कानपुर में जाग रही चेतना : मोहल्लों के होंगे स्वदेशी नाम, अंग्रेजी परतंत्रता के मिटेंगे निशान
लोग अब इसके लिए आवाज उठाने लगे हैं। उनका कहना है कि आजादी के बाद गुलामी के सभी चिन्ह मिटा दिए जाने चाहिए। इनकी जगह हमें अपने महापुरुषों के नाम रखने चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ी हमारे महापुरुषों के बारे में जाने ना कि अंग्रेज अफसरों के बारे में।
By Akash DwivediEdited By: Updated: Tue, 17 Aug 2021 09:03 AM (IST)
कानपुर, जेएनएन। भइया, लाटूश रोड चलने को कितना लोगे, हालसी रोड चलोगे क्या। यह शब्द शहर के बीच घूमते हुए अक्सर सुनने को मिल जाते हैं। जिन सड़कों या मोहल्लों के नाम यूं ही बहुत सामान्य तरीके से बोले जाते हैं, वास्तव में वे उन अंग्रेज अफसरों के नाम पर हैं, जिन्होंने हम पर 200 साल तक शासन किया। आजादी के 75 वर्ष होने के बाद भी ये नाम हमारे दिलों को चुभते हैं, लेकिन अब ज्यादा दिन यह स्थिति नहीं रहेगी, क्योंकि अब आम जनता और जनप्रतिनिधि दोनों जागरूक होने लगे हैं। इन हालात पर खुद महापौर प्रमिला पांडेय और पार्षदों ने भी ऐसे मोहल्लों और सड़कों के नाम बदलने का मन बना लिया है। उन्होंने सदन में जल्द इनके नामों को बदलने का प्रस्ताव लाने की बात कही है।
शहर के सामाजिक और धाॢमक क्षेत्र से जुड़े लोग अब इसके लिए आवाज उठाने लगे हैं। उनका कहना है कि आजादी के बाद गुलामी के सभी चिन्ह मिटा दिए जाने चाहिए। इनकी जगह हमें अपने महापुरुषों के नाम रखने चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ी हमारे महापुरुषों के बारे में जाने ना कि अंग्रेज अफसरों के बारे में।
ये हैं सड़कों और मोहल्लों के नाम
- अंग्रेज सेना की परेड होने की वजह से परेड मोहल्ले का नाम पड़ा।
- कलक्टर एस हालसी के नाम पर हालसी रोड नाम पड़ा।
- कलक्टर एचडी मोल के नाम पर मूलगंज नाम पड़ा।
- संयुक्त प्रांत के लेफ्टीनेंट गवर्नर सर जेम्स लाटूश के नाम पर लाटूश रोड नाम हुआ।
- अंग्रेजों की सेना में बंगाल इंफेंट्री को गिलिसेज कहा जाता था, इसके नाम पर गिलिस बाजार का नामकरण हुआ।
- 1847 में अंग्रेजी सेना के रुकने की वजह से कंपनी बाग नाम पड़ा।
- कूपर एलेन के नाम पर कोपरगंज बसाया गया।
बोले पार्षद
नगर निगम सदन में प्रस्ताव लाया जाएगा कि अंग्रेज अफसरों के नाम पर बने मोहल्लों और सड़कों के नाम बदले जाएं। हमारे अपने महापुरुषों के नाम पर इनका नाम रखा जाए।- सोहेल अंसारी, वार्ड
हम आजादी के 75वें वर्ष के समारोहों का आयोजन कर रहे हैं। पूरा देश उल्लास में है, ऐसे में अंग्रेज अफसरों के नाम वाले मोहल्लों के नाम खत्म करने का यह उचित समय है।- राशिद महमूद।
देखा जाए तो आजाद भारत की पूरी एक पीढ़ी गुजर गई है। हमें भावी पीढ़ी के बारे में सोचना चाहिए। इसलिए सदन में प्रस्ताव लाएंगे कि इन नामों को बदला जाए।- अभिषेक गुप्ता।इनके नाम बदलने के कागजात तैयार कराए जाएंगे। इसके बाद पूरा प्रस्ताव बनाकर सदन में लाया जाएगा। सभी पार्षदों से पहले ही इस संबंध में बात कर इसे पास कराएंगे।- प्रमिला पांडेय, महापौर, नगर निगम।
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