अंग्रेजी में शोध की अनिवार्यता हो सकती खत्म, नई शिक्षा नीति का हिंदी छात्रों को मिल सकता है लाभ
शिक्षाविद् व शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव ने सरकार को सुझाव दिया है।
कानपुर, जेएनएन। शिक्षाविद् व शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव अतुल कोठारी ने कहा है कि विज्ञान, गणित, इंजीनियरिंग व प्रबंधन समेत अन्य विषयों में शोध करने की ख्वाहिश रखने वाले हिंदी भाषीय छात्रों को 'नई शिक्षा नीति का लाभ मिल सकता है। शिक्षा नीति का मसौदा तैयार करने के दौरान इस पर विचार किया जा रहा है। इस बारे में उन्होंने इसका सुझाव सरकार को भी दिया है।
छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय में नई शिक्षा नीति पर संगोष्ठी में अतुल कोठारी ने बताया कि देशभर के प्रोफेसर, शिक्षाविद्, रिसर्च स्कॉलर, वैज्ञानिक व छात्रों से बात करने के बाद उन्होंने सबसे बड़ा सुझाव यह दिया है कि स्कूल से विश्वविद्यालय में मिलने वाली शिक्षा भारतीय भाषा में दी जाए।
उन्होंने नई शिक्षा नीति के लिए यह सुझाव भी दिया है कि व्यावसायिक शिक्षा शिक्षा की भाषा भी भारतीय हो जिससे अंग्रेजी में असहज महसूस करने वाले छात्र पुस्तकों में लिखी तकनीकी जानकारियों को आसानी से समझ सकें। इंजीनियरिंग व मैनेजमेंट की पढ़ाई करने वाले छात्रों को भारतीय भाषा का विकल्प दिया जाना चाहिए। अगर शिक्षा व्यवस्था बेहतर बनानी है तो स्थायी शिक्षक रखे जाएं। इसके अलावा उन्हें किसी अन्य कार्यों में न लगाकर उनसे केवल पढ़ाने का काम ही लिया जाना चाहिए।
देश के विभिन्न राज्यों से आए सुझावों के आधार पर उन्होंने डेढ़ वर्ष तक काम करने के बाद जनता की नीति पर आधारित पुस्तक 'शिक्षा में नया विकल्प' तैयार की और इसके सुझाव सरकार तक पहुंचाए। मार्च तक वह और सुझावों को जोड़कर 400 पेज की किताब निकालेंगे।