यूपी विधानसभा उपचुनाव में गुटबाजी बनी भाजपा की चुनौती, अब सीएम योगी खुद संभालेंगे मोर्चा
सीसामऊ उपचुनाव में भाजपा को गुटबाजी से जूझना पड़ रहा है। पूर्व और वर्तमान क्षेत्रीय अध्यक्षों के बीच मतभेद पार्टी की जीत में बाधा बन रहे हैं। नए मतदाता बनाने के लिए जिला कमेटी के सामने 11 सदस्य खड़े किए गए हैं जिससे जिला पदाधिकारी नाराज हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 29 अगस्त को शहर में आकर भाजपा नेताओं के साथ बैठक करेंगे और गुटबाजी खत्म करने का संदेश देंगे।
जागरण संवाददाता, कानपुर। भाजपा यूं तो सीसामऊ विधानसभा सीट पर होने जा रहे उप चुनाव को जीतने के लिए पूरी ताकत झोंक रही है लेकिन पार्टी के अंदर की गुटबाजी जीत की राह में बाधा बनकर खड़ी है। कानपुर बुंदेलखंड क्षेत्र के पूर्व क्षेत्रीय अध्यक्ष व प्रदेश उपाध्यक्ष मानवेन्द्र सिंह और वर्तमान क्षेत्रीय अध्यक्ष प्रकाश पाल के बीच 36 का आंकड़ा है।
जिला इकाइयां नए मतदाता बना रही हैं लेकिन कमेटी के सामने ही 11 नए सदस्य खड़े कर दिए गए, जिनके बारे में कहा गया है कि वे 10 हजार नए मतदाता बनाएंगे। कार्यक्रमों के दौरान मंच से कार्यकर्ताओं से एकजुटता बनाए रखने की बात कही जाती है लेकिन मंच से हटते ही नेता खुद गुटबाजी में डूब जाते हैं।
सीसामऊ विधानसभा क्षेत्र में लगातार पांच चुनाव हार चुकी भाजपा ने इस बार जीत हासिल करने के लिए नौ मंत्री, विधायक और विधान परिषद सदस्यों को लगाया है। अब तक हुई बैठकों में यहां की गुटबाजी भी ऊपर तक पहुंच चुकी है।
कल कानपुर आएंगे सीएम योगी
उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक की बैठक में उनके भाषण के दौरान जिस तरह से सीसामऊ विधानसभा क्षेत्र के ही एक वार्ड के पार्षद पवन गुप्ता ने पार्षदों के काम न होने के आरोप लगाए, उससे अनुमान लगाया गया कि यहां निचले स्तर पर सब ठीक नहीं है। इसके चलते ही 29 अगस्त को जब मुख्यमंत्री योगी शहर में आएंगे तो भाजपा नेताओं के साथ बैठक कर गुटबाजी खत्म करने का संदेश देंगे।
पिछले दिनों सर्किट हाउस में सीसामऊ विधानसभा क्षेत्र के प्रभारी सुरेश खन्ना के सामने एक विधान परिषद सदस्य ने अपने करीबी 11 लोगों को उनके सामने लाकर कह दिया कि सीसामऊ में अब ये 11 कार्यकर्ता नए 10 हजार मतदाता बनाएंगे। इसके बाद से जिला पदाधिकारी नाराज हैं कि इसके जरिये यह दिखा दिया गया कि जिला कमेटी तो कुछ कर ही नहीं रही है। उसी दिन सर्किट हाउस में तीन पार्षद सुरेश खन्ना से मिले और वार्डों में काम न कराने का आरोप दोहराया।
भाजपा के बड़े नेता जातीय संगठनों के साथ अलग-अलग बैठ रहे हैं। इसमें दलित, कायस्थ, वैश्य, सिंधी समाज के साथ तो बैठक भी की जा चुकी है लेकिन पिछले दिनों पूर्व विधायक उपेन्द्र पासवान का नाम थोड़ा चर्चा में आते ही सवर्णों ने खुला विरोध कर दिया। इसके लिए अलग-अलग बैठकें भी की गईं। पार्टी नेताओं का कहना है कि मुख्यमंत्री को बड़े नेताओं की गुटबाजी पर ध्यान देने के साथ ही अपनी बैठक में उस पर चर्चा करनी चाहिए।
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