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चुनाव का बड़ा मुद्दा : 105 किमी रिग रोड पर बातों के छल्ले

10 साल से कानपुर में रिग रोड बनाने की कवायद चल रही है लेकिन राजनीतिक इच्छाशक्ति का अभाव और अफसरों की उदासीनता से यह प्रोजेक्ट धरातल पर नहीं आया

By JagranEdited By: Updated: Wed, 17 Apr 2019 06:14 AM (IST)
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चुनाव का बड़ा मुद्दा : 105 किमी रिग रोड पर बातों के छल्ले

10 साल से कानपुर में रिग रोड बनाने की कवायद चल रही है, लेकिन राजनीतिक इच्छाशक्ति का अभाव और अफसरों की उदासीनता से यह प्रोजेक्ट धरातल पर नहीं आया। मुख्यमंत्री हों या केंद्रीय मंत्री जो भी यहां आया सबके सामने समस्याएं उठीं। सबने रिग रोड के लिए बातों के छल्ले बनाए, लेकिन इस प्रोजेक्ट को हरी झंडी किसी ने नहीं दिलाई। परिणाम स्वरूप आज भी चाहे चकेरी इलाहाबाद हाईवे हो या फिर नौबस्ता से घाटमपुर होते हुए हमीरपुर जाने वाला सागर हाईवे और कानपुर- लखनऊ हाईवे सब पर जाम लगता है और वाहन चालक जाम से जूझ रहे हैं। थोड़ी सी इच्छाशक्ति यहां के जनप्रतिनिधियों ने दिखाई होती तो आज यह प्रोजेक्ट फाइलों में ही कैद न रहता। मुख्यमंत्री रहते अखिलेश यादव , उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य समेत कई मंत्रियों ने इस प्रोजेक्ट को धरातल पर लाने का वादा किया पर पूरा किसी ने किया। कहां अटकी परियोजना और इसके बनने से क्या होता लाभ इसे रेखांकित करती दिग्विजय सिंह की रिपोर्ट..

पांच हजार करोड़ रुपये की जरूरत

वर्षो से लंबित इस प्रोजेक्ट को गति देने का वादा पिछले साल उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने भी किया था। 105 किमी लंबी आउटर रिग रोड की स्थापना के लिए करीब पांच हजार करोड़ रुपये की आवश्यकता है। पिछले साल लोक निर्माण विभाग ने प्रोजेक्ट में आने वाली लागत का सर्वे कर लागत का आंकलन किया था। रिग रोड को फोर लेन बनाने की योजना है। तय किया गया था कि केंद्रीय भूतल एवं परिवहन मंत्रालय इस प्रोजेक्ट को भारत माला परियोजना के तहत बनवाएगा। इसके तहत सड़क बनाने वाली कंपनी ही टोल टैक्स वसूलेगी, लेकिन सर्वे के बाद फाइल आलमारी में कैद हो गई। प्रोजेक्ट पर नजर डालें तो बिठूर और ड्योढ़ी घाट के पास गंगा पर पुल बनेगा। गंगा व पाडु नदी पर पाच पुल, कई जगहों पर छोटी सड़कों को क्रॉस करेगा। इसलिए 17 छोटे पुल, तीन फ्लाईओवर और छह ओवरब्रिज बनने हैं। योजना में पैदल यात्रियों के लिए 54 अंडरपास शामिल हैं। इसलिए है जरूरत

कल्याणपुर, पनकी, भौंती, सचेंडी, नौबस्ता, रामादेवी, जरीब चौकी, टाटमिल, झकरकटी आदि जगहों पर आए दिन भीषण जाम लगता है। क्योंकि शहर के भीतर से जीटी रोड, हमीरपुर रोड और कालपी रोड जैसे प्रमुख मार्ग गुजर रहे हैं। इस समस्या के समाधान के लिए रिग रोड का निर्माण प्रस्तावित है। इस रिग रोड के बन जाने के बाद दूसरे शहरों से आने वाले वे वाहन जिन्हें आगरा, अलीगढ़, इलाहाबाद, लखनऊ, हमीरपुर आदि शहरों को जाना है वे बाहर-बाहर निकल जाएंगे। उन्हें शहर के अंदर नहीं आना होगा। ऐसे में जाम की समस्या समाप्त हो जाएगा। -----

ऐसे बननी है सड़क

रिग रोड राष्ट्रीय राजमार्ग दो के 489 किमी (हाथीपुर गांव के निकट) से शुरू होकर राष्ट्रीय राजमार्ग 86 के 15 किमी को (निहालपुरवा के निकट) पार करते हुए निकलेगी। राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या दो के 456 किमी (चकरपुर सब्जी मंडी) को पार कर आगे राष्ट्रीय राजमार्ग 91 को रामनगर मंधना के पास पार करते हुए गंगा नदी को पार करेगी और फिर उन्नाव की ओर बढ़ेगी। कानपुर - लखनऊ हाईवे को पार करते हुए फतेहपुर में चौडगरा से पांच किमी दूर थानपुर गांव के निकट चकेरी- इलाहाबाद हाईवे को पार कर हाथीपुर गाव के पास समाप्त होगी।

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इस पेच को सुलझा नहीं सके हुक्मरान

योजना के तहत भूमि अधिग्रहण में आने वाला खर्च राज्य सरकार और निर्माण लागत का खर्च केंद्र सरकार को वहन करना है। दस साल से राज्य सरकार यह तय ही नहीं कर सकी कि वह भूमि अधिग्रहण करेगी या नहीं। 30 से अधिक बैठकें शासन में हुई। हर बार सहमति बनी कि भूतल एवं परिवहन मंत्रालय को लोक निर्माण विभाग पत्र भेजेगा कि राज्य की तरफ से भूमि अधिग्रहण में आने वाली कुल लागत का सिर्फ 10 फीसद धन खर्च किया जाएगा। शेष धनराशि केंद्र सरकार वहन करे, लेकिन ये बातें बैठकों तक ही सीमित रही। आकार घटाने की योजना भी खटाई में

इस साल के शुरुआत में ही योजना बनी कि रिग रोड का आकार 105 किमी से घटाकर 75 किमी कर दिया जाए। अभी जो सड़कें हैं उन्हीं को चौड़ाकर रिग रोड का आकार दिया जाए, लेकिन यह योजना भी सर्वे तक सीमित रही।

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