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Chandrayaan-3: रूस के लूना-25 और भारत के चन्द्रयान दोनों के मिशन मून पर विज्ञानियों का फोकस, कही ये बड़ी बात

भारत की ओर से म‍िशन मून पर भेजा गया चन्द्रयान-3 पृथ्वी चंद्रमा की गुरुत्वाकर्षण शक्ति का उपयोग कर आगे बढ़ रहा है। वैज्ञान‍िकों का मानना हैं क‍ि चन्द्रयान लंबा चक्कर लगाकर पहुंचेगा और अधिक आंकड़े जुटाएगा। इसरो के चन्द्रयान के भिन्न रूट ने शोध की उम्मीदें बढ़ा दी हैं। आइआइटी कानपुर के विज्ञानी भी मिशन मून पर नजर रखे हुए हैं।

By Jagran NewsEdited By: Prabhapunj MishraUpdated: Sun, 13 Aug 2023 08:42 AM (IST)
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Chandrayaan-3: दुन‍ियाभर के वैज्ञान‍िकों की रुस और भारत के मून म‍िशन पर नजर
कानपुर, जासं। रूस के शुक्रवार को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लूना-25 भेजने के साथ ही अब विज्ञानियों की नजर रूस और भारत दोनों के मिशन मून पर टिक गई है। रूस का लूना-25 भारत के चंद्रयान -3 से पहले चंद्रमा पर उतर सकता है लेकिन विज्ञानियों को भारत के चंद्रयान से ज्यादा शोध आंकड़े मिलने की उम्मीद है। लंबा चक्कर लगाकर चंद्रमा पर पहुंचने वाले चंद्रयान-3 में ईंधन का प्रयोग कम करने से अधिक वैज्ञानिक जांच उपकरण ले जाए गए हैं।

चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने के लिए निकले भारत के चंद्रयान-3 और रूस के लूना-25 पर आइआइटी कानपुर के विज्ञानियों ने भी नजर गड़ा रखी है। लूना-25 को रूस ने चंद्रमा की ओर शुक्रवार 11 अगस्त को रवाना किया है। यह सीधे चंद्रमा की ओर जा रहा है और पांच दिन में चंद्रमा के ऊपर 100 किमी की कक्षा में पहुंच जाएगा।

पृथ्वी से सीधे चंद्रमा तक जाने के लिए लूना-25 को अधिक ईंधन खर्च करना पड़ा है इसलिए वह अपने साथ सीमित जांच उपकरणों को लेकर जा रहा है। वह एक साल तक चंद्रमा पर रहेगा। इसके विपरीत चंद्रयान-3 लंबी दूरी का चक्कर काटकर चंद्रमा पर पहुंच रहा है। ईंधन खर्च कम से कम करने की रणनीति से चंद्रयान ने पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण को सीधे चुनौती देने के बजाय उसकी शक्ति का प्रयोग आगे बढ़ने में किया है। वह दो सप्ताह तक चंद्रमा पर रहेगा लेकिन पृथ्वी पर ज्यादा जानकारी दे सकेगा।

आइआइटी कानपुर के विज्ञानी व भू विज्ञान विभाग के प्रो. दीपक ढींगरा के अनुसार लूना -25 और चंद्रयान-3 से मिलने वाले जांच आंकड़ों में सभी विज्ञानियों की दिलचस्पी है। लूना-25 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर 21 अगस्त को उतारने की तैयारी है जबकि चंद्रयान-3 वहां 23 अगस्त को उतरेगा। इससे चंद्रमा पर सबसे पहले पहुंचने के साथ ही दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने का रिकार्ड भी रूस के नाम दर्ज हो जाएगा लेकिन चंद्रयान-3 से चंद्रमा के बारे में ज्यादा जानकारी जुटाई जा सकेगी।

चंद्रयान- 3 का वजन 1752 किग्रा है। वहीं लूना का वजन 800 किग्रा है। चंद्रमा तक पहुंचने के लिए लूना को ज्यादा ईंधन खर्च करना पड़ा है इसलिए वह उसका पेलोड कम है। चंद्रयान का आर्बिट्रेटर इस दौरान परावर्तित प्रकाश की मदद से पृथ्वी जैसे अन्य ग्रहों की खोज भी करेगा। लूना-25 से इतनी अधिक जानकारी मिलने की संभावना नहीं है।

चंद्रयान से मिलेगी यह जानकारी

  • चांद की सतह के निकट प्लाज्मा घनत्व और समय के साथ होने वाला परिवर्तन
  • ध्रुवीय क्षेत्रों की सतह के तापीय गुणों का डाटा
  • द्रमा के क्रस्ट और मैटल की संरचना का विवरण
  • चंद्रमा की गतिकीय प्रणाली का ज्ञान
  • चंद्रमा की सतह पर मौजूद विभिन्न धातु या तत्वों की मात्रा व गुण का विवरण
  • चंद्रमा की धूल और चट्टानों की जानकारी
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