UP: भाजपा कानपुर-बुंदेलखंड क्षेत्र में बदल सकती हैं 17 में से 10 जिला इकाइयां, पांच जिलों में भी बदलाव संभव
भाजपा लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियों में जुटी है। इसी क्रम में भाजपा कानपुर-बुंदेलखंड क्षेत्र में 17 में से 10 जिला इकाइयों में बदलाव कर सकती है। इसी के साथ पांच जिलों में भी भाजपा बदलाव कर सकती है। बता दें कि तीन जिलाध्यक्ष विधायक और विधान परिषद सदस्य बन चुके हैं। वहीं महाजनसंपर्क अभियान के तहत कार्यक्रम करने में सबसे पीछे रहे पांच जिलों में भी बदलाव संभव है।
By Prabhapunj MishraEdited By: Prabhapunj MishraUpdated: Sun, 09 Jul 2023 03:14 PM (IST)
कानपुर, जागरण संवाददाता। भाजपा कानपुर बुंदेलखंड क्षेत्र की 17 में से 10 जिला इकाइयों में बदलाव हो सकता है। इसमें तीन जिलाध्यक्ष विधायक और विधान परिषद सदस्य बन चुके हैं, वहीं पांच जिले ऐसे हैं जो पिछले कुछ समय में पार्टी द्वारा दिए गए कार्यों में सबसे पीछे रहे हैं।
कानपुर नगर और कानपुर देहात में आने वाली चार जिला इकाइयों में से भी कम से कम दो जिलों में बदलाव होने जा रहा है। भाजपा की जिला कमेटियों में इस सप्ताह बदलाव होने की उम्मीद है। सिर्फ प्रदेश में मंत्रिमंडल में फेरबदल की चल रही चर्चा अगर सच हुई तो इनके कुछ समय के लिए टलने की उम्मीद है।
हालांकि अधिकांश पार्टी नेताओं का मानना है कि दोनों ही घोषणाएं एक साथ भी हो सकती हैं। महोबा जिलाध्यक्ष रहे जितेन्द्र सिंह विधान परिषद सदस्य बन गए हैं। यहीं स्थिति कानपुर देहात के जिलाध्यक्ष अविनाश सिंह को लेकर है। बांदा के जिलाध्यक्ष रामकेश निषाद विधायक और मंत्री बन चुके हैं।
अब वहां संजय सिंह संयोजक के रूप में जिले का काम देख रहे हैं। इन तीनों में ही नया जिलाध्यक्ष घोषित होना तय है। हालांकि पिछले वर्ष हुए विधानसभा चुनाव और उसके बाद अभी हुई स्थानीय निकाय चुनाव में पार्टी ने अच्छा प्रदर्शन किया है लेकिन पिछले एक माह से चल रहे पार्टी के अभियानों को कुछ जिलों ने ठीक से नहीं किया है।
इसकी रिपोर्टिंग भी क्षेत्रीय कार्यालय के पास है। इसमें औरैया, झांसी जिला, झांसी महानगर, चित्रकूट, हमीरपुर सबसे नीचे के जिलों में माने जा रहे हैं। इसलिए पार्टी नेता यहां भी जिला कमेटियों में बदलाव की उम्मीद जता रहे हैं। कानपुर नगर व देहात में उत्तर, दक्षिण, ग्रामीण व कानपुर देहात के रूप में चार जिला इकाइयां हैं।
इनमें से दो इकाइयों को संगठन के अंदरूनी विवादों और निकाय चुनाव में आई शिकायतों के चलते बदला जा सकता है। पार्टी नेताओं के इटावा और ललितपुर के अध्यक्ष को कार्यकाल के बीच में पद मिला था, इसलिए यहां बदलाव की संभावना न के बराबर है।
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