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UP ByPolls: भाजपा और सपा में करीबी टक्कर, बसपा नहीं बना सकी त्रिकोणीय मुकाबला; 28 साल बाद ढहेगा SP का किला?

Sisamau ByPolls सीसामऊ उपचुनाव में भाजपा और सपा के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिली है। मतदाताओं का रुझान भी यही बता रहा है। बसपा इस चुनाव में त्रिकोणीय मुकाबला नहीं बना पाई। मुस्लिम क्षेत्रों में सपा को बढ़त मिली है लेकिन भाजपा भी पीछे नहीं है। हिंदू क्षेत्रों में भाजपा ने मजबूत पकड़ बनाई है। 23 नवंबर को होने वाली मतगणना के नतीजे चौंकाने वाले हो सकते हैं।

By shiva awasthi Edited By: Abhishek Pandey Updated: Thu, 21 Nov 2024 08:36 AM (IST)
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अखिलेश यादव, मायावती व योगी आदित्यनाथ (फाइल फोटो)
जागरण संवाददाता, कानपुर। सीसामऊ सीट के लिए उपचुनाव में मतदान के बाद उभरी तस्वीर में भाजपा व सपा के बीच करीबी टक्कर हुई। मतदाताओं का रुख भी यही कह रहा है। बसपा त्रिकोण नहीं बना सकी। वह लगभग नेपथ्य में नजर आई। मुस्लिम क्षेत्रों में सपा की साइकिल खूब दौड़ी, लेकिन भाजपा के भी बस्ते लगने से भगवा झंडे लहराते दिखे। इससे मतगणना के दौरान आने वाले परिणाम और चमत्कृत करने वाले हो सकते हैं।

हिंदू क्षेत्र में भाजपा ने तगड़ी पकड़ बनाई। यहां भी सपा के बस्तों में लोग नजर आए। बसपा के बस्ते तक नहीं लग सके। उपचुनाव में भाजपा ने सुरेश अवस्थी, सपा ने नसीम सोलंकी व बसपा ने वीरेंद्र कुमार को मैदान में उतारा था। प्रचार से लेकर मतदान तक भाजपा, उसका संगठन, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर तमाम मंत्री, सांसद, विधायक आक्रमक रुख अपनाए रहे। घर-घर दस्तक देकर बूथों, पन्ना प्रमुखों की रणनीति पर काम हुआ।

दोनों पार्टियों ने नहीं छोड़ी कसर

सपा ने भी मुस्लिम क्षेत्रों के साथ ही हिंदू इलाकों में भी प्रचार में कसर नहीं छोड़ी। सपा प्रमुख अखिलेश यादव, सियासी रणनीतिकार शिवपाल सिंह यादव, सांसद डिंपल यादव के साथ ही दूसरे नेता डटे रहे। बसपा प्रचार से ही पिछड़ गई। उसकी कोई बड़ी रैली तक नहीं हुई। दलित बस्तियों में प्रचार किया पर मतदान के दिन खास उपस्थिति नहीं दिखी।

भाजपा-सपा के प्रत्याशी लड़े और उनके शीर्षस्थ नेता कमान संभाले रहे। भाजपा के क्षेत्रीय अध्यक्ष प्रकाश पाल, संदीप ठाकुर, अनूप तिवारी, नव तिवारी बूथ-बूथ घूमते रहे। प्रदेश उपाध्यक्ष एवं एमएलसी मानवेंद्र सिंह, पूर्व विधायक अजय कपूर, विधायक अभिजीत सिंह सांगा भी डटे रहे। इसी तरह सपा में सुनील साजन रात दिन एक किए रहे। प्रदेश सचिव आशीष चौबे टीम के साथ बूथों पर मुस्तैद नजर आए।

भाजपा 28 साल बाद भेदेगी किला या बचेगी सपा की साख

मतदान के बाद अब 23 नवंबर को मतगणना पर सबकी निगाह टिक गई है। चर्चा है कि भाजपा 28 साल बाद इस सीट पर अपना कमल खिला पाएगी या सपा की साख बचेगी। इसे लेकर सियासी रणनीतिकार हर पहलू पर मंथन में जुटे हैं।

खामोशी की चादर ओढ़ घर से निकले मतदाता

बुधवार सुबह कोहरे और सर्द हवाओं के बीच मतदाता खामोशी की चादर ओढ़कर घर से निकले। वोट डाला और फिर घर चले गए। सुबह के बाद मौसम थोड़ा सामान्य हुआ और शाम को फिर हल्की सर्दी हुई, लेकिन मतदाताओं ने खामोशी की चादर नहीं उतारी। मतदान के बारे में प्रतिक्रिया देने से बचते रहे। किसी तरह का कोई रुख नहीं झलकने दिया।

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