह-जगह हुई आतिशबाजी ने और जहर घोल दिया। मामूली आतिशबाजी भर से शहर की हवा में पीएम-2.5 बढ़कर 500 माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूब पहुंच गया। रात को औसत मात्रा 403 माइक्रोग्राम प्रतिमीटर क्यूब दर्ज की गई जो इतनी खतरनाक है कि फेफड़ों के संक्रमण का रोगी बना सकती है। स्वस्थ लोगों को प्रभावित करने के साथ प्रदूषण की यह बढ़ी मात्रा बीमार व्यक्तियों की हालत नाजुक कर सकती है। पटाखों के धुएं से पीएम-2.5 की मात्रा सामान्य मात्रा से 353 और संतोषजनक मात्रा से 303 माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूब अधिक रही। बुधवार की अपेक्षा 73 माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूब ज्यादा रिकार्ड की गई।

पटाखों का प्रदूषण सांस के मरीजों के लिए खतरा

 पर्यावरणविद बताते हैं, एक दिन में हुई जगह-जगह आतिशबाजी के बाद प्रदूषण की यह बढ़ी हुई मात्रा सेहत के लिए बेहद खतरनाक है। हरकोर्ट बटलर प्राविधिक विश्वविद्यालय के सिविल इंजीनियरिंग विभागाध्यक्ष प्रो. प्रदीप कुमार ने बताया कि ज्यादा समय तक ऐसे वातावरण में रहने पर आम आदमी फेफड़ों के संक्रमण का शिकार बन सकता है। पारा गिरने के साथ अगर पटाखों से प्रदूषण बढ़ता है तो निचली सतह पर उसके कण घंटों ठहरे रहेंगे जिससे आम आदमी तो प्रभावित होगा ही, सांस के रोगियों के लिए भी खतरा बढ़ जाएगा।

इनका ये है कहना

  • प्रदूषण बढने से पौधों को भोजन बनाने में सबसे ज्यादा परेशानी होती है। धूप उन्हेंं ठीक से नहीं मिल पाती है। पत्तियों के छिद्र भी प्रदूषण से बंद हो जाते हैं। ऐसे में उनकी बढ़त रुक जाती है। लंबे समय तक ऐसी स्थिति में रहने से वह मुरझा सकते हैं। - डॉ. प्रीति सिंह, एसोसिएट प्रोफेसर, वनस्पति विज्ञान एसएन सेन डिग्री कॉलेज व नेचर क्लब की उपाध्यक्ष
  • टीबी व दमा के मरीजों के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं। बढ़ता प्रदूषण कोरोना के मामले बढ़ा सकता है। कोहरे के साथ मिलकर प्रदूषण के ये कण स्मॉग बनाकर और हानिकारक हो जाएंगे। अगर प्रदूषण की यही स्थिति रही तो सल्फर, नाइट्रोजन और कार्बन के बारीक कण वातावरण में घुलकर और प्रभावित करेंगे। - डॉ. रचना प्रकाश श्रीवास्तव, विभागाध्यक्ष रसायन विज्ञान, डीजी डिग्री कॉलेज
खास बातें...

-रात में पारा गिरने पर तड़के ओस की बूंदों के साथ मिलकर प्रदूषण के कण निचली सतह पर आ जाते हैं

-घंटों नीचे रहने के कारण सांस के जरिए ये कण सीधे हमारे शरीर में प्रवेश करके फेफड़ों को प्रभावित करने लगते हैं

-वाहन कार्बन मोनो ऑक्साइड, बिना जले हाईड्रोकार्बन यौगिक व एल्डीहाइड जैसी गैसें उत्सर्जित करते हैं

-आतिशबाजी से कार्बन मोनो ऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड, क्रोमियम, कैडमियम, मरकरी, लेड, मैग्नीशियम, जिंक और कॉपर जैसी हानिकारक गैसें निकलती हैं

पीएम-2.5 की मात्रा का स्वास्थ्य पर प्रभाव

0-50: कोई दुष्प्रभाव नहीं

51-100: संवेदनशील लोगों को सांस लेने में हल्की तकलीफ

101-150: सांस व दिल के मरीजों के लिए खतरनाक

151-200: मध्यम प्रदूषित, आंखों में जलन, सांस में तकलीफ

201-300: ज्यादा प्रदूषित, दिल के मरीजों को परेशानी, सांस की बीमारी पैदा कर सकती

301-400: अति प्रदूषित, मरीजों को घर से बाहर न निकलने की चेतावनी

401-500: गंभीर, स्वस्थ लोगों को प्रभावित करने के साथ बीमार व्यक्तियों की हालत नाजुक कर सकती है

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