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CoronaVirus: भारत में कब आ सकती है कोरोनो की चौथी लहर, आइआइटी कानपुर के वैज्ञानिकों ने शोध में बताया पूर्वानुमान

Covid-19 4th Wave News आइआइटी के गणित और सांख्यिकीय विभाग के वैज्ञानिकों ने जिंबाब्वे के डाटा को आधार मानकर गायिसन वितरण प्रणाली का प्रयोग करते हुए शोध किया है जिसमें कोरोना की चौथी लहर आने के पूर्वानुमान की जानकारी दी गई है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Updated: Mon, 28 Feb 2022 12:11 PM (IST)
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कोरोना की चौथी लहर को लेकर पूर्वानुमान।
कानपुर, जागरण संवाददाता। कोविड-19 की तीसरी लहर के वैरिएंट ओमिक्रोन का असर धीमा पड़ने के बाद अब चौथी लहर को लेकर भी कयास लगने लगे हैं। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) के गणित और सांख्यिकीय विभाग के शोधकर्ताओं ने गासियन वितरण प्रणाली के आधार पर आंकलन करके चौथी लहर आने का पूर्वानुमान बताया है। इसके लिए अवर वर्ल्ड इन डाटा नाम की वेबसाइट से कोरोना के अबतक के आंकड़ों का अध्ययन किया है। यह शोधपत्र मेड आर्किव वेबसाइट पर प्रकाशित कराया गया है।

आइआइटी वैज्ञानिकों ने किया अध्ययन : भारत में चौथी लहर का पूर्वानुमान लगाने के लिए आइआइटी के वैज्ञानिक प्रो. शलभ और एसोसिएट प्रोफेसर सुभ्रा शंकर धर के निर्देशन में शोधार्थी सबरा प्रसाद राजेश भाई ने पहली लहर से लेकर अब तक कोरोना के विभिन्न वैरिएंट के प्रसार और उनके प्रभाव पर जारी डाटा का अध्ययन किया। साथ ही डाटा की गासियन वितरण मिश्रण प्रणाली के आधार पर गणना की और चौथी लहर के शिखर का समय निकालने के लिए बूट स्ट्रेप प्रणाली का उपयोग किया। इसके मुताबिक कोरोना संक्रमण का पहला मामला विश्व में पहली बार दिसंबर 2019 में सामने आया था। इसके बाद सभी देश वायरस के संक्रमण का शिकार होने लगे। जिंबाब्वे और भारत में तीसरी लहर के आंकड़े लगभग एक समान थे। वर्तमान में जिंबाब्वे में चौथी लहर शुरू हो गई है। इसी वजह से जिंबाव्वे के डाटा को आधार मान विभाग की टीम ने गासियन वितरण मिश्रण प्रणाली का प्रयोग कर भारत में चौथी लहर का आंकलन किया है।

जून से आने वाली है चौथी लहर : डा. शलभ के मुताबिक सांख्यिकीय गणना के आधार पर सामने आया है कि भारत में कोविड 19 की चौथी लहर प्रारंभिक डाटा मिलने की तिथि से 936 दिन बाद आ सकती है। चूंकि प्रारंभिक डाटा 30 जनवरी 2020 को सामने आया था, लिहाजा चौथी लहर 22 जून 2022 से शुरू होने के आसार हैं। यही नहीं चौथी लहर 23 अगस्त को अपने चरम पर पहुंच सकती है और 24 अक्टूबर को समाप्त हो सकती है। भारत के साथ ही अन्य देशों के डाटा पर भी इसी पद्धति का उपयोग करके चौथी लहर की भविष्यवाणी की जा सकती है।

यह है गासियन वितरण प्रणाली : यदि घटनाओं की संख्या बहुत बड़ी है, तो भौतिक घटनाओं का वर्णन करने के लिए गासियन वितरण प्रणाली का प्रयोग किया जाता है। यह एक गणितीय माडल है।

दक्षिण अफ्रीका व जिंबाब्वे कर रहे चौथी लहर का सामना : विशेषज्ञों के मुताबिक वर्तमान में जिंबाब्वे के साथ ही दक्षिण अफ्रीका भी चौथी और उच्च लहरों का सामना करने लगा है। यहां जिंबाब्वे के कोविड 19 मामलों को प्रशिक्षण डाटा सेट के रूप में निर्धारित किया गया है। अब वैज्ञानिक इस बिंदु पर डाटा का आंकलन कर रहे हैं, ताकि यह पता लग सके कि भविष्य में समय के साथ कोरोना वायरल की घातकता कैसे बदल रही है।

नए म्यूटेंट के बाबत कुछ नहीं कहा जा सकता : प्रो. मणीन्द्र

अपने सूत्र माडल के आधार पर कोरोना की दूसरी और तीसरी लहर में सटीक भविष्यवाणी करने वाले आइआइटी के पद्मश्री से सम्मानित प्रो. मणीन्द्र अग्रवाल ने कहा कि अभी कोरोना की चौथी लहर के बारे में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। डेल्टाक्रोन नाम से नया म्यूटेंट कब आएगा, इसके बारे में कुछ भी नहीं कहा जा सकता है। किसी स्टैटिकल मेथड से डाटा निकाला गया है, उसे देखेंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि अब भारतीय लोगों में ओमिक्रोन और डेल्टा वैरिएंट दोनों की प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो चुकी है, इसलिए नए वैरिएंट का कोई प्रभाव नहीं पडऩे की उम्मीद है।

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