बदलते मौसम में सांस रोगियों की बढ़ी मुश्किलें, कानपुर के अस्पतालों में बढ़ने लगे मरीज
kanpur News बदलते मौसम से सांस के मरीजों की दिक्कतें बढ़ गई हैं। मंगलवार को एलएलआर अस्पताल मुरारी लाल चेस्ट चिकित्सालय हृदय रोग संस्थान उर्सला अस्पताल की ओपीडी और इमरजेंसी में सांस के मरीजों की संख्या में वृद्धि हुई है। मौसम बदलते ही सांस के पुराने एवं नए मरीजों की दिक्कत बढ़ गई है। अस्थमा यानी दमा के पुराने मरीजों की सांस उखड़ रही है।
By Jagran NewsEdited By: Swati SinghUpdated: Wed, 29 Nov 2023 11:26 AM (IST)
जागरण संवाददाता, कानपुर। सर्दी के साथ ही सांस रोगियों की दुश्वारियां बढ़ने लगी हैं। सांस उखड़ने, अस्थमा और सीओपीडी अटैक के मरीज गंभीर स्थिति में मुरारी लाल चेस्ट अस्पताल में पहुंच रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, मौसम में उठापटक के चलते ब्रेन से स्टेरॉयड हॉर्मोंस का रिसाव प्रभावित होता है। भोर पहर यानी दो से चार बजे तक इसका रिसाव कम होता है, इसलिए सांस अधिक उखड़ती है।
मंगलवार को एलएलआर अस्पताल, मुरारी लाल चेस्ट चिकित्सालय, हृदय रोग संस्थान, उर्सला अस्पताल की ओपीडी और इमरजेंसी में सांस के मरीजों की संख्या में वृद्धि हुई है। मौसम बदलते ही सांस के पुराने एवं नए मरीजों की दिक्कत बढ़ गई है। अस्थमा यानी दमा के पुराने मरीजों की सांस उखड़ रही है। क्रोनिक आब्सट्रेक्टिव पल्मोनरी डिजीज यानी सीओपीडी का अटैक पड़ने से दम फूलने लगता है, जिससे चलना-फिरना दुश्वार हो जाता है।
अस्पताल हो रहे फुल
वहीं, इंटरस्टीशियल लंग्स डिजीज यानी आईएलडी के मरीज सांस उखड़ने से बेदम हो जाते हैं। उन्हें बिना ऑक्सीजन सपोर्ट आराम नहीं मिलता है। चेस्ट अस्पताल की ओपीडी में इस समय 80 प्रतिशत मरीज सांस से संबंधित बीमारियों के आ रहे हैं। प्रतिदिन अस्पताल में 400 के करीब मरीज ओपीडी और इमरजेंसी में पहुंचे रहे हैं। यहां बेड फुल हैं। गंभीर मरीजों को ऑक्सीजन सपोर्ट देना पड़ रहा है।समस्या की यह है मुख्य वजह
रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभागाध्यक्ष प्रो. संजय कुमार के अनुसार, मौसम के साथ ही हार्मोंस में भी बदलाव होने लगता है। इससे सांस उखड़ने लगती है। भोर दो से चार बजे तक स्टेरायड हार्मोंस कम निकलता है। यही वजह है कि भोर पहर में सांस उखड़ने, दम फूलने और दम घोंटू खांसी की समस्या ज्यादा होती है।
डा. मनीष सिंह ने बताया असर
न्यूरो सर्जरी विभागाध्यक्ष डा. मनीष सिंह के अनुसार, स्टेरायड हार्मोंस में बदलाव का असर दिल और दिमाग पर भी पड़ता है। यही वजह है कि ब्रेन स्ट्रोक और हार्ट अटैक के सबसे अधिक मामले भोर दो से सुबह नौ बजे के बीच होते हैं। दमघोंटू वायु प्रदूषण, गाजियाबाद में 24 घंटे में चार की जान गई-पेज 11।संक्रमण से ऐसे करें बचाव
यूनानी चिकित्सा अधिकारी डा. ब्रजेश ने बताया कि प्रदूषण के कारण वातावरण में सूक्ष्म कण बढ़ जाते हैं। जो दिखाई नहीं देते परंतु यह सांस के जरिये शरीर के अंदर प्रवेश कर समस्या को बढ़ा देते हैं। इससे बचाव के लिए पांच ग्राम अदरक, 15 तुलसी के पत्ते, एक काली मिर्च को 200 मिली पानी में उबाले। जब पानी 50 मिली बचे तो उसमें शहद मिलाकर उसे काढ़े की तरह उपयोग करें। इसका उपयोग सुबह नाश्ते के बाद और रात में भोजन के बाद कर सकते हैं। इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी और नाक, गले में होने वाले संक्रमण से बचा जा सकता है।
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