दुष्कर्म के मामले में आधी-अधूरी मेडिकल रिपोर्ट देने वाले डॉक्टर के खिलाफ कोर्ट ने कार्रवाई के दिए निर्देश
कानपुर की एक अदालत ने दुष्कर्म के मामले में आधी-अधूरी मेडिकल रिपोर्ट देने वाली डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि डॉक्टर ने अभियुक्त को अनुचित लाभ पहुंचाने की कोशिश की है। यह पीड़िता के साथ अन्याय है। कोर्ट ने मेडिकल परीक्षण करने वाली डॉक्टर पर विधि सम्मत कार्रवाई के लिए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग लखनऊ के प्रमुख सचिव और सीएमएओ से कहा है।
जागरण संवाददाता, कानपुर। एडिशनल स्पेशल जज पाक्सो एक्ट योगेश कुमार ने किशोरी से दुष्कर्म के मुकदमे में फैसला सुनाते हुए आधी-अधूरी मेडिकल रिपोर्ट पर नाराजगी जताई है। कहा है कि अभियुक्त को अनुचित लाभ देने का प्रयास किया गया। यह पीड़िता के साथ अन्याय है।
कोर्ट ने मेडिकल परीक्षण करने वाली डॉक्टर पर विधि सम्मत कार्रवाई के लिए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग लखनऊ के प्रमुख सचिव और सीएमएओ से कहा है। दोषी को 20 साल कैद और 70 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। जुर्माने की राशि में से 60 हजार रुपये पीड़िता को मिलेगा।
गंगागंज पनकी निवासी विनोद सिंह उर्फ मोनू परिहार के खिलाफ पनकी थाने में 17 अगस्त 2023 को रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इसमें कहा गया था कि आठ अगस्त 2023 को उसने किशोरी से दुष्कर्म किया। आरोप था कि वह मारपीट कर किशोरी को डराता रहा और रुपये भी वसूलता रहा। परेशान होने पर मां और पिता को पूरी बात बताई।
विशेष लोक अभियोजक भावना गुप्ता ने बताया कि कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि डॉ. वर्षा ने किशोरी का मेडिकल में असंवेदनशीलता व लापरवाही बरती। आधी-अधूरी, भ्रमित करने वाली त्रुटिपूर्ण मेडिकल परीक्षण रिपोर्ट तैयार करना अत्यंत गंभीर और आपत्तिजनक है।
विशेष लोक अभियोजक ने बताया कि इस मुकदमे में रिपोर्ट दर्ज होने के छह दिन बाद 23 अगस्त 2023 पुलिस ने चार्जशीट लगा दी थी। 16 अप्रैल 2024 को कोर्ट ने आरोप तय किए और पांच माह में विचारण पूरा कर लिया। गवाहों और बयानों के आधार पर कोर्ट ने सजा सुनाई।
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