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IIT कानपुर के सहायक प्रोफेसर ने खोजा बृहस्पति से बड़ा नया ग्रह, 200 साल में पूरी करता है परिक्रमा

कानपुर आईआईटी (Kanpur IIT) के स्पेस प्लैनिटेरी एण्ड एस्ट्रनामिकल साइंस एंड इंजीनियरिंग (एसपीएएसई) विभाग के सहायक प्रोफेसर डा. प्रशांत पाठक ने बताया कि यह खोज रोमांचक रही क्योंकि इससे हमें ऐसे ग्रहों के बारे में अधिक जानने का मौका मिलता है जो हमारे अपने ग्रहों से बहुत अलग हैं। इस ग्रह के वायुमंडल में एक असामान्य संरचना प्रतीत होती है।

By Jagran News Edited By: Vivek Shukla Updated: Fri, 26 Jul 2024 02:07 PM (IST)
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छोटे तारे की परिक्रमा करते हुए ठंडी गैस वाले विशालकाय ग्रह की प्रतीकात्मक छवि। स्रोत : टी. मुलर
 जागरण संवाददाता, कानपुर। आईआईटी कानपुर के सहायक प्रोफेसर डा. प्रशांत पाठक के साथ खगोलविदों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने एक ऐसे विशाल ग्रह की खोज की है जो सूर्य के समान चमकदार तारे की परिक्रमा कर रहा है। बृहस्पति ग्रह से छह गुणा आकार में बड़ा होने से नए ग्रह एप्सीलान इंड एबी को ‘सुपर-जुपिटर’ श्रेणी में शामिल किया गया है।

यह सौर मंडल का अब तक ज्ञात सबसे विशाल ग्रह है और पृथ्वी और सूर्य की दूरी से 28 गुणा ज्यादा दूर स्थित होने से अपने तारे की परिक्रमा 200 साल में पूरी करता है। प्रत्यक्ष इमेजिंग तकनीक की मदद से हमारे सौर मंडल से बाहर खोजा गया यह पहला ग्रह है। अनुसंधान को अंतरराष्ट्रीय विज्ञान पत्रिका नेचर ने प्रकाशित किया है।

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आईआईटी निदेशक प्रो. मणीन्द्र अग्रवाल ने सौर मंडल से बाहर मौजूद ग्रहों की खोज में इस अनुसंधान को मील का पत्थर बताया है। इससे भविष्य में अन्य अनुसंधानों के लिए मजबूत आधार तैयार होगा। उन्होंने बताया कि जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप के मिड-इंफ्रारेड उपकरण का प्रयोग करते हुए इस ग्रह की खोज की गई है।

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इसे एप्सीलान इंड एबी नाम दिया गया है, जिसे एचडी 209100 या एचआइपी 108870 के नाम से भी जाना जाता है। तारे को एप्सीलान इंड ए नाम दिया गया है। विज्ञानियों को इस वाह्य ग्रह का प्रत्यक्ष चित्र लेने में सफलता मिली है। नया ग्रह पृथ्वी से 12 प्रकाश वर्ष दूर स्थित है और माइनस एक डिग्री तापमान के साथ काफी ठंडा है।

इसका अध्ययन करने से ग्रहों के निर्माण, वायुमंडलीय संरचना और हमारे सौर मंडल से परे जीवन की संभावना के बारे में और गहरी समझ हासिल करने की उम्मीद करते हैं। हमारा अगला लक्ष्य इसका स्पेक्ट्रा प्राप्त करना है जो हमें ग्रह की जलवायु और रासायनिक संरचना का विस्तृत फिंगरप्रिंट प्रदान कर सकेगा।

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