सौ वर्षों में देश का अग्रणी तकनीकी संस्थान बना HBTU, तीन काेर्सों से शुरू हुआ था सफर, जानिए गौरवशाली इतिहास
हरकोर्ट बटलर तकनीकी विश्वविद्यालय का शताब्दी वर्ष समारोह 25 को होगा। इस मौके पर राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द शहर आएंगे। संस्थान में बनाए गए शताब्दी द्वार में 100 वर्षों की उपलब्धियों का ब्योरा रखवाया जाएगा। तीन कोर्सों के साथ शुरू हुआ संस्थान आज विश्व का नामी विश्वविद्यालय बन चुका है।
By Abhishek AgnihotriEdited By: Updated: Mon, 22 Nov 2021 09:25 AM (IST)
कानपुर, जागरण संवाददाता। हरकोर्ट बटलर तकनीकी विश्वविद्यालय (एचबीटीयू) के सौ वर्ष 25 नवंबर को पूरे हो रहे हैं। महज तीन कोर्सों के साथ शुरू हुआ यह संस्थान आज विश्व का नामी तकनीकी विश्वविद्यालय बन चुका है, जिसमें एक हजार से ज्यादा छात्र-छात्राएं अध्ययन कर रहे हैं। संस्थान से पढ़े तमाम वैज्ञानिक, शिक्षाविद और इंजीनियर आज देश ही नहीं दुनिया भर में संस्थान का लोहा मनवा रहे हैं। विवि प्रशासन ने सौ वर्ष की उपलब्धियों का ब्योरा संस्थान में बनवाए गए शताब्दी स्तंभ में रखवाया है, जिसका लोकार्पण 25 नवंबर को राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द करेंगे।
विवि के कुलसचिव नीरज सिंह ने बताया कि अंग्रेजी शासन के दौरान वर्ष 1907 में नैनीताल में हुई इंडस्ट्रियल कांफ्रेंस के दौरान रुड़की में इंजीनियरिंग के लिए और कानपुर में केमिस्ट्री के लिए दो अलग-अलग संस्थान स्थापित करने का प्रस्ताव तैयार हुआ था। 1916 से 1918 के दौरान इंडियन इंडस्ट्रियल कमीशन के हेड टी. हालैंड ने केमिकल टेक्नोलाजी, आयल केमिस्ट्री एंड टेक्नोलाजी की शिक्षा के प्रसार का सुझाव दिया। 1920 में कंपनी बाग क्रासिंग नवाबगंज के पास राजकीय रिसर्च इंस्टीट्यूट की स्थापना हुई। इससे पहले प्रधानाचार्य थे डा. ईआर वाटसन थे। वर्ष 1921 में इस संस्थान का नाम गवर्नमेंट टेक्नोलाजिकल इंस्टीट्यूट रखा गया और तीन प्रमुख कोर्स, एप्लाइड केमिस्ट्री, आयल टेक्नोलाजी व पेंटिंग टेक्नोलाजी और 1924 में केमिस्ट्री विभाग शुरू किए गए।
गवर्नर सर स्पेंसर हरकोर्ट बटलर ने रखी थी नींव: संस्थान की इमारत की नींव ब्रिटिश इंडिया के संयुक्त प्रांत के गवर्नर सर स्पेंसर हरकोर्ट बटलर ने की थी। वर्ष 1926 में जब प्रधानाचार्य ईआर वाटसन रिटायर हो रहे थे और नए प्रधानाचार्य डा. गिलबर्ट जे फोलर ने कार्यभार ग्रहण किया तो संस्थान का नाम बदलकर गवर्नर के नाम पर हरकोर्ट बटलर टेक्नोलाजिकल इंस्टीट्यूट रखा गया था।
शुगर टेक्नोलाजी व लेदर टेक्नोलाजी कोर्स भी चलता था: वर्ष 1928 में इसी संस्थान में शुगर टेक्नोलाजी कोर्स शुरू किया गया था, जिसे 1936 में अलग से शर्करा संस्थान बनने के कारण बंद कर दिया गया। यही शर्करा संस्थान अब कल्याणपुर में राष्ट्रीय शर्करा संस्थान के रूप में जाना जाना है। इसी तरह वर्ष 1922 में संस्थान में लेदर टेक्नोलाजी कोर्स शुरू हुआ था। बाद में लेदर टेक्नोलाजी इंस्टीट््यूट का भी अलग से निर्माण हुआ।
1932 से 1964 के बीच शुरू हुए कई टेक्नोलाजी कोर्स: 1932 से 1960 के बीच यहां शोध कोर्सों के साथ ग्लास टेक्नोलाजी, एल्कोहल टेक्नोलाजी, इलेक्ट्रिकल व मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीएससी कोर्स शुरू हुए। 1961 में गणित विभाग, 1964 में प्लास्टिक टेक्नोलाजी, बायोकेमिकल इंजीनियरिंग व फूड टेक्नोलाजी, मैकेनिकल इंजीनियरिंग व इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग कोर्स शुरू हुए। पीएचडी शुरू हुए।
1965 में बना स्वायत्त संस्थान, 2016 में विवि: वर्ष 1965 में एचबीटीआइ स्वायत्त संस्था बनी। इसके बाद आयल, फैट्स, वैक्सेज, पेंट, वार्निश कोर्स में एमएससी टेक्नोलाजी, केमिकल टेक्नोलाजी में एमएससी, एमटेक के पांच नए कोर्स शुरू हुए। बेसिक साइंस एंड ह्यूमनिटी, डिस्पेंसरी शुरू की गई। इसके बाद संस्थान के लिए 248 एकड़ की भूमि का अधिग्रहण हुआ, जो अब संस्थान के पश्चिमी कैंपस के रूप में जाना जाता है। यहां हास्टल, आवास, खेलकूद के मैदान भी बनवाए गए। 1966 से 1990 के बीच इलेक्ट्रानिक्स इंजीनियरिंग विभाग, कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग, साइंस एंड टेक्नोलाजी पार्क व कोर्स शुरू हुए।
वर्ष 2016 में राज्य सरकार ने बनाया विवि: कानपुर विवि से संबद्धता के बाद इस संस्थान को उ.प्र. टेक्नोलाजी विवि से संबद्ध कर दिया गया था। वर्ष 2016 में राज्य सरकार ने अधिसूचना जारी करके संस्थान को विवि का दर्जा प्रदान किया था। ---राज्यपाल और प्राविधिक शिक्षा मंत्री भी होंगे समारोह में: राष्ट्रपति के आगमन के दौरान राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और प्राविधिक शिक्षा मंत्री जितिन प्रसाद भी समारोह में शामिल होंगे। कुलसचिव नीरज ङ्क्षसह ने बताया कि राजभवन और कैबिनेट मंत्री कार्यालय से स्वीकृति मिल गई है। साथ ही प्रदेश सरकार के कई अन्य मंत्री भी मौजूद होंगे।
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