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चित्रकूट: प्रशासन के चक्रव्यूह पर भारी पड़ी आस्था, अमावस्या मेले में पहुंचे एक लाख से अधिक श्रद्धालु

Chitrakoot Amavasya Mela 2021 कलेक्टर अजय कटेसरिया ने गुरुवार रात तीन बजे से यूपी एमपी सीमा को निर्मोही अखाड़ा के पास हनुमानधारा मार्ग पीलीकोठी में सील करा दिया था। साथ ही परिक्रमा में कामदगिरि प्रमुख द्वार और बिहारी चौक में बैरीकेडिंग कराकर भारी पुलिस बल तैनात कर दिया था।

By Shaswat GuptaEdited By: Updated: Fri, 09 Jul 2021 08:38 PM (IST)
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अमावस्या मेला में प्रतिबंध पर निर्मोही अखाड़ा के पास बैरीकेडिंग कर श्रद्धालुओं को रोकती पुलिस।
चित्रकूट, जेएनएन। Chitrakoot Amavasya Mela 2021 पुलिस की सख्ती पर आस्था भारी पड़ी। आषाढ़ मास की हलहारणी अमावस्या में मेला पर सतना जिला प्रशासन के प्रतिबंध और यूपी-एमपी सीमा सील कर 500 पुलिसकर्मी लगाने के बावजूद श्रद्धालु पगडंडी व खेतों से रामघाट व परिक्रमा पथ पर पहुंचे। करीब एक लाख श्रद्धालुओं ने मंदाकिनी स्नान कर कामदगिरि परिक्रमा लगाई। 

कोरोना संक्रमण के खतरे को लेकर हलहारणी अमावस्या पर मेला आयोजन को मध्यप्रदेश के सतना जिला प्रशासन ने स्थगित कर दिया था। सतना कलेक्टर अजय कटेसरिया ने गुरुवार रात तीन बजे से यूपी एमपी सीमा को निर्मोही अखाड़ा के पास, हनुमानधारा मार्ग, पीलीकोठी में सील करा दिया था। साथ ही परिक्रमा में कामदगिरि प्रमुख द्वार और बिहारी चौक में बैरीकेडिंग कराकर भारी पुलिस बल तैनात कर दिया था। वहीं यूपी के चित्रकूट जिला प्रशासन ने मेला को स्थगित तो नहीं किया था लेकिन एक समय में एक स्थान पर 50 से अधिक लोगों के भीड़ पर प्रतिबंध लगाया था। साथ ही सतना कलेक्टर के अनुरोध पर यहां प्रमुख मार्गों पर वाहनों के प्रवेश बंद कर दिया था। जोनल व सेक्टर मजिस्ट्रेट लगाए गए थे जो लगातार मेला में नजर रखे थे।

बाहर रहा सख्त पहला, परिक्रमा में खुली आजादी: यूपी व एमपी के करीब 500 पुलिस जवान धर्मनगरी के रामघाट और परिक्रमा जाने वाले प्रमुख मार्गों में तैनात थे। वह बाहर से आने वाले वाहनों का प्रवेश धर्मनगरी में नहीं होने दे रहे थे ऐसे श्रद्धालु पैदल ही भगवान कामतानाथ के दर्शन को चल दे रहे थे। कोई पगडंडी व खेत तो कोई मुख्य सड़क से आठ से 10 किमी पैदल चलकर आराध्य के दर्शन करने पहुंचा। परिक्रमा मार्ग में कोई रोक-टोक नहीं थी।

बंद रहे मंदिरों के पट: सतना जिला प्रशासन ने कोरोना कर्फ्यू लगाकर कामदगिरि प्रमुख द्वार, प्राचीन मुखारबिंद समेत सभी मंदिर के पट बंद करा दिए थे लेकिन श्रद्धालुओं की आस्था नहीं डिगी। बाहर से ही पूजन कर परिक्रमा लगाकर घर लौटे। 

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