बुलेटप्रूफ जैकेट: ढाई गुणा ज्यादा मजबूत होगा कपड़ा, एंटीबैक्टीरियल भी होगा, आग भी होगी बेअसर
यूपीटीटीआई में बुलेटप्रूफ जैकेट के लिए विशेष कपड़ा तैयार किया जा रहा है। यह कपड़ा आग धूप और बारिश से सुरक्षित होगा एंटी बैक्टीरियल होगा और पसीने की दुर्गंध नहीं करेगा। इसकी उपयोग अवधि ढाई गुणा बढ़ेगी जो अभी दो साल है। अगले दो साल में अनुसंधान पूरा होने के बाद इसका औद्योगिक उत्पादन शुरू किया जाएगा। यह आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत एक महत्वपूर्ण कदम है।
अखिलेश तिवारी, कानपुर। बुलेटप्रूफ जैकेट को अधिक टिकाऊ बनाने के लिए अनुसंधान कार्य उत्तर प्रदेश वस्त्र प्राैद्योगिकी संस्थान (यूपीटीटीआई) में ऐसा कपड़ा तैयार किया जा रहा है जो जैकेट की उम्र ढाई गुणा बढ़ा देगा। कपड़े का रंग फीका नहीं होगा। आग की लपटें भी इसे जला नहीं सकेंगी।
जैकेट का कपड़ा एंटी बैक्टीरियल होगा, जिससे संक्रामक रोगों से बचाव हो सकेगा। विशेष कपड़े से बनी जैकेट पहनने वाले को पसीने की दुर्गंध बेचैन नहीं करेगी। अगले दो साल में अनुसंधान पूरा करके कपड़े का उत्पादन शुरू करने का लक्ष्य रखा गया है।
बुलेट प्रूफ जैकेट में प्रयोग होने वाला कपड़ा बेशकीमती है और स्वदेशी निर्माता भी इसके आयात पर निर्भर हैं। अभी बुलेट प्रूफ जैकेट में जो कपड़ा इस्तेमाल होता है वह दो साल में कमजोर हो जाता है। दो साल बाद जैकेट के कपड़े को बदल दिया जाता है।
जैकेट के कपड़े में प्रयोग होने वाले छद्मावरण डिजाइन भी रंग छोड़ देते हैं, जिससे सैनिकों या सुरक्षाकर्मियों के दुश्मन की नजर में आने का खतरा बढ़ जाता है। कुछ समय के प्रयोग के बाद जैकेट के कपड़े से पसीने की दुर्गंध भी आने लगती है जो सुरक्षाकर्मियों को बेचैन करती है। ऐसी सभी समस्याओं का समाधान यूपीटीटीआई में बना नया कपड़ा होगा।
संस्थान के शोधार्थियों की टीम का नेतृत्व कर रहे असिस्टेंट प्रो. शुभांकर मैती के मुताबिक बुलेट प्रूफ जैकेट में कपड़े की भूमिका भी विशेष है। वह कवच पैनल को मजबूत बनाने में सहायक है। बारिश, धूप, लौ और चिपचिपाहट बढ़ाने वाले तत्वों से बचाता है।
जैकेट की जेब में हथियार या अन्य डिवाइस रखने पर अभी कपड़ा लटक जाता है। उससे जैकेट की अभेद्यता कम होती है जो सुरक्षा की दृष्टि से ठीक नहीं है। संस्थान की टीम ने जो काम किया है उसमें यह समस्या नहीं है। जैकेट पर लगा कपड़ा कहीं से भी नहीं लटकेगा।
कपड़ा धोने से खराब नहीं होगा और रंग भी नहीं बदलेगा। कपड़े पर मिट्टी या धूल नहीं जमा होगी। धूल या मिट्टी लग जाएगी तो उसे ब्रश से साफ किया जा सकेगा। कपड़ा आग के संपर्क में आने से नहीं जलेगा। अल्ट्रावायलेट किरणें भी इस पर बेअसर हैं। एंटी बैक्टीरियल होने से किसी भी संक्रामक बीमारी का असर जैकेट पहनने वाले पर नहीं होगा। अभी जिस गुणवत्ता के कपड़े का प्रयाेग किया जा रहा है, उसे दो साल बाद बदलना पड़ता है, लेकिन अब जो कपड़ा तैयार करने में सफलता मिली है उसे पूरे पांच साल तक प्रयोग में लाया जा सकेगा। बुलेट प्रूफ जैकेट की उपयोग अवधि ढाई गुणा बढ़ जाएगी।
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-डाॅ. जी, नालनकिल्ली, निदेशक यूपीटीटीआई